लल्लू कैसे बदला | Kauwa ki Kahani Hindi

दोस्तों आज हम आप सभी को Kauwa ki Kahani बताएंगे। यह कहानी लल्लू नामक एक कौवा का है। इस Kauwa ki Kahani में आप सभी को लल्लू कौवा के गलत संगत तथा बुरी आदतों का वर्णन मिलता है । दोस्तों यह Kauwa ki Kahani Hindi एक शिक्षाप्रद कहानी है। आप सभी इसे पढ़े और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को share करें।

लल्लू कैसे बदला

Kauwa ki Kahani Hindi

लल्लू कौवे के माता-पिता बचपन में ही मर गये थे । उसे पाला भी उसकी मौसी ने ही था । बचपन में लल्लू बुरी संगत में पड़ गया था। इससे वह बहुत शरारती भी हो गया था । कई बुरी आदतें उसमें आ गयी थी। वह चोरी करने लगा था और दूसरों की चीजें छीनकर भी भाग खड़ा होता था । वह जब चाहे जिस को परेशान ही करता रहता था । किसी के कहने-सुनने का लल्लू पर कोई असर ही न होता था ।

एक दिन चंचल गिलहरी अपने बच्चे को रोटी का टुकड़ा खाने को दे गयी । वह नदी पर पानी लेने गयी थी। बस इतनी देर मे कहीं से उड़ता हुआ लल्लू आ गया । पीछे से वह चुपचाप से गिलहरी के मुँह से रोटी का टुकड़ा छीन कर ले गया । डाल पर बैठकर लल्लू उसे खाने लगा ।

गिलहरी का छोटा बच्चा रो उठा । उसे खूब जोर से भूख लग रही थी । ‘ऊँ-ऊँ ! मामा मेरी रोटी मुझे दे दो । वह बच्चा रोते-रोते बोला ।

लल्लू ने अपनी गर्दन नचाकर उसे और भी चिढ़ाया । कॉव-काँव करते हुए लल्लू रोटी लेकर दूसरे पेड़ पर जा बैठा । गिलहरी का बच्चा रोता का रोता ही रह गया ।

एक दिन सोनू कुत्ता रसभरीं पूरी खा रहा था । आधी पूरी उसने खाई, फिर जमीन में एक गड्ढा खोदा और आधी पूरी उसमें दवा दी । सोनू ने अपने दोस्त भानू के लिए वह रखी थी । लल्लू कौवा चुपचाप यह देख रहा था । सोनू के जाते ही पेड़ से उतरा । अपनी चोंच से उसने गड्ढा खोदा, फिर पूरी निकाली और पूरी को पंजे में दबाकर वह उड़ गया । नीम के पेड़ पर बैठकर स्वाद ले-लेकर उसने वह पूरी खायी ।

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उधर सोनू ने भानू को पूरी गाढ़ने की बात बता दी थी । थोड़ी देर बाद वह वहाँ आया । उसने देखा कि गड्ढा खुदा हुआ था, मिट्टी बिखरी हुई । पूरी का वहाँ नाम नहीं था । वह समझ गया कि जरूर किसी ने शरारत की है । सामने पेड़ पर बैठा लल्लू कौवा मीठी नींद सो रहा था । भानू समझ कि जरूर यह लल्लू की शरारत थी, क्योंकि लल्लू ऐसे कामों में सारे जंगल भर में बड़ा बदनाम था ।

भानू वहीं गड्ढे के पास बैठ गया । लल्लू की आँख खुली तो उसने निराश बैठे भानू को देखा । ‘कैसे बैठे हो ?’ लल्लू ने मन ही मन मुस्कराते हुए पूछा ।

“मैं यहाँ पूरी खाने आया था। मेरे दोस्त सोनू ने मेरे लिए, उसे गाढ़ा था, पर कोई दुष्ट चुपचाप उसे निकाल ले गया ।’ भानू पूँछ हिलाते हुए बोला । लल्लू कौवा कहने लगा- ‘बुरा न मानना काका ! इस अच्छी पूरी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया था । मैंने ही उसे निकाला था ।’

