दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक Funny Story in Hindi लेकर आये है। यह कहानी जैक नामक एक इंसान की कहानी है जो बुद्धू के साथ-साथ आलसी भी है। दोस्तों यह बहुत मजेदार कहानी है। आप सभी इस Funny Story in Hindi को पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।
New Funny Story in Hindi –
किस्मत के कड़छे
( Best Funny Story in Hindi)
जैक नाम का एक लड़का था। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी। घर में वह और उसकी माँ दो ही लोग थे। जैक के पिता का बनाया हुआ गुजारे लायक मकान तो अपना ही था, पर खाने-पहनने की काफी तँगी थी। किसी तरह दिन कट रहे थे, बरसात में मकान की छत गिर पड़ी। कठिनाई में कहीं एक जून आध-पेटी रोटी मिलती थी, फिर मकान की मरम्मत कौन करवाता और कैसे करवाता ?
जैक की माँ बेचारी गाँव वालों का सूत कातती और उससे जो कुछ मिल जाता, उसी से माँ-बेटा गुजर-बसर करते। जैक वैसे तो अब कुछ कमाने लायक हो गया था, पर वह था पक्का आलसी । काम करने का नाम न लेता । जिस दिन धूप होती, वह दिन-भर बैठा धूप सेंकता और अगर बादल या वर्षा होती तो दिन-भर चूल्हे के पास बैठा आग सेंकता। मतलब यह कि दिन-भर धूप सेंकता या आग सेंकता और कोई काम नहीं करता था। इसीलिए गाँव-भर के लोग उसे ‘आलसी जैक’ कहकर पुकारते थे।
एक दिन उसके इस आलसीपन से तंग आकर उसकी माँ ने कहा– ‘बेटा जैक! इस तरह कब तक कटेगी। अब तुम स्थाने हो गए हो। देखते नहीं हो, कि तुम्हारी उम्र के दूसरे लड़के कितना कमा लाते हैं। मुझसे अब यह गाड़ी ज्यादा दिन नहीं खींची जायेगी। तुम भी कुछ कमाओ, ताकि भरपेट रोटी तो मिले, आखिर मैं ही कब तक तुम्हें कमाकर खिलाती रहूँगी। बूढ़ी हो गई हूँ। क्या मालूम किस दिन यम निकल जाय।
Funny Story in Hindi
दूसरे दिन जैक दोपहर की रोटी बाँधकर काम की तलाश में निकल पड़ा। वह एक किसान के पास गया और उससे कुछ काम लेने को कहा। किसान ने उसे अपने साथ काम में लगा लिया। वह दिन-भर खूब काम करता रहा। शाम को छुट्टी का समय हुआ, तो किसान ने उसे मजदूरी में एक पेनी (एक आने के बराबर का अंग्रेजी सिक्का) दी।
आज जैक की खुशी का ठिकाना नहीं था। आखिर उसने अपने हाथ-पैर हिलाकर एक पेनी कमा ली थी। वह सोच रहा था–“देखूँगा, अब मुझे कोई आलसी कैसे कहता है? और माँ, आज बहुत खुश होगी।” वह जल्दी-जल्दी पग उठाता जा रहा था। आज तो सचमुच उसमें आलस्य का नाम तक न था। मजदूरी की एक पैनी उसके हाथ में थी और वह मारे खुशी के उसे उछालता जा रहा था।
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रास्ते में एक नाला पड़ता था। उसे पार करते समय गरीब की यह दिन-भर की कमाई पानी में जा गिरी। अब क्या करता? बेचारा मुँह लटकाये घर की ओर चल पड़ा। कदमों में अब तेजी नहीं थी। सारी खुशी काफूर हो गई। अब वह माँ को क्या कहकर मुँह दिखाएगा।
जब वह घर पहुँचा और सारी बात माँ को सुनाई तो माँ ने कहा– “तुम भी कितने नासमझ हो। भला उसे हाथ में क्यों रखा था। जेब किस लिए होती है। उसमें डालते तो कैसे गिर जाती ? खैर, आगे ध्यान रखना।”
“माँ अब की माफ कर दो, आगे को ऐसा ही करूँगा।” जैक ने जवाब दिया।
