दोस्तों आज हम आप सभी के लिए Short Story In Hindi With Moral जिसका शीर्षक “नकल का फल”लेकर आये है। यह एक रोचक कहानी है। दोस्तों यह Short Story In Hindi With Moral एक शिक्षाप्रद कहानी है। आप सभी इस Short Moral Story Hindi “नकल का फल” को पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।
नकल का फल
Short Story In Hindi With Moral
राहुल चार वर्ष का था, पर था वह बड़ा ही शरारती । वह न तो चुपचाप बैठ सकता था और न बिना बोले रह सकता था। हर समय कुछ न कुछ करता रहता था । नकलची भी वह बहुत था । एक बार किसी को काम करते देख लेता, बस फिर वही काम खुद करने लगता । उसने एक दिन माँ को स्टोव जलाते देखा । माँ अन्दर गयी तो राहुल खुद स्टोव जलाने बैठ गया ।
एक दिन उसने अपने घर में बढ़ई को लकड़ी काटते देखा । बढ़ई खाना खाने गया तो राहुल भी आरी लेकर खुद लकड़ी काटने में जुट गया । बेचारा बड़ों का हर काम करता, सभी से डाँट खाता और अपना सा मुँह लेकर लौट आता । यह उसके माता-पिता की भी गलती थी कि वे उसे किसी ऐसे कार्य में नहीं लगाते थे जिसमें उसकी प्रतिभा का सदुपयोग हो। बच्चे को तो कुछ न कुछ काम करने को चाहिये ही । उसकी शक्ति का सदुपयोग अच्छे कार्य में नहीं कराया जायेगा तो वह गलत कार्यों में ही निकलेगी ।
राहुल को जानने की जिज्ञासा भी बहुत थी । माँ से हर समय वह कुछ न कुछ प्रश्न करता ही रहता था ।
एक बार राहुल के नानाजी आये । गाँव में रहते थे, वहाँ वे खेती करते थे । नानाजी ने चलते समय कहा– ‘चलो राहुल ! कुछ दिन हमारे घर रहना । रास्ते में तुम्हें बहुत-सी नई-नई चीजें भी दीखेंगी । गाँव भी तुमने कभी देखा नहीं है । वहाँ अच्छी-अच्छी चीजें खाने को मिलेंगी ।’
राहुल नानाजी के साथ जाने को तैयार हो गया । बस में उसने बहुत-सी नई-नई चीजें देखीं और वह रास्ते भर नानाजी से उनके विषय में पूछता रहा ।
राहुल घर पहुँचा तो नानी उसे देखकर बहुत खुश हुई। वहाँ राहुल के मामा का लड़का सोनल भी था । वह आयु में राहुल के बराबर था । राहुल उसके साथ खेलता रहता । राहुल का गाँव में खूब मन लग गया ।
एक दिन राहुल के नानाजी राहुल और सोनल दोनों को खेत पर ले गये । वहाँ उसने देखा कि दो सुन्दर बैल भी बँधे हैं । वे सफेद रंग के, बहुत प्यारे और सुन्दर थे । उन दोनों बैलों के नुकीले और घुमावदार सींग थे ।
‘ये बैल यहाँ क्या करेंगे ?’ राहुल पूछने लगा ।
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‘बेटे ! बैलों को हल में लगाकर हल जोता जायेगा । ये खेतों के लिये बड़े ही उपयोगी होते हैं । इनके गोबर से बहुत अच्छी खाद बनती है । घर पर चलेंगे तो इन्हें बैलगाड़ी में जोत लेंगे ।’ नानाजी ने समझाया ।
राहुल खेत में बैठा-बैठा बड़े ध्यान से बैलों का हल चलाना देखता रहा । दोपहर को नानी भी खाना लेकर खेत पर ही आ गर्यो । सबने मिलकर खाना खाया |
घर चलते समय नानाजी ने बैलों को बैलगाड़ी में जोता । नानाजी, नानी, राहुल, सोनल सभी गाड़ी में बैठ गये । बैलों को हाँककर नानाजी गाड़ी आगे बढ़ाने लगे ।
‘नानाजी ! ये बैल तो दो हैं । ये हम सबका और गाड़ी का इतना सारा बोझ कैसे ढो लेते हैं ?’ राहुल ने बड़ी ही | उत्सुकता से पूछा ।
नानाजी बोले– ‘ये भूसा, घास और दाना खाते हैं । इन सब चीजों में बड़ी ताकत होती है ।’
कुछ सोचते हुए से राहुल ने कहा–‘हाँ ! माँ भी कहती हैं, हम जैसी चीज खाते हैं वैसे ही बनते हैं । दूध पीने से ताकतवर बनते हैं । चाट-पकौड़े आदि खाने से पेट खराब ही होता है और बीमार पड़ते हैं ।’
