सबको बुद्धू बनाया | Very Funny Story in Hindi

दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक Funny Story in Hindi लेकर आये है। यह कहानी बहुत मजेदार है यह आपका मनोरंजन करेगी। आप सभी इस Funny Story in Hindi को पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।

Funny Story in Hindi –

Funny story in hindi
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सबको बुद्धू बनाया

(Funny Story in Hindi)

बात बहुत पहले की है। डेनमार्क में एक राजा राज करता था। इस राजा को बढ़िया-से-बढ़िया और नित नये कपड़े पहनने का शौक था। जब देखो नया सूट, नया डिजाइन और नया फैशन। एक-से-एक बढ़िया उसके पास सैकड़ों सूट थे। फिर नित नया खरीदना । उसने कई दर्जी सूट सीने के लिए रख रखे थे, उसकी कपड़ों के शौक की यह बात दूर-दूर तक फैल चुकी थी।

एक दिन दो ठग उसकी राजधानी में आए। उन्हें पता लगा कि राजा कपड़ों का बड़ा शौकीन है। उन्होंने राजा को ठगने की एक तरकीब सोच निकाली।

दूसरे दिन वे राजमहल में जा पहुँचे। कहने लगे कि “बढ़िया से बढ़िया कपड़ा बुनने वाले जुलाहे हैं। कहें तो एक-से-एक बढ़िया कपड़ा बुन कर दिखा दें। नया डिजाइन, नया रंग और मजबूत इतने कि टूटने का नाम न लें। राजा साहब! एक बार हमारे हाथ का बुना कपड़ा पहन लेंगे तो फिर किसी और का बुना उन्हें पसंद नहीं आएगा।” यह बात तो उन्होंने ऐसी कही कि राजा के मन में बैठ गई। कहने लगे–“महाराज ! हम राजा-महाराजाओं के लिए एक खास किस्म का कपड़ा भी बनाते हैं। बस, उसे जादू का ही कपड़ा समझिए। हर कोई तो उसे देख ही नहीं सकता।

वह तो सिर्फ समझदार और अपने काम में होशियार आदमियों को ही दिखाई देता है। बेवकूफ और अपने ओहदे के नाकाबिल आदमियों को वह बिल्कुल दिखाई ही नहीं देगा।”

कपड़ों का शौकीन राजा उन जुलाहों की बातें सुनकर बहुत खुश हुआ। सोचने लगा– ‘एक पंथ दो काज।’ एक तो बढ़िया कपड़े पहनने को मिलेंगे, फिर यह भी पता लग जायेगा कि कौन वजीर मूर्ख और वजीरी करने से नाकाबिल है। अफसरों की भी पहचान हो जाएगी।

उसने झट से जुलाहों को हुक्म दिया कि वे अपना जादू का कपड़ा बुनना शुरू करें। काम शुरू करने के लिए बहुत-से रुपये दे दिये । महल के भीतर ही खड्डी लगाने के लिए एक कमरा खाली करवा दिया और कह दिया कि अब देर नहीं होनी चाहिए। रुपयों की और जरूरत पड़े तो माँग लेना और कपड़ा बनाने में कोई कसर न रखना ।

ठग मन-ही-मन खुश हो रहे थे। उन्होंने अपनी खड्डी लगा ली और कपड़ा बुनने की तैयारी करने लगे। दूसरे ही दिन ठक-ठक खड्डी चलने लगी। उन्होंने शाम तक खूब डटकर काम किया और दिन डूबा तो उठकर शहर की सैर को निकले। राजा से रेशम खरीदने के लिए जितना रुपया मिला था खूब खाया उड़ाया।

Funny Story in Hindi

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कुछ दिनों बाद राजा ने सोचा, देखें तो सही कपड़ा कितना और कैसा बुना गया? लेकिन फिर ख्याल आया कि यह कोई ऐसा कपड़ा तो है नहीं। क्या मालूम मुझे दिखाई दे या नहीं? अगर कहीं न दिखाई दिया तो मैं मूर्ख और राजगद्दी के लिए नाकाबिल समझा जाऊँगा । यही सोचकर राजा अपने आप देखने जाने से घबराया। उसने सारे वजीरों का ख्यात किया कि किसको पहले भेजूँ? फिर एक पुराने और समझदार वजीर को चुना कि वही सबसे पहले कपड़ा देखे । राजा का विचार था कि यह बूढ़ा वजीर समझदार होने के साथ ही वजीरी करने के भी काबिल है। इसलिए उसे जरूर कपड़ा दिखाई देगा।

उसने वजीर को बुलाया और हुक्म दिया, “जाकर देखो कि कपड़ा कितना और कैसा बुना गया है।”