दूसरे दिन वह फिर काम की तलाश में निकला तो उसे एक ग्वाले के पास काम मिल गया। शाम को ग्वाले ने उसे मजदूरी का दूध दे दिया। जैक ने बिना सोचे-समझे दूध के बर्तन को अपनी कोट की जेब में रख लिया और घर की ओर चल पड़ा। छलक छलक कर सारा दूध रास्ते में गिरता रहा। जब वह घर पहुँच कर बर्तन को देखा तो वह खाली हो गया था।
माँ ने सारी बात सुनी तो जल-भुन गई। कहने लगी– “तुम भी निरे बुद्ध हो। दूध के बर्तन को तो सिर पर उठाकर लाना चाहिए था। “
“बहुत अच्छा” जैक ने कहा– “आगे कभी गलती नहीं करूँगा।”
तीसरे दिन वह फिर पहले किसान के पास पहुँचा। किसान दिन ‘भर उससे काम करवाता रहा। शाम को उसने मजदूरी के बदले कुछ मक्खन दे दिया। जैक को पेनी के बदले मक्खन का मिलना कुछ अच्छा तो नहीं लगा, पर वह कुछ बोला नहीं। चुपचाप घर की ओर चल पड़ा।
इस बार उसने मक्खन को सिर पर रख लिया क्योंकि पिछले दिन ही तो माँ ने कहा था कि दूध के बर्तन को सिर पर रखकर लाना चाहिए था। सारे का सारा मक्खन नष्ट हो गया। उसमें से कुछ तो गिर गया और बाकी पिघल कर जैक के सिर के बालों में जा लगा। वह घर पहुँचा, तो फिर हाथ खाली के खाली।
माँ ने सारी बात सुनी तो बहुत गुस्सा आया। आज जैक को रोज से ज्यादा झाड़ खानी पड़ी– “बेबकूफ, बुद्ध, उजड्ड, गधा।” माँ ने उसके कई नाम गिना दिए। फिर कहने लगी– “तुम हमेशा गलत तरीके से चीजों को लाते हो। कितनी बार समझाया पर, याद ही नहीं रखते हो। तुम्हें उसे सँभाल कर हाथ में लाना चाहिए था।”
“अच्छा माँ जो हुआ सो हुआ, अब कभी नहीं भूलूँगा।” जैक बोला ।
अगले दिन वह काम ढूंढता हुआ एक बेकरी (जहाँ डबल रोटियाँ बनती हैं) में पहुँचा। दिन-भर खूब काम करता रहा। बेकरी के मालिक ने एक बिल्ली पाल रखी थी। पर अब वह उसे नहीं रखना चाहता था। जैक को वह बहुत अच्छी लगी। उसने दिन-भर की मजूरी के बदले बिल्ली माँगी। मालिक तो पहले ही उसे निकालने को तैयार था। उसने खुशी-खुशी बिल्ली जैक के हवाले कर दी ।
New Funny Story in Hindi
जैक ने उसे दोनों हाथों में पकड़ा और घर की राह ली। उसे कल की माँ की बात याद थी कि चीज़ों को सम्भाल कर हाथ में लाना चाहिए। पर बिल्ली तो बिल्ली ठहरी, उसने अपने तीखे नाखूनों से जैक के हाथों को बुरी तरह खरोंच डाला और मौका पाकर छूटकर भाग निकली। जैक बेचारा फिर खाली का खाली माँ के पास जा खड़ा हुआ। माँ को देने के लिए उसके हाथों में फिर कुछ नहीं था।
उसने रोते हुए बिल्ली की कहानी माँ को सुना दी। खून से लथपथ हाथ भी आगे कर दिए। माँ को उस पर गुस्सा तो बहुत आया पर हाथों को देखकर फिर तरस आ गया। आखिर तो वह जैक की माँ ही थी। कहने लगी– “क्या तुम्हें इतना पता नहीं कि बिल्ली को इस तरह हाथों में पकड़कर नहीं लाना चाहिए। इसे तो गले में रस्सी बाँध कर लाना चाहिए था। तुम्हें कितनी बार समझाया पर तुम्हारी खोपड़ी में तो भूसा भरा हुआ है। कुछ समझते ही नहीं हो। अब आगे कभी ऐसी गलती न करना।”
