पेड़ और शिला | Short Moral Story Hindi

दोस्तों आज हम आप सभी के लिए Short Moral Story Hindi जिसका शीर्षक “पेड़ और शिला ” है। यह कहानी शिक्षाप्रद है साथ ही हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण भी है। दोस्तों यह कहानी हमे क्रोध के होने वाले परिणाम भी बतलाती है। तो आप सभी Short Moral Story Hindi इस कहानी को पढ़िए और अपने दोस्तों रिस्तेदारों को भी शेयर करिए।

पेड़ और शिला

(Best Short Moral Story Hindi)

शरद ऋतु थी। सुहावना मौसम था , रात में शीतल वायु बहती। हरसिंगार के ढेरों फूल झर-झर जाते। हरसिंगार के उस पेड़ के नीचे ही पत्थर की एक बड़ी शिला थी। अधिकांश फूल उसी पर गिरते। पत्थर की शिला को बड़ा गुस्सा आता। उसने कई दिन उस पेड़ को चेतावनी दी– “देखो ! अपने फूलों को मुझ पर न गिराया करो। अच्छी बात न होगी। “

पर इसके उपरांत भी प्रतिदिन यही घटना घटती। अब पत्थर की शिला गुस्से से भर उठी। “ठीक है ! इस अपमान का बदला तो लेकर ही रहूंगी।” उसने अपने आप से कहा।

और दूसरे ही दिन से शिला ने फूलों को कुचलना प्रारंभ कर दिया। नन्हे-नन्हे फूल झरते। शिला निर्ममता से उन फूलों को कुचल देती।

फूलों का झड़ना तब भी बंद न हुआ। शिला सोच रही थी कि फूलों को यों कुचले जाते देखकर पेड़ उससे माफी मांगेगा। उसके ऊपर फूल गिरना बिलकुल बंद हो जाएगा , पर फूल तो ज्यों के त्यों गिरते रहे। उलटे शिला ही फूलों को कुचलते-कुचलते थक गई।

आखिर उससे रहा न गया। उसने पेड़ से पूछ ही लिया — “क्यों ? तुम देखते नहीं कि मैं तुम्हारे फूलों को हमेशा कुचल डालती हूँ , पर तुम फिर भी ढेरों फूल मुझ पर डालते ही रहते हो। क्या फूलों के यों नष्ट होने से तुम्हे पीड़ा नहीं होती ?”

पेड़ हंसा और बोला — “दीदी ! मैं सोच लेता हूँ कि तुम मेरा उपकार कर रही हो। तुम फूलों को कुचल कर उनकी सुगंध और दूर-दूर तक फैला देती हो।”

पेड़ की इस महानता के सामने शिला नतमस्तक हो गई। वह उसके सामने अपने आप को बहुत छोटा अनुभव करने लगी। वह पश्चाताप से भर उठी। सोचने लगी — “ओह ! बुरा करने वालों के लिए भी इसके मन में कोई दुर्भाव नहीं है। सामान्य रूप से हो जरा-सा बुरा करने वाले को हम अपना शत्रु ही मान लेते है , कैसा उदार दृष्टिकोण है इसका। वह पेड़ से बोली — “भैया ! मुझे माफ करना। मैं तुम्हारे जैसी महान नहीं हूँ। मैं तो बड़ी अधम हूँ। मैंने तो बड़ी ही गुस्से में भरकर तुम्हारे उन फूलों को कुचला और मसला था। “

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पेड़ उसकी बात सुनकर कुछ पल चुप रहा। फिर वह दूर क्षितिज की ओर देखते हुए मानो अपने आप से ही कह रहा हो, ऐसे धीमे स्वर में बोला — “हर बात के दो पहलु होते है — अच्छा और बुरा। यदि हमारा स्वभाव बुराई खोजने का ही बन जाता है तो हमारेजीवन कुढ़न , खीज, असंतोष से भर उठता है ,न हम किसी पर विश्वास कर पाते है और न कोई हम पर।”

“यह तो बिल्कुल ठीक कहते हो तुम। ” शिला बोली।

पेड़ आगे कहने लगा — “और जब हम बुराई में भी भला पक्ष खोज लेते है तो यह आवश्यक नहीं है कि बुरा करने वाले का हम उस समय ही प्रतिकार कर पाएं। ” पर इतना तो कर सकते है कि उसका बुरा पक्ष बार-बार देखकर अपने विचारों को उत्तेजना और घृणा से दूषित न बनाए, अपनी शक्तियों को व्यर्थ न करें।

शिला कहने लगी — “तुम जैसा कोई महान ही ऐसा कर सकता है।”

वृक्ष फिर हंसा और बोला — “बहिन ! जन्म से न कोई महान होता हैं, न कोई तुच्छ। हम जैसा सोचते है जैसा करते है वैसे ही बन जाते है। बड़ो की महानता के पीछे विचारों की उच्चता, आचरण की पवित्रता ही होती है। असम्भव कुछ भी नहीं है, प्रयास करने से हर कोई वैसा ही बन सकता है।”

वृक्ष की बातों से पत्थर की वह शिला बड़ी प्रभावित हुई। कहने लगी — “भाई ! तुम तो बड़े ज्ञानी हो. परोपकारी हो। आज तुमने मुझे जीवन जीने की सही दिशा। दिखलाई है। मैं भी इसके अनुसार चलने का पूरा-पूरा प्रयास करुँगी। अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाऊँगी।”

तो दोस्तों कैसी लगी यह Short Moral Story Hindi आप सभी को। दोस्तों इस कहानी से हमे पता चलता है कि हमे क्रोध न करके शांतिपूर्वक रहना चाहिए। हमे उम्मीद है यह Short Moral Story Hindi आप सभी को पसंद आयी होगी। ऐसे ही Short Moral Story Hindi वाली कहानी पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट में आते रहिए।

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