बूढ़ा वजीर जुलाहों के कमरे में पहुँचा। खड्डी ठक-ठक का शोर करती चल रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि काम बड़े जोर-शोर से हो रहा है। पर जब पास जाकर देखा तो उसकी हैरानी का ठिकाना न रहा। खड्डी पर सूत का नाम निशान तक नहीं था। जुलाहे उसे खाली ही चलाए जा रहे थे। मूर्ख और नाकाबिल आदमियों को यह कपड़ा न दिखाई देने की बात उसे मालूम ही थी।

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सोचने लगा कि अगर मैं यह कहूँगा कि मुझे तो कपड़ा दिखाई ही नहीं दिया तो राजा मुझे मूर्ख और वजीर के काम के नाकाबिल समझेगा। खैर, वह खड्डी के बिल्कुल पास जाकर देखने लगा। पर वहाँ तो कुछ भी नहीं था, जो दिखाई देता। जुलाहे इस समय भी खड्डी चलाए जा रहे थे। वजीर ने कहा कि सचमुच कपड़ा बहुत बढ़िया है। रंग और डिजाइन की भी उसने खूब तारीफ की और फिर ऐसा कपड़ा बुनने वाले जुलाहों की भी तो तारीफ करनी ही चाहिए थी। वजीर साहब ने वह भी कर दी।

वजीर जब वापस जाने लगा तो जुलाहों ने कहा कि वजीर साहब कपड़ा तो आप देख ही चले कि कितना बढ़िया है। अब राजा साहब से कहिए कि कुछ रुपये और भिजवा दें।

बूढ़ा वजीर राजा के पास गया और कहने लगा कि कपड़ा वाकई बढ़िया है। राजा ने जुलाहों को और बहुत-से रुपये भिजवा दिये।

दो-तीन दिन बाद राजा ने दूसरे वजीर को भेजा कि जाकर देख आए कि काम ठीक से हो रहा है या नहीं। दिखाई तो उसे भी कुछ नहीं दिया पर सच्ची बात कहकर मूर्ख कौन बनता? उसने भी आकर कह दिया कपड़ा बहुत ही अनोखा है।

राजा ने सोचा कि अगर दोनों वजीरों को कपड़ा दिखाई दे गया तो इसका मतलब है कि वजीर अपना काम करने के काबिल हैं। तो फिर कोई वजह नहीं कि मुझे वह कपड़ा दिखाई न दे। मैं भी तो अपने काम में खूब होशियार हूँ। यह सोचकर राजा भी कपड़ा बुनने की जगह पहुँचा। जुलाहे उसी तरह ठक-ठक करते खड्डी चला रहे थे।

पर वहाँ कुछ होता तो दिखाई भी देता। राजा ने सोचा- हो सकता है मैं ही मूर्ख होऊँ या अपने काम के नाकाबिल होऊँ । वह सोच ही रहा था कि क्या कहे और क्या न कहे कि उनमें से एक जुलाहा पास आकर खड़ा हो गया और प्रणाम करके पूछने लगा कि “कहिए, महाराज! आपको कपड़ा पसन्द आया या नहीं? महाराज को इसका डिजाइन और बार्डर कैसे लगे?”

“हाँ, हाँ” राजा ने झट से जवाब दिया। उन जुलाहों ने मन-ही-मन सोचा कि राजा को कुछ दिखाई तो दिया नहीं है, वैसे ही कह रहे हैं। फिर पूछने लगे– “क्या आपने कभी इतना बारीक और इतने बढ़िया डिजाइन का कपड़ा आगे भी देखा है?”

“नहीं, मैंने आज तक इतना बढ़िया कपड़ा नहीं देखा था ।” राजा ने उत्तर दिया।

कुछ ही दिनों बाद घोड़े पर राजा साहब की सवारी का जुलूस निकाल कर उसे सारे शहर में घुमाना था। उन ठग जुलाहों को यह बात मालूम थी और उन्हें यह भी पता था कि राजा साहब हमेशा ही ऐसे मौके पर बढ़िया नए कपड़े पहनते हैं। उन्होंने राजा को विश्वास दिलाया कि उस दिन तक यह नए कपड़े सिलकर तैयार हो जायेंगे। राजा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ ।

अगले दिन उन ठगों ने अपने साथी तीसरे ठग को बुला लिया और कहने लगे कि यह करीगर दर्जी है। यह इस सूट को सीएगा। इधर सूट सिलने की बात तय हो गई, तो राजा ने ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो इस अनोखे कपड़े को देखना चाहे आकर देख ले। फिर क्या था, देखने वालों की भीड़ जमा हो गई। पर उनमें से किसी को भी कुछ दिखाई न दिया। इस पर भी किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि सीधी-सच्ची बात छिपा कर झूठ-मूठ तारीफ करने लगते।

