आज हम आप लोगों को कुछ ऐसे Interesting facts in Hindi के बारे में बताएँगे जिसे पढ़कर आप सभी जीवन के कुछ आश्चर्य तथ्य जान पाएँगे।
Interesting facts in Hindi :-
गिरगिट अपना रंग क्यों बदलते रहते है ?
यह बात सच है कि गिरगिट अपना रंग बदलते रहते है। अपने दुश्मनों से बचने के लिए वे अपना रंग वैसा ही बना लेते है जिस रंग के वातावरण में वे रहते है। इससे इनके दुश्मन इन्हें आसानी से देख नहीं पाते हैं और वे दुश्मनो की पकड़ से बचे रहते है।
अब बात यह आती है कि आखिर गिरगिट अपना रंग कैसे बदल लेते है ? होता यह है कि इन जीवों की त्वचा में कुछ विशेष प्रकार की रंजक कोशिकाएँ होती है। ये ताप के घटने-बढ़ने के साथ-साथ सिकुड़ती और फैलती रहती है। गिरगिटों के शरीर से कुछ हार्मोनों के स्रवित होने पर ये कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती है और रंग बदलने लगती है। त्वचा में ऊपर से नीचे की ओर पीली, गहरी भूरी, काले और सफेद रंग की कोशिकाएँ होती है।
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इन्हे इंटरमेडिन, एसीटिलकोलिन तथा एड्रीनेलिन नामक हार्मोन उत्तेजित करते है। जब ताप कम होने लगता है तो इनका रंग गहरा होने लगता है और ताप के बढ़ने पर रंग हल्का हो जाता है। पेड़-पौधों पर चढ़नेवाले गिरगिटों में रंग बदलने का स्वभाव अधिक पाया जाता है। इसी स्वभाव के कारण वे वनस्पतियों के वातावरण के अनुसार अपना रंग बदल लेते है।
Interesting facts in Hindi :-
पीपल आदि कुछ पौधे पत्थर, दीवारों या फर्श आदि तोड़कर उग जाते है, ऐसा क्यों होता है ?
पेड़-पौधे स्वरूप को अपने बीजों में छुपाए रहते है। ये बीज आकार में बहुत छोटे या बड़े सभी तरह के होते है। पीपल या बरगद के बीज बहुत छोटे होते है और वे हवा के झोंको से उड़कर कहीं भी जा सकते है। ये बीज जब किसी पत्थर, दीवार या फर्श आदि की छोटी-से-छोटी दरार में जा पहुंचते है तो वहाँ जरा-सी मिट्टी तथा हवा, पानी और प्रकाश पाकर वहीं उगना प्रारंभ कर देते है।
जब बीज उगते है तो उनसे मूलांकुर (Radix) और प्रांकुर (Plumule ) निकलते है मूलांकुर जड़े बनाते है और प्रांकुर से तना बनते है। इन मुलांकुरो के अग्र सिरों पर कुछ विशेष प्रकार के रसायन पाए जाते है, इन्हे ऑक्सिन या जिबरेलिन आदि नामों से जाना जाता है। ये रसायन मूलांकुर और प्रांकुरों को बढ़ने में सहायता करने के साथ-साथ अपने संपर्क में आई मिट्टी-पत्थर आदि को घोलकर इनके लिए रास्ता बनाए का कार्य भी करते है।
Interesting facts in Hindi :-
बहुत छोटी दरारों में उगना प्रारंभ कर देने के बाद अपनी बढ़वार के लिए इन्हें अधिक स्थान की आवश्यकता होती है। इनकी वृद्धि से बढ़नेवाले दबाव से दरारें और बड़ी हो जाती है। जड़ो के गहराई में चले जाने से और उनका अधिक दबाव पड़ने से फर्श या दीवारें भी चटक या फट जाती है। इसी तरह ये पौधे अपनी जड़े जमाते हुए पत्थरों,दीवारों या फर्श आदि को तोड़कर हवा में बढ़ते रहते है और कभी-कभी बड़ी-बड़ी इमारतों तक को ढहा देते है।
Interesting facts in Hindi :-
प्याज काटने पर हमारी आँखों से आँसू क्यों आते है ?
