आज हम आप सभी के लिए 5 Best Stories For kids in Hindi लेकर आये है जिसे पढ़कर आपको बहुत अच्छा लगेगा।
5 Best Stories For kids in Hindi
1 अंधा और बहरा
(Stories for kids in Hindi)
संत ने अपने शिष्यों के सामने एक कथा प्रस्तुत की। एक नगर में दो मित्र रहते थे। एक अंधा और एक बहरा था। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते थे। दोनों नगर में भीख मांगते थे। धीरे-धीरे उन्होंने काफी धन इकट्ठा कर लिया।
दोनों धन को देखकर फुले नहीं समाते थे। वे लौटकर अपने धन पर चर्चा करते थे। बहरा धन देखकर और अंधा उसे छूकर खुश होता था।
एक रात की बात है। वे दोनों कोठरी में सोये हुए थे। अंधे को पेशाब लगी। वह उठा और बाहर जाने की जगह भीतर चला गया। अचानक उसके पांव सिक्को से टकराये और सिक्के आवाज कर उठे।
बहरा उठ गया। दिया जलाकर देखा तो गुस्से से लाल हो गया। बोला, “विश्वासघाती, धन लेकर भागना चाहता है। पर मई ऐसा होने नहीं दूंगा। “
वह अंधे पर झपट पड़ा। अंधा उसे बार-बार- विश्वास दिलाता था, पर बहरा उनकी कोई बात नहीं सुन रहा था, बल्कि वह संकेतो का गलत अर्थ लगाकर और क्रोधित हो रहा था। अंधे ने अपनी दोस्ती के गर्व में एक सिक्का उस पर वारकर फेंका। बहरे ने कहा, “तू मुझे सिक्के के बराबर समझता है ?”
अंत में वे दोनों लहूलुहान होकर अपने धन पर बेहोश होकर पड़ गए। ….उस दिन से अंधे ने लकड़ी को अपना सहारा बना लिया।
2 अभय बावर्ची
(Stories for kids in Hindi)
एक बार बादशाह नौशेरवां भोजन कर रहे थे कि बावर्ची से थोड़ा-सा शोरबा उसके कपड़ो पर गिर पड़ा। नौशेरवां की त्योरियां चढ़ गईं। बावर्ची ने यह देखा तो पहले तो वह घबराया, लेकिन फिर कुछ सोचकर प्याले का बचा हुआ शोरबा भी उसने बादशाह के कपड़ो पर फेंक दिया। बादशाह के क्रोध की सीमा न रही। तेज स्वर में उसने पूछा, “नीच ! तेरी यह हिम्मत ! बोल, तूने जान-बूझकर ऐसी हरकत क्यों की ?”
बावर्ची ने सहज हाथ जोड़कर उत्तर दिया, “जहांपनाह ! आपका गुस्सा देखकर मैं समझ गया कि अब मेरी जान बचेगी नहीं। लेकिन बाद में लोग यह कहते कि आपने सिर्फ जरा-सा शोरबा कपड़ो पर गिर जाने से एक गरीब नौकर की जान ले ली। इसलिए मैंने जान-बूझकर हुजूर के कपड़ो पर शोरबा गिरा दिया ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे और मुझे ही अपराधी समझे। “
नौशेरवां हंस पड़ा और उसने बावर्ची को माफ़ कर दिया।
3 जैसे को तैसा नई कहानी
(Stories for kids in Hindi)
यह उन दिनों की कहानी है जब भैंस और घोड़ा पालतू जानवर नहीं थे। दूसरे जंगली जानवरों की तरह ये भी जंगल में रहते थे। इन दोनों में गहरी मित्रता थी। दोनों जंगल में पास-पास रहते थे, साथ-साथ चरते थे और साथ-साथ ही झरने का मीठा पानी पीते। परन्तु कहावत है न कि मीठे में कभी-कभी कीड़े भी पड़ जाते है। किसी मामूली सी बात पर एक दिन दोनों मित्रो में कुछ कहा-सुनी हो गई और झगड़ा हो गया मारपीट की शुरुआत हो गयी। भैंस ने सींग मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया।
घोड़ा उस समय तो मार खाकर चुप हो गया, परन्तु वह उस अपमान को भुला नहीं और मन ही मन भैंस को निचा दिखाने की तरकीब सोचता रहा। आखिर एक दिन घोड़े की नजर एक मनुष्य पर पड़ी जो तीर-कमान लिए जंगल में सिखर की खोज कर रहा था। घोड़े ने उसके पास पहुंचकर गिड़गिड़ाते हुए कहा, “काली भैंस ने मुझे मारा है। सभी तरफ दर्द हो रहा है। उससे बदला लेने में मेरी मदद करो। ”
घोड़ा बोली, ‘मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तेजी से दौड़ता रहूंगा। तुम डंडे से मार मारकर भैस को अधमरी कर देना और फिर रस्सी से बाँध लेना। “
