अपकार का बदला | Small Bird Story in Hindi

दोस्तों आज हम आपको Bird Story in Hindi यह कहानी जिसका शीर्षक है अपकार का बदला। इस शीर्षक से ही प्रतीत होता है कि यह कहानी बदले की भावना रूपी कहानी है। आप सभी के लिए यह कहानी एक शिक्षाप्रद कहानी हो सकती है। इस Bird Story in Hindi से हमे बदले की भावना से होने वाले प्रभाव का ज्ञात होता है। तो चलिए आप सभी इस अपकार का बदला रूपी कहानी का आनंद लीजिए और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी शेयर करिए।

अपकार का बदला

(Small Bird Story in Hindi)

शांतिवन में अनेक पक्षी रहा करते थे। कहीं सेमल के एक पेड़ पर घोंसला बनाकर चुनियाँ नाम की एक चिड़िया रहा करती थी। एक दिन दोपहर के समय चुनियाँ फुदक-फुदककर गाना गा रही थी। उसकी सहेलियां भोजन की तलाश में गई हुई थी। सुबह चुनियाँ की तबियत बहुत खराब हो गई थी , इसलिए वह उनके साथ नहीं जा पाई थी। अब उसका जी जरा हल्का हुआ था, इसलिए वह घास में आकर गाने लगी थी।

सहसा ही हवा का तेज झोंका आया। चुनियाँ की आँख में एक तिनका पड़ गया। वह दर्द से घबरा गई। उसने जोर से आँख मली, जल्दी-जल्दी उसे खोला-बंद किया , पर तिनका फिर भी न निकला। चुनियाँ बड़ी परेशान हो गई। तभी उसने देखा कि सामने से मयूरजी चले आ रहे है।

चुनियाँ ने कहा–“मयूर भाई–मयूर भाई ! मेरी आँख में कुछ पड़ गया है। कृपया इसे जल्दी से निकालिए नहीं तो मैं अंधी हो जाउंगी। “

मयूर ने उसकी बात अनसुनी कर दी। उपेक्षा से चुनियाँ पर दृष्टि डालकर आगे बढ़ गया। रास्ते में वह बड़बड़ा रहा था –“हुँ – हुँ ! मैं निकालूंगा उस कलूटी-बदसूरत की आँख का तिनका। उसे अपनी औकात देखकर ही बात करनी चाहिए। “

मयूर वास्तव में बड़ा घमंडी था। वह छोटे-मोटे असुंदर पक्षियों से तो बात ही नहीं करता था। वह तोता, नीलकंठ, सारस आदि कुछ पक्षियों से ही मिलता-जुलता रहता था। यही कारण था कि चुनियाँ से बात करना और उसकी सहायता करना मयूर को अपमान लगता था।

चुनियाँ बेचारी बड़ी परेशान हुई। उसकी आँख से लगातार पानी बाह रहा था। शाम तक वह खूब फ़ैल गई और लाल हो गई जब उसकी सहेलियां वापस लौटीं , तब कहीं जाकर उन्होंने तिनका निकाला। उस आँख से उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

चिड़ियों को मयूर की बात सुनकर बड़ा गुस्सा आया। रन्नो अपनी आँखें लाल करके बोली–“न जाने किस बात का घमंड करते है। भगवान् की दृष्टि में सभी प्राणी बराबर है। उनके लिए न कोई छोटा है और न बड़ा। “

मानी चिड़िया कह रही थी — “घमंडी और अहंकारी प्राणी को भगवान् अवश्य दंड देता है। मयूर को भी एक न एक दिन बड़ा अच्छा सबक मिलेगा। “

चुनियाँ बोली –“जो मुसीबत पड़ने पर दूसरों की सहायता नहीं करता और मुँह फिराकर चला आता है, उससे बड़ा नीच और क्षुद्र दूसरा कोई नहीं है। “

सभी चिड़ियों ने चुनियाँ को ढांढ़स बंधाया। उन्होंने तरह-तरह की जड़ी-बूटी लाकर उसकी आँख में लगाई। चुनियाँ की आँख का दर्द थोड़ा कम हो गया , वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पा रही थी, इसलिए सभी चिड़ियों ने चुनियाँ से कह दिया था कि वह अब कुछ दिन तक खाना ढूंढने न जाए। वे सभी उसके लिए खाना ला दिया करेंगी।