जब प्याज काटते है तो उसमे से एक प्रकार की झरप निकलती है, जो आँखों में पहुँचकर आँसू निकाल देती है। प्याज का स्वाद तीखा होता है और उसमे से विशेष प्रकार की गंध भी आती है। प्याज का यह स्वाद और गंध उसमे पाए जानेवाले सगंध आसव के कारण होती है। प्याज में असंतृप्त सल्फर अवयव पाए जाते है। इनसे एल्काइल डाइ और ट्राइ सल्फाइड प्रमुख है। इसके साथ ही कार्बनिक संघटक भी होते है जो प्याज की सुवास के लिए उत्तरदायी माने जाते है।
इन अवयवों के साथ प्याज में आँसू लानेवाला अवयव भी सगंध तेल के रूप में पाया जाता है। यह थायोप्रोपेनल-सल्फर-ऑक्साइड कहलाता है। यह सगंध तेल जब आँखों के संपर्क में आता है तो आँखों की आँसू लानेवाली ग्रंथियों को उत्तेजित कर देता है और आँखों से आँसू या पानी बहने लगता है। यही कारण है कि जब प्याज को काटते है तो उससे निकले इन वाष्पशील पदार्थों के हवा में मिलकर हमारी आँखों में पहुँच जाने से हमारी आँखों से आँसू निकलने लगते है।
जब प्याज को पानी में रखकर काटा जाता है तो ये वाष्पशील पदार्थ हमारी आँखों तक नहीं पहुँच पाते है और हम आँसू आने के कष्ट से बच जाते है।
Interesting facts in Hindi :-
हमारी पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, फिर भी हमें स्थिर क्यों दिखाई देती है ?
हमारी पृथ्वी की दो गतियाँ है। एक तो वह अपनी धुरी पर घूमती है और दूसरे वह धुरी पर घूमती हुई अपनी कक्षा में सूर्य के चक्कर लगाती है। पृथ्वी की गति विषुवत् रेखा पर लगभग एक हजार मील प्रति घंटा होती है, और जैसे-जैसे ध्रुवों की ओर बढ़ते है, यह गति काम होती जाती है।
न्यूटन का सापेक्षता का एक सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई वस्तु गतिमान होती है और आप भी सापेक्ष गतिमान है, तो वह वस्तु चलते हुए भी आपको स्थिर मालूम पड़ेगी। चूँकि हम स्वयं भी तो पृथ्वी पर ही सवार है, इसलिए हमारी गति भी वही हुई जो पृथ्वी की है। इसी सापेक्ष गति के कारण पृथ्वी चलते हुए भी हमें स्थिर दिखाई पड़ती है।
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बिजली का पंखा चलाने पर कभी-कभी उल्टा घूमता हुआ क्यों दिखाई देता है ?
पंखा उल्टा चलता हुआ दिखाई देने के लिए पंखे की गति और प्रकाश की तीव्रता उत्तरदायी होती है। उल्टे पंखे की तरह चलते हुए ताँगे आदि के पहिए भी कभी-कभी उल्टे चलते दिखाई देते है। वास्तव में ऐसा होता नहीं है। यह हमारी आँखों का भ्रम मात्र होता है।
जब पंखे की गति तुलना में तेज प्रकाश की टिमटिमाहट अधिक होती है तो पंखा उल्टा चलता दिखाई देता है। इतना ही नहीं, जब पंखे की गति और प्रकाश की टिमटिमाहट में समानता होती है तो पंखुडियाँ स्थिर-सी मालूम पड़ती है और जब यही टिमटिमाहट पंखे की गति से कम होती है तो पंखा अपनी वास्तविक गति से भी कम घूमता मालूम पड़ता है। इस तरह पंखे के उल्टे घूमने का दृष्टि-भ्रम उसकी गति और प्रकाश के टिमटिमाहट के असंतुलन के कारण होता है।
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धूप या गर्मी से चलकर जब हम पंखे की हवा लेते है तो हमे ठंडक क्यों महसूस होती है ?
जब हम धुप या गर्मी में होते है तो हमारा शरीर भी तपने लगता है और वह गरम हो जाता है। इस तरह शरीर के बहरी ताप के बढ़ने से हमें पसीना आने लगता है, जो शरीर के ताप को कम करने में सहायक होता है। यह पसीना हमारी त्वचा पर लगा रह जाता है।
जब हम गर्मी या धूप से चलकर पंखे की हवा में आते है तो हमारे शरीर पर लगा पसीना, जो के प्रकार से पानी होता है, वाष्प बनकर उड़ना प्रारंभ कर देता है। इसे वाष्प बनकर उड़ने के लिए उष्मा की आवश्यकता होती है। वाष्पन की इस क्रिया हेतु शरीर की उष्मा उपयोग में आती है। इस तरह शरीर की उष्मा कम होने लगती है और हमें पंखे की हवा में ठंडक महसूस होने लगती है।
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