घोड़े ने बताया, “भैंस बहुत मीठा दूध देती है। उसे पीकर तुम खूब मोठे-ताजे हो जाओगे। “
Stories For kids in Hindi –thakur ki kahani
मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली। बेचारी भैंस जब पीटते पीटते बेदम हो गई तो मनुष्य ने उसे बाँध लिया।
घोड़े ने कहा, “अच्छा अब मुझे जाने दो। मुझे भूख लगी है। “
मनुष्य हसने लगा। उसने कहा, “नहीं, अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा। मुझे नहीं पता था कि तुम मेरी सवारी के काम आ सकती हो। मैं भैंस का दूध पिऊंगा और तुम्हारी पीठ पर बैठकर सवारी करूँगा। ” यह निकला आपस की फूट का नतीजा।
4 सपूत
(Stories for kids in Hindi)
गांव के पनघट पर पानी भरते-भरते तीन महिलाएं अपने-अपने लाड़लों के गुणों के बखान कर रही थी। एक बोली, “बहन, मेरा बेटा जब से शास्त्री होकर आया है, चारों ओर उसकी धूम मची है। वह ऐसा शकुन बताता है कि चटचट लाभ हने लगता है। आकाश के तारों को गिन-गिनकर उनके नाम बता देता है। परलोक की सभी बाते उसे है। भैरवी जी के गणो का नाम, यमदूतों के नाम उसकी जीभ पर है। “
दूसरी ने जोश में झट से आगे बढ़कर कहा, “अरी सखी, मेरे लाल जैसा बली तो दस-पांच गांवों में देखने को भी नहीं मिलेगा। पांच सौ दण्ड-बैठक वह रोज सुबह लगाता है। अखाड़े में जब ताल ठोंककर उतर पड़ता है तो बड़े-बड़े पहलवान तक उसका मुकाबला करने में घबराते है जब चलता है तो हाथी की तरह झूमता हुआ। “
अब तीसरी महिला की बारी थी। वह चुप ही रही।
इस पर उन दोनों ने कहा, “बहन, तू चुप क्यों है? लगता है, कि तेरा लड़का कपूत निकला। “
तीसरी महिला बिना किसी जोश और गर्व के बोली, “बहन जैसा भी है, मेरा लाल मेरे लिए बहुत अच्छा है। वह सीधे स्वाभाव का साधारण किसान है। दिनभर खेत में जुटा रहता है। शाम को घर का काम करता है। उसे इतनी फुरसत ही कहा मिलती है कि बाहर नाम पैदा करे। आज बहुत कहने पर वह मेला गया है, इसलिए मई पानी भरने आयी हूँ। “
तीनो पानी लेकर चल पड़ी। यही वे दो चार कदम ही गति थीं कि पहली महिला का बेटा आता हुआ दिखाई पड़ा। वह संस्कृत के कठिन श्लोको को उच्चारण कर रहा था। आते ही उसने अपनी माँ से कहा, “माँ मैं अच्छे मुहूर्त में घर की ओर आ रहा था। रस्ते में भरा हुआ घड़ा मिलना शुभ है। ” यह कहकर वह तेजी से घर की ओर चला गया।
तभी दूसरी महिला का पहलवान पुत्र भी आता हुआ दिखलाई पड़ा। वह मतवाले हाथी की तरह झूमता आ रहा था। उसने अपनी मां से कहा, “मां आज मेले के दंगल में मैंने एक नामी पहलवान को बुरी तरह पछाड़ा। पानी लेकर सीधी घर आना, मुझे जोरों की भूख लगी है। ” और यह कहकर वह भी आगे बढ़ गया।
अंत में तीसरी का पुत्र भी आ पंहुचा। उसमे कोई भी विशेषता नहीं दिख रही थी वह बड़ा ही सीधा-सादा था। आते ही उसने घड़े के बोझ से दबी अपनी माँ के सिर से घड़ा उतारकर अपने सिर में रख लिया और बोलै, “मां, तू क्यों पानी भरने चली आयी ? मैं तो आ ही रहा था। ” और घड़ा लेकर वह उत्साह से साथ घर की ओर चल पड़ा।
यह देखकर दूसरी दोनों स्त्रियों का उत्साह ठंडा पड़ गया।
5 छू नहीं सकता
(Stories for kids in Hindi)
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़ती हुई तारीफ कुछ लोगो को सहन न हो सकी। तो वे लोग उनके सम्बन्ध में अनेक उल्टी-सीधी बातें फैलाने लगे। लेकिन गुरुदेव समान भाव से सब सहन करते रहे।
शरतचंद्र से जब ये बेकार की आलोचनाएं नहीं सही गयी तो उन्होंने गुरुदेव से कहा किवह इन आलोचकों का मुँह बंद करने का उपाय करें।
गुरुदेव शांत-सरल भाव से बोले, “उपाय क्या है शरत बाबू ? जिस हथियार को लेकर वे लड़ाई करते है, उस हथियार को तो मैं हाथ से छू भी नहीं सकता।”
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