अब चुनियाँ चार-पांच दिनों से पेड़ पर ही बैठी रहती। बैठी-बैठी वह भगवान् के भजन गाया करती। दुःख मुसीबत में ईश्वर को स्मरण करने से मन को बड़ा धीरज मिलता है और दुःख सहने की शक्ति बढ़ती है।

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एक दिन आकाश पर बादल छाए थे। हलकी-हलकी बूंदाबांदी हो रही थी। तभी चुनियाँ ने देखा कि सामने मयूर और मयूरी चले आ रहे है। बादलों को देखकर वे बड़े प्रसन्न हो रहे थे। जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी खुशी प्रकट कर रहे थे। कुछ ही देर बाद वे नाचने लगे और सुध-बुध खो बैठे।

“वाह ! क्या सुन्दर नाच है ? ” चुनियाँ के मुँह से निकला।

तभी चुनियाँ ने देखा कि कुछ मनुष्य चुपके-चुपके पीछे से मयूर की ओर बढ़ रहे है। चुनियाँ को पता था कि मनुष्य मोरों को पकड़ लेते है। उनके पंखो को निर्दयतापूर्वक नोंच लेते है, उन्हें बंदी बना लेते है। पलभर में ही उसके मन में यह बात कौंध गई कि ये लोग सब अब मयूर को पकड़ ले जायेंगे। मयूर नाच में बेसुध हो रहा था, उसे यह सब कुछ पता ही न था।

“अब खुद पर मुसीबत आएगी, तब पता चलेगा बच्चू। सारी सुंदरता छिन जाएगी, जब तुम्हारे पंख नोंचे जाएंगे। सारा का सारा घमंड चकनाचूर हो जाएगा। ” चुनियाँ मन ही मन बोली।

पर दूसरे ही पल इसकी कल्पना से ही वह कांप उठी। उसके मन ने कहा –“मुसीबत में पड़े हुए की सहायता करनी चाहिए। दूसरा तुम्हारे साथ बुरा करे तो किया करे, तुम अपनी भलाई क्यों छोड़ती हो ?”

सहेली की बातें रह-रहकर चुनियाँ के कानों में गूंज रही थीं –“जो मुसीबत पर दूसरों की सहायता नहीं करता और मुँह फिराकर चला जाता है, उससे बड़ा नीच और क्षुद्र दूसरा कोई नहीं। “

मयूर और मनुष्य के बीच अब बस चार-पांच कदम की ही दूरी रह गई थी। तभी चुनियाँ जोरों से चीखी–“मयूर भाई ! बचो भागो , तुम्हारे पीछे कुछ मनुष्य खड़े है। ये तुम्हे पकड़ने ही वाले है। “

मयूर का नाच सहसा रुक गया। उसने तुरंत पीछे मुड़कर देखा। मयूर और मयूरी दोनों भयभीत होकर तेजी से भागे और पास ही झाड़ियों में गायब हो गए। वे मनुष्य हाथ मलते हुए वहां से वापस चले गए।

बहुत देर बाद मयूर झाड़ियों में से निकला और बोला — “चुनियाँ बहन ! मैं तुम्हारा यह उपकार नहीं भूलूंगा। तुम चाहती तो चुप रहती, पर यह तुम्हारी महानता है कि तुमने अपना बुरा करने वाले का भी भला किया। उपकार करने वाले का भला सभी करते है, किन्तु अपकार करने वाले की भलाई कुछ महान ही कर पाते है। धन्य है ऐसे व्यक्ति जो दुश्मन का मन भी प्यार और सहानुभूति से जीत लेते है, उसे अपना बना लेते है। आज तुमने मेरी आँखे खोल दी है….। छोटी होकर भी तुमने मुझे बड़ी शिक्षा दे दी है। “

तभी शाम होने लगी। एक-एक करके सारी चिड़ियाँ सेमल के पेड़ पर आने लगी। मयूर के मुँह से उन्होंने सारी बात सुनी, तो चुनियाँ के प्रति उनका मन बड़ी श्रद्धा से भर उठा।

तो कैसी लगी आपको यह Bird Story in Hindi आप सभी को , उम्मीद है यह कहानी आप सभी जरूर पसंद आई होगी। इसे पढ़के आप सभी को पता ही चल गया होगा कि चाहे कोई कितनी भी बड़ी और छोटी मुसीबत में अगर है तो उसकी सहायता करना चाहिए। ऐसे ही शिक्षाप्रद कहानियां पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट में आते रहे।

गायत्री परिवार के द्वारा बाल निर्माण की कहानियां को हमारी तरफ से बहुत बहुत आभार।

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