‘हाँ राहुल ! यह बात सच है ।’ नानी बोली ।
‘पर माँ ने कभी यह तो नहीं बताया कि भूसा और घास खाने से ताकत बढ़ती है । उन्होंने ना ही मुझे, ना ही पिताजी को कभी ये चीजें खिलायी हैं।’ राहुल अभी भी न जाने । किस सोच में डूबा हुआ कह रहा था ।
राहुल की बात सुनकर सभी खिलखिलाकर हँस पड़े ।
नानाजी बोले– ‘पगले । ये चीजें तो जानवर खाते हैं ।’
तभी घर आ गया और सभी गाड़ी से उतर पड़े ।
पूरे एक दिन राहुल मन ही मन सोचता रहा कि भूसा खाने से ताकत आती है । मैं मुझमें भी खूब-सी शक्ति आ जायेगी । फिर कोई भी भूसा खाऊँगा भाई-बहिन उसे ‘सीकिया-पहलवान’ कहकर नहीं चिढ़ायेगा । पर उसे यह बात नाना-नानी से कहने की हिम्मत न पड़ी । राहुल सोच रहा था, उन्हें अगर बताऊँगा तो वे हँसेंगे ही । इसलिये जब मैं भूसा खा-खाकर पहलवान हो जाऊँगा तभी बताऊँगा ।’
दूसरे दिन शाम को राहुल चुपचाप घर के दरवाजे पर आ गया । वहाँ बैल बँधे हुए थे और अपनी-अपनी नाद में सानी खा रहे थे । राहुल चोर निगाहों से इधर-उधर देखा सब ठीक है । नानी रसोईघर में खाना पका रही हैं और नाना चारपाई पर बैठे अखबार पढ़ने में लीन हैं ।
तभी घर के अन्दर से सोनल आया । राहुल को चुपचाप देखकर बोला–‘यहाँ क्यों खड़े हो राहुल ?’
‘शी-शी चुप रहो ।’ मुँह पर उँगली रखते हुए राहुल बोला ।
फिर वह सोनल के कान में बोला– ‘सोनल ! आज बैलों की सानी खायेंगे ।’
‘पर आखिर क्यों ?’ सोनल पूछने लगा ।
‘ओह ! तुम जानते नहीं बैल सानी खाते हैं, इसलिये इनमें इतनी शक्ति है । हम खायेंगे तो हम भी बहुत शक्तिशाली बन जायेंगे । फिर गाँव के टीपू पहलवान को हम मिनटों में हरा दिया करेंगे।’ राहुल ने उसे समझाया ।
सोनल को भी यह तर्क अच्छा लगा । अब क्या था ? राहुल और सोनल दोनों ने ही बैलों की नाद में से धास व भूसे की सानी खानी शुरू कर दी । प्रारम्भ में उनका जी बहुत मिचलाया, मुँह में भी भूसा चुभा । पर पहलवान बनने के लालच में राहुल और सोनल ने बहुत-सी घास निगल ली । रात को नानी ने खाना खाने के लिये दोनों को पुकारा ।
पर उन्होंने कह दिया कि भूख नहीं है । राहुल और सोनल के पेट में दर्द भी होने लगा था। थोड़ी देर तक तो वे उसे सहते रहे । जब न सहा गया तो जोर-जोर से रोने लगे ।
रोने की आवाज सुनकर उनके नानाजी दौड़े चले आये । वे तुरन्त भागे-भागे डाक्टर के पास गये । डाक्टर ने उनका पेट टटोला । वह संख्त था । डाक्टर ने पूछा– ‘बच्चो ! तुमने क्या खाया है ? सच सच बताओ । नहीं तो फिर इन्जेक्शन लगाना पड़ेगा ।’
इन्जेक्शन के डर के कारण राहुल और सोनल दोनों ही बोल पड़े– ‘डाक्टर साहब ! हमने भूसा और घास खायी है ।’
‘वह क्यों ?’ डाक्टर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा ।
अब उन दोनों ने उन्हें भूसा खाने की सारी कथा विस्तार से सुना दी। उनकी बातें सुनकर डाक्टर और नाना-नानी खूब ही हँसे ।
नानाजी बोले– ‘बेटा ! अनुकरण सोच-समझ कर ही करना चाहिये । सब काम सबके अनुकूल नहीं हुआ करता । बिना अकल के जो नकल की जाती है वह सफल नहीं हुआ करती ।’
डाक्टर ने दोनों को कड़वी कड़वी दवा पीने के लिये दी । उस दिन से राहुल ने अपने कान पकड़े कि अब वह किसी की नकल नहीं करेगा और अकल से काम लेगा ।
दोस्तों कैसी लगी Best Short Story In Hindi With Moral अर्थात नकल का फल कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह Short Moral Story Hindi आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Hindi Kahani जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।