दुष्ट बालक | Short Moral Story For Kids in Hindi

दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक Short Moral Story For Kids in Hindi लेकर आये है। यह कहानी दुष्ट बालकों की है जो दुसरो को हानि पहुंचाते है। यह एक शिक्षप्रद कहानी है तो आप सभी इसे पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।

Short Moral Story For Kids in Hindi

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अधम बालक

(Short Moral Story For Kids in Hindi)

वर्षा के दिन थे। तालाब लबालब भरा हुआ था। मेंढक किनारे पर बैठे एक स्वर से टर्र-टर्र कर रहे थे। कुछ लड़के स्नान करने गए। वे पानी में कूदे और तैरने लगे। उनमे से एक ने पत्थर उठाया और एक मेंढक को दे मारा। मेंढक कूदकर पानी में चला गया। मेंढक का कूदना देखकर लड़के को बड़ा मजा आया। वह बार-बार मेंढकों को पत्थर मारने और उन्हें कूदते देखकर हँसने लगा।

पत्थर लगने से बेचारे मेंढकों को चोट लगती थी। उनको मनुष्य की भाषा बोलनी आती तो अवश्य वे लड़के से प्रार्थना करते और शायद उसे गाली भी देते। लेकिन बेचारे क्या करें। चोट लगती थी और प्राण बचाने के लिए वे पानी में कूद जाते थे। अपनी पीड़ा को सह लेने के सिवा उनके पास कोई उपाय ही नहीं था।

लड़का नहीं जानता था कि इस प्रकार खेल में मेंढकों को पत्थर मारना या कीड़े-मकोड़े, पतिंगे आदि को तंग करना अथवा उनकी जान ले लेना बहुत बड़ा पाप है। जो पाप करता है , उसे बहुत दुःख भोगना पड़ता है और मरने के बाद यमराज के दूत उसे पकड़कर नरक में ले जाते है। वहां उसे बड़े-बड़े कष्ट भोगने पड़ते है। लड़के को तो मेंढकों को पत्थर मारना खेल जान पड़ता था। वह उन्हें बार-बार पत्थर मानता ही जाता था।

Short Moral Story For Kids in Hindi

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“इसे पकड़ ले चलो। ” लड़के ने पीछे से जो यह बात सुनी तो मुड़कर देखने लगा। उसने देखा कि तीन यमदूत खड़े है। काले-काले यमदूत। लाल-लाल आँखे। बड़े-बड़े दांत। टेढ़ी नाक। हाथों में मोटे-मोटे डंडे और रस्सी। लड़का उन्हें देखते ही डर गया। उसने साथियों को पुकारा , पर वहां कोई नहीं था। वह खेलने में लग गया था और अन्य लड़के स्नान करके चले गए थे।

“पकड़ लो इसे। ” एक यमदूत ने दूसरे से कहा।

“यह तो गुबरैले-जैसा घिनौना है। ” यमदूत ने मुख बनाकर पकड़ना अस्वीकार किया।

“यह बहुत बड़ा पापी इंसान है, मैं इसे नहीं छू सकता। मेरे हाथ गंदे हो जाएंगे।” तीसरे ने कहा।

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“तब इसे फंदे में बांध लो और घसीटते हुए ले चलो। ” पहले ने सलाह दी। लड़का यह सब सुन रहा था। उसके प्राण मानो निकले जा रहे थे। उसने बड़ा साहस करके पूछा–“मुझे कहाँ ले जाओगे ?”

“नरक में। जहाँ सब पापी जीते ही तेल में पकाये जाते है पकौड़े के समान। ” एक यमदूत गरजकर बोला।

“पकौड़े के समान। ” लड़के को माता का पकौड़ा बनाना स्मरण आया। “बाप रे ! मैं पकौड़े के समान पकाया जाऊंगा। “

“मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? मुझे छोड़ दो। ” लड़के ने गिड़गिड़ा कर प्रार्थना की।

Short Moral Story For Kids in Hindi

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“तू पापी है। तू महा अधम है। अब यदि कभी पाप न करे तो छोड़ दे। ” यमदूतों ने बड़े से कहा।

“मैं शपथ खाता हूँ, कभी पाप न करूँगा। ” लड़के ने बिना देर किए दोनों कान पकड़कर प्रतिज्ञा की। यमदूत तुरंत छू-मंतर हो गए। लड़का भागा-भागा घर आया। उसने अपनी माता को सब बाते बताकर पूछा–“माँ, मैंने कौन-सा पाप किया है ?”

माता ने कहा–“बेटा ! निरपराध मेंढको को मार-मारकर तू बड़ा पाप कर रहा था। किसी भी निरपराध को कष्ट देना महा पाप है। ”

शिक्षा : इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दूसरों को हानि पहुँचाना एक पाप होता है बल्कि हमें जरूरतमंद की सहायता करनी चाहिए।

तो दोस्तों कैसी लगी Short Moral Story For Kids in Hindi अर्थात अधम बालक की कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह शिक्षाप्रद कहानी आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Short Moral Story For Kids in Hindi जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।

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