दोस्तों आप सभी के लिए Hindi kahani उल्लू, कौआ और कोयल कहानी। यह एक मजेदार कहानी है आप सभी इसे पढ़ कर इसका आनंद लीजिये।
उल्लू, कौआ और कोयल हिंदी
Hindi Kahani
एक लड़का जंगल में अपनी गुलेल से खेल रहा था और फलों को गिरा रहा था। अचानक एक पत्थर उल्लू के माथे में जा लगा और उसका माथा जख्मी हो गया। उल्लू चीखता-चिल्लाता सीधे अपने दोस्त कौए के पास पहुँचा और उसे अपने जख्म दिखते हुए बोलै, “तुम मुझे किसी अच्छे डॉक्टर के पास जल्दी ले चलो। “
उसी जंगल में एक कोयल रहती थी। वह पक्षियों के छोटे-मोटे जख्मो को ठीक कर लेती थी। सभी पक्षियों को उस पर बड़ा विश्वास था। कौए ने उल्लू से कहा, “तुहारा इलाज अब डॉक्टर ही कर सकता है।
कोयल ने उल्लू का जख्म अच्छी तरह देखने के बाद कहा, मैं इस जख्म को ठीक कर सकती हूँ। जख्म को ठीक होने में कम से कम दो दिन लगेंगे। “
कौआ और उल्लू दोनों बोले, “फिर देर किस बात की ? जल्दी से इलाज कर दो। ”
कोयल ने पूछा, “पर मेरी फीस का क्या होगा ?”
उल्लू बोला, “मैं आपको मुंहमांगी फीस दूंगा। जल्दी से मुझे दवा दो। दर्द के मारे मेरी तो जान निकल रही है। “
कोयल कहती है, ” मैं पक्षियों में उल्लू पर भरोशा नहीं कर सकती। इसलिए कौए को इस बात की गारंटी देनी होगी कि ठीक हो जाने के बाद यदि उल्लू मेरी फीस नहीं दे तो कौए को देनी होगी। “
कौआ बोला, “मुझे आपकी बात मंजूर है, मैं जमानत देता हूँ। “
कोयल ने कहा, “इसी बात को आप लिखकर दो। “
कौआ कहा, “मुझे यह मंजूर है। आप जल्दी से इसका इलाज कर दो। “
कोयल ने कहा, “एक तालाब के किनारे बैठकर उल्लू को अपना माथा बार-बार पानी में भिगोना होगा। इससे जख्म साफ हो जाएगा और जल्दी ही भर जाएगा।
कौआ अपने दोस्त उल्लू को लेकर तालाब के किनारे पहुँचा। उल्लू ने अपने माथे को बार-बार पानी में डुबोना शुरू कर दिया। दो दिन में ही उल्लू का जख्म भर गया। ठीक हो जाने के बाद उल्लू और कौआ अपने-अपने घर चले गए। उन्होंने कोयल को धन्यवाद देना भी उचित नहीं समझा।
खैर, चार दिन बाद कोयल ने कौए से कहा, “तुम अपने दोस्त उल्लू को मेरे पास लाओ। मैं उसके जख्म को एक बार फिर देखना चाहती हूँ। “
अगले ही दिन कौआ उल्लू को लेकर कोयल के पास पंहुचा। कोयल ने जब उल्लू को एकदम ठीक-ठाक देखा तो वह बहुत खुश हुई और कहने लगी, “यह जख्म तो बहुत जल्दी ही एकदम ठीक हो गया है। मेरी फीस कब तक मिल जाएगी ?”
“कैसी फीस ?” उल्लू ने हैरान होकर कहा। “आपने मेरा कौन-सा इलाज किया है ? कौन सी दवाई मुझे खाने को दी थी ? माथे को पानी में डुबोने को आप इलाज कहती है ?”
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कोयल ने कहा, “मैं तुमसे ज्यादा बात करना नहीं चाहती। मैंने तुम्हारा इलाज किया और तुम अच्छे हो गए। अब मुझे अपनी फीस चाहिए। “
उल्लू बोला, “लेकिन मैं आपको कोई फीस नहीं देने को तैयार नहीं हूँ। “
कोयल ने कहा, “खैर, कोई बात नहीं। मैं अपनी फीस कौए से वसूल कर लूँगी। उसने तुम्हारी जमानत दी थी। “
इसी बीच कौआ बोल पड़ा, “लेकिन मेरे पास तो एक फूटी कौड़ी भी नहीं है। मैं आपको फीस कैसे दे सकता हूँ। “
जब कोई समझौता नहीं हुआ तो एक जज नियुक्त किया गया। जज ने सब बाते सुनने के बाद निर्णय लिया, “यदि कौआ कोयल की फीस देने की स्थिति में नहीं है तो वह आज से कोयल की सेवा और उसके बच्चों की देखभाल किया करेगा। जहाँ तक उल्लू का सवाल है, वह कभी भी दिन में अपना चेहरा किसी को नहीं दिखायेगा और हमेशा पेड़ो में छिपा रहेगा। उसे दिन में बहार निकलने के अधिकार से वंचित किया जाता है।
वह केवल रात के समय ही बहार निकला करेगा जिससे कोई उसका मनहूस चेहरा न देख सके। और कोई चारा न देखकर दोनों को ही जज की बात माननी पड़ी और आज तक उसका निर्वाह करते आ रहे है। कोयल ने भी उसी दिन से यह फैसला कर लिया कि वह कभी किसी के साथ उधार नहीं करेगी और “आज नगद, कल उधर ” के सिद्धांत पर चलेगी।
अपने बहुत ही अच्छी जानकारी साँझा की है आपके इस पोस्ट को पढ़कर बहुत अच्छा लगा और इस ब्लॉग की यह खास बात है कि जो भी लिखा जाता है वो बहुत ही understandable होता है.