दोस्तों आज हम आपको Short Story on Trees in Hindi एक ऐसी story है जो कि मानव इतिहास की सबसे बड़ा कटु सत्य है। यह वृक्षों के जीवन पर कहानी के रूपी जो अत्याचार या अपराध जो भी बोला जाए सब सत्य है। आज मानव इतिहास अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो को अंधाधुंध काटे जा रहा है जिसका परिणाम हमे भी इसी कहानी के जैसे दिखने को मिल सकता है। जो चलिए आप सभी इस कहानी का आनंद लीजिए और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी share करिए।
वृक्षों की बातें
(Short Story on Trees in Hindi )
एक जंगल में साल, सागौन , देवदारु आदि के बहुत से वृक्ष थे। अपनी घनी बस्ती में वे वृक्ष बोलते-बतियाते रहते थे। सभी सुख से रहते थे कि अचानक एक दिन उन्होंने पाया कि उनका जीवन खतरे में पड़ गया है। आठ-दस आदमी सबेरे से ही कुल्हाड़ी लेकर उनके अंगों पर आघात करते, फिर उन्हें जड़ से काटकर गिरा डालते।
इसी तरह से उन्होंने सारे के सारे वृक्ष काट-काटकर गिरा दिए। रह गए बस , दो साल , दो सागौन, एक वट, और एक देवदारु का वृक्ष। थोड़ी-थोड़ी दुरी पर स्थित ये वृक्ष अपने भाइयों की मृत्यु पर शोक मनाते रहते। ये न कुछ खाते और न पीते। परिणाम यह हुआ कि वे बहुत जल्द ही दुर्बल हो गए और उनके पत्ते भी पीले पड़ गए।
एक दिन साल वृक्ष वट से पूछने लगा– “दादा ! मैंने तो यह सुना था कि काटने पर प्रतिबन्ध है, पर अब तो इसका उल्टा ही हो रहा है। “
वट दादा अपनी जटाएं हिलाकर बोले — “हां बेटा ! कानून से तो हमारा काटना सख्त मना है , पर जो अधिकारी है, वे मनमानी करते है। खुद पैसा कमाने के लिए हमे कटवा देते है। “
“वह जो बड़ी-बड़ी मूंछो वाला, लाल-लाल आँखों वाला आदमी था , वही हमे कटवा रहा था न दादा। ” सागौन ने पेड़ से पूछा।
“हां ! तभी तो एक देवदारु को इतना गुस्सा आया था कि वह कटते-कटते लड़खड़ाकर जोर से उसके ऊपर ही गिर गया था। जरा-सा बच गया बच्चू , नहीं तो उस दिन भुर्ता ही बन गया होता उसका। ” साल ने उत्तर दिया।
“ये मनुष्य भी अपने स्वार्थ के लिए देश के साथ कैसी गद्दारी किया करते है…… न जाने कब सीखेंगे ये ईमानदारी से काम करना। ” सागौन बोला।
“जिस देश के नागरिक ईमानदारी से काम नहीं करते , अपने स्वार्थ को देख के हित से अधिक महत्व देते है, वह देश अवनति के गड्ढे में गिरता ही चला जाता है।” वट दादा कुछ गंभीर होकर बोले।
“हमे काटने का कुफल भी जल्दी ही इन्हे भोगना पड़ेगा। ” देवदारु गुस्से में भरकर बोला।
“वह कैसे ?” नन्हे साल ने पूछा।
“अरे ! क्या तुम नहीं जानते ? हमारे कारण ही तो बरसात होती है। हमारे कारण ही तो ये लोग जीवित रहते है। ” देवदारु का वृक्ष बोला।
“सो कैसे दादा ?” साल पूछने लगा।
“अरे बेटा ! कहाँ तक गिनाऊँ मैं कि हम इन मनुष्यों का क्या-क्या उपकार करते है ? संक्षेप में सुनो, सुनाता हूँ। हम दूषित वायु जिसे ये कार्बन डाई-ऑक्साइड कहते है ? उसे हम अंदर खिंच लेते है और बदले में उन्हें शुद्ध वायु ऑक्सीजन देते है। इससे ही मनुष्य जीवित रहते है। हम सूरज की रौशनी पीते है और उसे तरह-तरह के खाद्य के रूप में बदल देते है। हमारी प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के जादू से ही उन्हें अन्न, दाल , फल , चीनी आदि खाद्य पदार्थ मिलते है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि विविध खाद्य पदार्थों के लिए वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा में भी हम सहायक है। “
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“हां दादा ! यह तो मैं भी जनता हूँ कि हमारी पत्तियों से सूरज की किरणे भाप खींचती है और इससे ही वर्षा होती है। ” साल कहने लगा।
“जब हमे ये मनुष्य काट डालेंगे तो वर्षा कहाँ से होगी ? तुम्ही बताओ ? और जब वर्षा नहीं होगी , तो क्या ये मनुष्य भूखें न मरेंगे ?” देवदारु कहने लगा।
देवदारु की बात सच हुई। अगले वर्ष ऐसा सूखा पड़ा कि फसल ही न हो पाई। अमीरों ने तो अपने-अपने घर और गोदाम भर लिए थे, पर साधारण जनता अन्न के एक दाने-दाने के लिए तरसती रही।
एक दिन नन्हे साल ने देखा कि बहुत से मनुष्य उनके आस-पास इकट्ठे हो गए है। उनके सिर पर हरे-भरे गट्ठर थे। उनके हाथों में औजार थे। वे थोड़ी-थोड़ी दूर पर जमीन खोद रहे थे। हे भगवान ! अब पता नहीं क्या होने वाला है ? यह सोचकर साल वृक्ष कांप उठा। वह डर से चीखा — “दादा-दादा ! देखो यह क्या हो रहा है ?”
देवदारु ने उसे पुचकारते हुए कहा–“डरो नहीं बेटा ! आज डरने की कोई बात नहीं है। आज तो तुम्हे यह जानकर खुशी होगी कि हमारे आस-पास ये मनुष्य अनेक पौधे लगाने आए है। ठोकर खाकर अक्ल आ गई है अब उन्हें। कुछ ही समय में तुम देखोगे कि हमारी बस्ती खूब बढ़ गई है….. ।”
दादा की बात सुनकर न केवल साल ने अपितु सभी वृक्षों ने जोर-जोर से पत्ते हिलाकर तालियां बजाईं। वे सभी खुशी से झूमने और गाने लगे। आज तो उनकी खुशी की सीमा न थी।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह Short Story on Trees in Hindi आप सभी को। हमे उम्मीद है कि आप सभी इससे कुछ न कुछ जरूर सीखे होंगे। ऐसे ही Short Stories in Hindi के लिए हमारे website पर आते रहे।
गायत्री परिवार के द्वारा बाल निर्माण की कहानियां को हमारी तरफ से बहुत बहुत आभार।
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