दोस्तों आज हम आप सभी के लिए New Hindi Kahani जिसका शीर्षक “यह भी खूब रही “लेकर आये है। यह कहानी एक किम की है। दोस्तों यह New Hindi Kahani एक शिक्षाप्रद कहानी है। आप सभी इस New Hindi Kahani “यह भी खूब रही” को पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।
New Hindi Kahani Short Story
यह भी खूब रही
(New Hindi Kahani Short Story Hindi)
उत्तरी कोरिया के एक छोटे-से गाँव में किम और उसकी स्त्री बड़े मजे में रहते थे। किम ने पानी से चलने वाली आटा पीसने की चक्की लगा रखी थी। वह इस काम में बहुत होशियार था। कुछ सालों बाद वह अच्छा-खासा अमीर बन गया।
उत्तरी कोरिया की राजधानी सियोल देखने की उसकी बहुत इच्छा थी, पर अब तक वह अपनी इस इच्छा को दबाए बैठा था। अब उसे रुपये-पैसे की कमी तो थी नहीं इसलिए सोचा कि अब तो राजधानी देखने जरूर जाऊगाँ। जब वह तैयार होकर चलने लगा तो उसकी स्त्री कहने लगी कि मेरे लिए वहाँ से कोई बढ़िया-सी चीज लेते आना।
गाँव में तो किम खूब होशियार समझा जाता था, मोल-भाव करने भी वह एक ही था। लोग उसकी समझ की कदर करते थे। पर सियोल पहुँचते ही बड़े शहर को देखकर वह चकाचौंध (आश्चर्यचकित) हो गया। यहाँ उसने ऐसी-ऐसी चीजें देखीं जिनका उसने कभी नाम तक न सुना था। चुस्त चालाक शहरी लोगों में वह बुद्ध जैसा लगता था। उसके देहाती ढंग के कपड़े देखकर लोग हँसते थे।
जब उसने यहाँ के बड़े बाजार को देखा तो हैरानी से मुँह बिचकाकर और आँखें फाड़कर देखने लगा ।
उसे इस हालत में खड़े देखकर शहरी लोग उससे मजाक करने लगे। एक ने कहा– “क्यों भूक्खड़ जी, क्या आप चाँद का स्वाद लेने के लिए मुँह खोले खड़े हैं?”
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थोड़ी देर में वहाँ से कुछ लड़के गुजरे। कहने लगे– “ऐ पिजरा महाराज, जरा इस तरफ आइए। देखिए न यह चिड़िया अन्दर घुसने के लिए इंतजार कर रही है।” उसका मुँह अब भी खुले का खुला ही था।
किम का आज तक ऐसा तीखा मजाक किसी ने नहीं उड़ाया था। खैर धीरे-धीरे वह शहरियों के रहन-सहन और रीति-रिवाज सीख गया। अब वह अपने घर लौट आना चाहता था। घर ले जाने के लिए उसने कई बढ़िया चीजें खरीदीं।
एक दिन वह ढोलक खरीद रहा था, दुकानदार ने पहचान लिया कि यह कोई देहाती है। पहले तो उसने कीमत बढ़ाकर बताई और फिर उसने किम का मजाक उड़ाने की सोची। कहने लगा-“देहाती भाई, देखो उस गली के मोड़ पर एक अनोखी दुकान है। वहाँ तुम्हें ऐसी-ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी जो तुमने आज तक न देखी होंगी।
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किम बताये हुए रास्ते से उस दुकान पर पहुँचा। अन्दर घुसते ही उसकी नजर चाँद की तरह गोल, एक चीज पर पड़ी। जब उसने उसके पास जाकर उसकी देखा तो उसमें एक आदमी का चेहरा दिखाई दिया। यह चेहरा उसके पिता से बहुत कुछ मिलता-जुलता था। किम ने सोचा — पिता जी तो अब रहे नहीं, उनकी यादगार के लिए उनका चेहरा बड़ी अच्छी चीज होगी। उसने इस गोल-मोल चमकीली चीज को खरीद लिया।
किम वापस अपने गाँव आ पहुँचा। नए-नए उपहारों से उसने अपनी पत्नी को लाद दिया । वह जो कुछ भी सियोल से खरीद लाया था, सभी कुछ अपनी पत्नी के हवाले कर दिया? केवल वह गोल-मोल चमकीली चीज उसने अपने पास रहने दी। क्योंकि वह तो उसके पिता की तस्वीर थी। वह तो उसी के पास रहनी चाहिए थी। उसे सम्भाल कर उसने अपने सूटकेस में रख लिया।