दर्जी रात-भर कटाई-सिलाई के काम में लगा रहा। वह अपनी लम्बी और तेज कैंची से हवा में कपड़ा काटने जैसे हाथ चलाता । उसके बाद सुई हाथ में लेकर ऐसा करता जैसे धागा पिरो रहा हो। पर देखने वालों को तो न धागा दिखाई देता और न ही कपड़ा। फिर इस तरह हाथ चलता जैसे कुछ सी रहा हो। सारी रात यही कुछ होता रहा। सुबह होते ही उन्होंने राजा को कहला भेजा कि सूट सिलकर तैयार है।

पहन कर देख लें, ताकि बड़ी उतावली से उसी समय सूट देखने आ पहुँचा। राजा के भीतर आते ही दर्जी ने कोट उठाने, बाजू फैलाकर पहनाने और बटन बन्द करके आगे-पीछे देखने का नाटक किया। फिर पूछने लगा कि, “कहिए महाराज! आपका यह सूट कैसा रहा है?”

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यह बिल्कुल अनोखा है। राजा ने जवाब दिया, “यह तो मकड़ी के जाले से भी हल्का है।” ऐसा लग रहा है कि मैंने कुछ पहन ही नहीं रखा है।”

सूट पहन कर राजा शीशे के सामने जा खड़ा हुआ और देखने लगा। आस-पास खड़े सब लोग सूट की तरफ देखने लगे। कुछ ने कहा- ‘बड़ा सज रहा है।’ कुछ ने सिलाई की तारीफ की तो कुछ कपड़े की बारीकी और रंग की तारीफ करने लगे ।

उधर सवारी निकलने का समय हो रहा था। राजा साहब सूट पहने घोड़े पर जा बैठे। सड़क के दोनों ओर जनता कतारें बनाकर खड़ी थी और एकटक राजा साहब को देख रही थी। सभी एक-दूसरे से कहते कि “इस नए सूट में राजा साहब बहुत अच्छे लग रहे हैं! हमें तो इस बात की हैरानी है कि जुलाहों ने इतना बारीक कपड़ा कैसे बुना? जरा रंग और डिजाइन तो देखो कितने गजब का है? हमने तो कभी ऐसा कपड़ा देखा भी नहीं था।”

सभी अपनी मूर्खता छिपाने के लिए तरह-तरह की बातें कर रहे थे। एक भी ऐसा साहसी न निकला, जो दिल की सच्ची बात कह सकता। राजा साहब शहर में घोड़े पर बैठे घूमते रहे ।

आखिर एक छोटा लड़का दौड़ता हुआ आया और अपने पिता से चिल्लाकर कहने लगा-‘देखो पिताजी’ आज हमारे राजा साहब बिना कोट-पेंट पहने ही क्यों घोड़े पर बैठे घूम रहे हैं। रोज तो वे बहुत बढ़िया-बढ़िया कोट पहना करते हैं। फिर आज क्या बात है जो केवल एक मात्र कच्छा पहन रखा है।

बस, फिर क्या था? सारे बच्चे ताली पीट-पीट कर हँसने लगे और चिल्लाने लगे कि राजा साहब बिना सूट के बैठे हैं। बच्चों की बात सुनकर बड़ों में भी काना-फूसी होनी शुरू हो गई। थोड़ी देर पहले जो लोग सूट की तारीफ कर रहे थे, वे ही अब कहने लगे कि राजा ने केवल एक कच्छा ही पहन रखा है।

पहुँचते-पहुँचते आखिर बात राजा तक पहुँची। राजा ने सोचा- बात तो उन्हीं की सच्ची है। उसे ख्याल आया कि उन झूठे ठग जुलाहों ने मुझसे एक चाल चली है। मेरे कपड़ों के शौकीन होने का मजाक उड़ाया है। वह मन ही मन बहुत लज्जित हुआ, पर अब क्या हो सकता था? उसने सोचा कि अगर आधे रास्ते से ही जुलूस वापिस हो जाएगा तो वे ठग अपनी पोल खुलने का पता लगने पर भाग निकलेंगे। इसलिए जुलूस सारे शहर में घूमता रहा। राजा ने सोचा कि वापिस जाकर उन ठगों को ऐसी सजा दूँगा कि याद करेंगे।

जब राजा की सवारी महलों में वापस पहुँची तो राजा ने जुलाहों को बुला भेजा पर तब तक वे भाग चुके थे।

दोस्तों कैसी लगी Funny Story in Hindi अर्थात सबको बुद्धू बनाया कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह मजेदार कहानी आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Funny Story in Hindi जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।

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