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भानू समझाने लगा-‘लल्लू बेटा ! तुम चोरी करना छोड़ दो । चोरी करना कोई अच्छी बात नहीं है ।’ लगा।

‘वाह ! इसमें चोरी की क्या बात हुई ?’ लल्लू पूछने ‘दूसरों की चीज को उनसे बिना पूछ लेना चोरी ही तो है । कोई देखे या न देखे, पर भगवान हमारे कामों को देखते हैं। बुरा करने वालों को वह सदैव दण्ड देते हैं । जो भी बुरा करता है, उसे एक न एक दिन उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है ।’ भानू बड़ा गंभीर होकर बोला ।

‘ऊँह ! बुड्ढों को भी हमेशा उपदेश देने की आदत-सी पड़ जाती है ।’ यह कहकर लल्लू ने मुँह बिराया, पंख फड़फड़ाए और उड़ चला ।

बड़ों के उपदेश सुनते-सुनते लल्लू तंग हो गया था । भानू काका, सोनी गाय, चंचल गिलहरी, कालू कौवा सभी उसे चोरी न करने का उपदेश देते थे, पर लल्लू कौवे को उनकी सारी बातें बेकार ही लगती थीं । क्योंकि उस कौवे को अभी तक कोई भी सबक नहीं मिला था ।

पर बुरा काम करने वालों को एक न एक दिन दण्ड मिलता ही है। बुरे कामों से कभी सफलता नहीं मिला करती । बुरा काम करने वालों को सभी तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं । लल्लू को भी देखकर जंगल के सारे जानवर बच्चों को उसके साथ अपना मुँह फिरा लेते थे । कोई उससे ठीक से बात करना पसन्द न करता था । कोई भी अपने खेलने ही नहीं देता था । वह अपने को बड़ा ही अकेला महसूस किया करता था ।

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चोरी करके, छीना-झपट करके जो माल वह लाता था तो उसे लोमड़ी काकी लल्लू कौवा को बहला-फुसलाकर ले जाती तो कभी चम्पू गीदड़ लल्लू की अधिक चापलूसी करके उस माल पर हाथ साफ करता ।

एक दिन लल्लू को बुखार आ गया । उससे हिला भी नहीं जा रहा था । नीम के पेड़ पर बने अपने कोटर में सारे दिन वह प्यासा बैठा रहा । लोमड़ी काकी और चम्पू गीदड़ उस दिन आये । लल्लू उनसे दो घूँट पानी लाने की कह कहकर थक गया, पर उन दोनों में से किसी ने भी पानी लाकर नहीं दिया । वे तो उस दिन भी लल्लू कौवा का माल हड़पने के लिये आये थे । लाचार होकर वह प्यासा ही तरसता रहा ।

लल्लू अपने कोटर में बैठा-बैठा यही सोचता रहा कि बुरे काम करने वाले से अधिक अभागा और कोई नहीं है । उसे अन्त में बड़ा पश्चात्ताप ही करना पड़ता है । विपत्ति में उसका कोई सहायक नहीं हुआ करता । बुरे काम का फल भी कभी न कभी मिलता ही है । समाज में एक-दूसरे से मिल-जुलकर रहना चाहिये । एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिये । तभी संकट के समय भी हमारी सहायता करेंगे । तभी दूसरे हमें अधिक से अधिक प्यार करेंगे और हमको सहयोग देंगे ।

लल्लू उसी दिन से बदल गया है । विचार बदलने पर व्यवहार भी बदल जाया करता है। अब वह दूसरों की कोई भी चीज नहीं छीनता, चोरी नहीं करता । वह सदैव दूसरों की भलाई करता है । सबकी सहायता करता है । जंगल के सारे जानवर और पक्षी बड़ा ही आश्चर्य करते हैं कि लल्लू कैसे बदल गया ? अब वे सब उसकी प्रशंसा ही करते रहते हैं ।

दोस्तों कैसी लगी Kauwa ki kahani hindi अर्थात Lallu kaise badla कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह kauwa ki Kahani Hindi आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Hindi Kahani जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।

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