बोली का रस | Boli Ka Ras | Hindi Kahani
एक थी बुढ़िया। उसका एक लड़का था घूरे। वह कुछ भी कामकाज नहीं करता था। बुढ़िया चरखा कातती। खेत-खलिहान पर मजदूरी करती। तब कही जाकर पेट भरता। उसने अपने बेटे को समझाया
बोली का रस | Boli Ka Ras | Hindi Kahani Read MoreGyan Ki Baat..
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एक थी बुढ़िया। उसका एक लड़का था घूरे। वह कुछ भी कामकाज नहीं करता था। बुढ़िया चरखा कातती। खेत-खलिहान पर मजदूरी करती। तब कही जाकर पेट भरता। उसने अपने बेटे को समझाया
बोली का रस | Boli Ka Ras | Hindi Kahani Read Moreबात पुराने दिनों की है। एक लकड़हारा अपनी पत्नी के साथ झोपड़ी में रहता था। उसने झोपड़ी के चारों ओर कच्ची दीवार खींच रखी थी। चारदीवारी के भीतर एक नीम का पेड़ था
निन्यानवे का चक्कर | Best Hindi Kahaniya Read More