अगले दिन जैक एक माँस बेचने वाले की दुकान पर काम करता रहा। उसने जैक को मजदूरी के बदले मांस का एक बड़ा-सा टुकड़ा दे दिया। जैक ने माँ की कल की सीख को याद किया और एक रस्सी का टुकड़ा लेकर मांस को उससे बाँध कर रस्सी पकड़ कर घसीटता हुआ घर की ओर चल पड़ा। आज वह बहुत खुश था, क्योंकि आज वह खाली हाथ नहीं था।
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पर माँ के गुस्से का फिर ठिकाना न रहा । घिसटते-घिसटते वह मांस किसी काम का न रह गया था। आज दोनों को भूखे पेट रहना पड़ा। माँ ने उसे डाँटते हुए कहा — “मैंने तुम्हे बिल्ली को रस्सी से बांधकर लाने को कहा था तुम मांस को बांध कर ले आये , क्या तुम्हे एक मांस के टुकड़े और एक बिल्ली के बीच का फर्क नहीं समझ आता।” माँस को तुम्हें कन्धे पर उठाकर लाना चाहिए था।”
जैक ने फिर वही रोज वाला जवाब दोहरा दिया कि “आगे कभी नहीं भूलूँगा।”
आखिरी बार वह एक गाय, बकरियाँ पालने वाले के पास पहुँचा। उसने उसे एक गधे का बच्चा दिया। जैक याद करने लगा कि उसकी माँ ने उसे क्या कहा था। उसने गधे को अपने कँधे पर रखा और घर की राह ली। गधे ने दुलत्तियाँ मार-मारकर जैक का बुरा हाल कर डाला। जैक बड़ी मुसीबत में पड़ा कि अब क्या किया जाए। इसे घर तक कैसे पहुँचाएँ? रास्ते चलते लोग गधे को कन्धे पर उठाया देखकर उस पर हँसते। पर जैक फिर भी नहीं समझ पाया कि लोग उसकी मूर्खता पर हँस रहे हैं।
जैक के रास्ते में एक अमीर की कोठी पड़ती थी। उस अमीर की एक लड़की थी। वह पिछले कई महीने से बीमार रहने के कारण बहरी और गूँगी हो गई थी। वह सदा उदास रहती थी। कभी हँसती नहीं थी । बड़े-बड़े डाक्टर आए पर उसको ठीक न कर सके। आखिर एक डाक्टर ने कहा– “अगर कोई इसे जोर से हँसा देगा तो इसे सुनाई भी देने लगेगा और इसका गूँगापन भी दूर हो जाएगा। फिर क्या था । एक के बाद एक कई मसखरे आए। पर वह न हँसी। आखिर उसका पिता निराश होकर बैठ गया।
जिस समय जैक उस कोठी के आगे से निकल रहा था, वह लड़की खिड़की में खड़ी थी। उसने देखा कि जैक कँधे पर गधा उठाए जा रहा है। उसे हँसी आ गई। वह इतने जोर से खिलखिला कर हँसने लगी कि घर-भर के लोग सुन कर इकट्ठे हो गए कि आज कौन-सी बात हो गई है, जिससे लड़की हँस पड़ी। जब उसका पिता उसके पास आया तो वह बताने लगी कि उसे किस बात पर हँसी आई।
उसके पिता की खुशी का ठिकाना न रहा, जब उसने देखा कि लड़की पहले ही की तरह बोलने और सुनने लगी है। वह दौड़ा-दौड़ा जैक के पास गया और कहने लगा-“मैं तुम्हारा बहुत एहसानमन्द हूँ। आखिर तुमने मेरी लड़की को हँसा ही दिया। इस हँसने से उसका गूँगापन और बहरापन ठीक हो गया है। मैं चाहता हूँ कि तुम उसके साथ शादी कर लो। “
जैक की शादी इस आमिर लड़की से हो गई और दोनों मजे से रहने लगे। जैक की माँ के भी दुःख के दिन खत्म हुए। जैक और उसकी पत्नी उसकी खूब सेवा करते। अब सभी जैक की कदर करते। कोई उसे “आलसी जैक ” न कहता था।
दोस्तों कैसी लगी Funny Story in Hindi अर्थात किस्मत के कड़छे कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह मजेदार कहानी आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Funny Story in Hindi जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।
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