चतुराई | Chaturai | Rochak Kahaniya

आज हम आपके लिए फिर से शिक्षाप्रद Rochak Kahaniya लेकर आये है जो आपको अच्छी शिक्षा और सीख प्रदान करेगी। आप ऐसे Rochak Kahaniya को share करके दुसरो को भी शिक्षा प्रदान कर सकते है और वे भी ऐसे रोचक कहानियां का मजा ले सकते है।

शिक्षाप्रद रोचक कहानियां (Rochak kahaniya):-

चतुराई

( Rochak kahanniya in hindi)

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एक राजा था। उसका नाम महीपालसिंह था। वह बड़ा दयालु और धर्मात्मा था। प्रजा बड़ी सुखी थी। राज्य धन से भरा-पूरा था। वह घुड़साल में सभी नस्ल के घोड़ो की तन, मन, धन से रक्षा करता था।

हर सावन माह में वह घुड़दौड़ कराता। उस घुड़दौड़ में बहुत से राज्यों के सभी घोड़े भाग लेते थे। चाहे उन घोड़ो के स्वामी गरीब हो या अमीर।

इधर दो बरस से राजा के घोड़े हार रहे थे। इस हार से राजा बड़ा दु:खी था। उसकी रातों की नींद और दिन का चैन चला गया था। चारों ओर अपयश हो रहा था, पर राजा की समझ में यह बात नहीं आ रही थी कि इसका कारण क्या है ? उसके घोड़े अच्छी नस्ल के थे। उन्हें दाना-पानी के अलावा दूध भी दिया जाता था। दूध के साथ-साथ घी और ताकत देने वाले मसाले भी।

राजा ने एक दिन सभा बुलवाई।

सभा में राजा के सारे अधिकारीगण इकट्ठे हुए। दीवान मंत्री, सेनापति, अश्वरक्षक, छोटा राजकुमार पुनीतसिंह भी। राजा ने उन सभी से कहा “सावन का महीना आ रहा है। ” सदा की तरह इस बार भी घुड़दौड़ होगी। मुझे पता चला है कि हमारे घोड़ो की ताकत बढ़ने के बजाये दिन-प्रतिदिन घाट रही है। यह बड़े दुःख की बात है ?

घोड़े की निगरानी करने वाला बोला महाराज ! मैं क्षमा चाहता हूं, घोड़ों की देख-रेख मैं स्वयं करता हूं। बार-बार दाना पानी और दूसरी खुराकें दी जा रही है। फिर भी पता नहीं घोड़ों की ताकत क्यों घट रही है ?

दीवान ने सुझाव दिया “पशु की देखभाल करने वाले वैद्यराज जी को बुलाकर उनकी जाँच कराई जाय। शायद कोई रोग हो ?”

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दीवान की बात सबकी समझ में आ गई।

वैद्य को बुलाया गया। उसने सब तरह देखभाल करके कहा, “घोड़ों में कोई रोग नहीं है। “

“फिर ?”

महाराज घोड़ो की हालत में कुछ कहा नहीं जा रहा लेकिन घोड़ो की क्षमता कम हो रही है।

पुनीतसिंह बड़ा ही चतुर और गुणी था। उसने चौदह-पंद्रह वर्ष की उम्र में ही कई विद्याओं को पढ़ लिया था। बड़ा धीर स्वामी और आज्ञाकारी था। उसने राजा से विनती की ” महाराज ! यदि आपकी आज्ञा हो तो मैं इसके कारण की खोज करूं ?”

“तुम ?”

“हां महाराज ! ?”

“महाराज! मुझे भी एक अवसर दिया जाय ?”

“अवश्य दिया जायगा। “

पुनीत ने महाराज के चरण छुए और सभा से विसर्जित हो गया।

दूसरे दिन वह अकेला ही घुड़साल में आ गया।

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उसने घोड़ो को बड़ी चतुराई से देखा। घोड़ो की जानकारी उसे थी ही। देखकर उसने अनुमान लगाया कि ये असली नस्ल के घोड़े है। फिर वह उनके निगरानीदारों से मिला। उन्हें भी उसने बड़े गौर से देखा उसने पूछा “घुड़साल में कितने घोड़े है। “

“बीस। “

” कितना खाना दिया जाता है ? “

निगरानीदार ने कहा “बीस सेर दूध और एक सेर घी। “

“अच्छा। “कहकर पुनीत थोड़ी देर चुप रहकर बोलै “घोड़ो को दूध और घी पहले जैसे चलने दो। “

“जो हुक्म। “

पुनीत चला आया। दूसरे दिन वह फिर घुड़शाला में गया और निगरानीदारों के बड़े अधिकारी से बोला “तुम्हारे पास कितने आदमी है ?”

“पचास। “

“साठ कर लो। “

“जो हुक्म। “

पुनीत उसके बाद कुछ नहीं बोला। उसने तीसरे दिन सभी निगरानीदारों को इकट्ठा करके कहा “तुम सब कमजोर हो, मैं चाहता हूं कि तुम लोगों को अच्छी खुराक मिले। “

सब निगरानीदार फूल की तरह खिल उठे।

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पुनीत ने सभी निगरानीदारों का वजन करा लिया। एक माह बीत गया। घोड़ो की ताकत में कोई फर्क नहीं आया। राजा ने पुनीत को बुलाया और पूछा “बोलो तुम क्या उत्तर देते हो ?”

“महाराज चिंता न करे ये समस्या समझो सुलझ गयी। “

राजा बड़ा चकित हुआ।

दूसरे दिन दरबार लगा, सारे दरबारी उपस्थित थे।

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राजकुमार ने घुड़शाला में जितने आदमी थे, उनका वजन कराया और कहा कि इन सभी आदमियों का वजन बढ़ रहा है और घोड़ो का घट रहा है। इसका यही कारण है कि हम लोग जैसे-जैसे आदमी बढ़ाते गए वैसे-वैसे दूध में पानी की मात्रा बढ़ती गयी। इसलिए घोड़ो का वजन हमेशा की तरह और घटता गया। महाराज ! ये सभी लोग बेईमान हैं और दूध में पानी मिलाते है और घी को उड़ाते है।

एक अधिकारी ने उठकर कहा “यह हमारी सच्चाई पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है। “

दूसरे ने कहा “राजकुमार को उसका प्रमाण देना होगा। “

राजकुमार ने तुरंत ताली बजाई। उसके चार सेवक आए और उन्होंने दूध का बड़ा बर्तन दरबार में रखा।

उस दूध को सम्बोधन करके राजकुमार ने कहा महाराज ! इस दूध में कीड़े-मकोड़े हैं। कल मैंने अपने आदमियों से यह गन्दा पानी वही रखवा दिया था। जिन लोटों में पानी मिलाया गया है, उन पर इन अधिकारियो के उंगलियों के निशान है। वे भी आपके सामने है।

अब बेचारे अधिकारीगण क्या करते ? उन सबके मुंह उतर गए।

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राजा ने ऐसे नमकहराम नौकरो को कड़ी सजा दी और राजकुमार की इस छोटी उम्र में इतनी चतुराई देखकर उसे अपना शाही घोड़ा और शाही तलवार भेंट की।

कुछ दिनों बाद घोड़ो को अच्छी खुराक मिलने से वे अच्छे हो गए और ताकतवर भी जिसको देख राजा बहुत खुश हुआ और जब घुड़दौड़ हुआ तब राजा के घोड़ो ने इस बार बाजी मार ली और दौड़ जीत गए। राजा इतना प्रसन्न हुआ की वे अब चैन की नींद सो सकते थे। ( Best Rochak kahaniya ) हिंदी रोचक कहानियां।

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