दूसरे दिन जब वह अपनी चक्की पर काम करने चला गया तो उसकी स्त्री ने उसके सूट केस को खोला और देखने लगी कि वह और क्या कुछ लाया है।
“अच्छा, यह बात ! वह तो दूसरी औरत ले आया है। शायद मुझे छोड़ देना चाहता है! उस गोल और चमकीली चीज में देखते हुए उसने कहा। इसके बाद उसे लेकर वह अपनी सास के पास गई ताकि बेटे की करतूत माँ को भी मालूम हो जाएं। चोर की तरह उसे भी उसमें अपना ही चेहरा दिखाई दिया। “मैं इस बुढ़िया को अपने घर में नहीं ! रहने दूँगी।” बुढ़िया चिल्लाई। “यहाँ अपना ही गुजारा मुश्किल से हो पाता है। इस बुढ़िया को कहाँ से खिलाएँ-पिलाएँगे।”
दोपहर को जब किम आया तो पत्नी बाघनी की तरह उस पर बरस पड़ी। वह सख्त स्वभाव की औरत थी और आज उसका गुस्सा हद को पार कर गया था। वह अपने पति को खींचकर साथ लेकर कचहरी जा पहुँची।
वहाँ उसके अपने पति पर उसके रहते दूसरी स्त्री लाने और उसके कारण घर की शान्ति को नष्ट करने का मुकदमा दायर किया। जज ने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि वह दूसरी स्त्री लाया है? उसने वह गोल, चमकीला टुकड़ा सामने कर दिया।
देहाती यद्यपि इम्तहान के दिनों, कुछ दिन सियोल में रहा था. परन्तु फिर भी उसने कभी शीशा नहीं देखा था। जब उसने शीशे को अपनी आँखों के सामने किया तो गुस्से के कारण डरावना दिखाई देने लगा।
सामने उसे जज की पोशाक पहने एक आदमी दिखाई दिया। उसे देखकर उसे पूरा विश्वास हो गया कि उसकी जगह दूसरा जज आ गया है और उसे काम से जवाब मिल जायेगा ।
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गुस्से के कारण उसके होंठ थरथराने लगे। मुँह से बात तक नहीं निकलती थी। कचहरी में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। इस समय चपरासी ने आकर बताया कि कचहरियों के बड़े इंस्पेक्टर साहब जजों के काम की देख-रेख करने आ रहे हैं।
बड़े इंस्पेक्टर साहब कचहरी में आ पहुँचे । अन्दर पहुँचते ही देखा कि जज साहब गुस्से में भरे बैठे हैं। पूछताछ करने पर उन्हें सारी बात मालूम हो गई।
बड़े इंस्पेक्टर साहब सियोल से आ रहे थे। वे शीशे का प्रयोग जानते थे। कचहरी में उस समय जितने लोग थे उन्होंने सभी को समझाया कि यह शीशा है। किम इसे सियोल से खरीद लाया होगा। इसमें उसी वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है जो इसके सामने लाई जाय।
किम को उसमें अपना चेहरा दिखाई दिया। उसने समझा कि वह उसके स्वर्गीय पिता की तस्वीर है। क्योंकि उसका चेहरा अपने पिता से काफी मिलता था। उसकी स्त्री ने देखा तो उसे एक स्त्री दिखाई दी। उसने समझा उसका पति उसके लिए सौत लाया है। बुढ़िया ने देखा तो उसे बुढ़िया दिखाई दी और यही हाल जज साहब का हुआ ।
इंस्पेक्टर साहब के बताने पर सभी अपनी-अपनी मूर्खता पर हँसने लगे और वहाँ जितने लोग थे, हँस-हँसकर उन सबके पेट में बल पड़ गए।
दोस्तों कैसी लगी New Hindi Kahani अर्थात यह भी खूब रही कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह New Hindi Kahani आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Hindi Kahani जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।