आज हम आपको Samanya Vigyan के कुछ ऐसे रोचक तथ्य के बारे में बताएँगे जो आपकी दैनिक जीवन से जुड़ी है। आप उनके जवाब विज्ञान की परिभाषा से नहीं जानते होंगे। जिसे आज हम आप सभी को बताएँगे।
Samanya Vigyan :-
बर्फ पानी में क्यों तैरती है ?
Samanya Vigyan :- तुम जानते ही हो कि बर्फ पानी का ठोस रूप होती है, अतः उसे भारी होकर पानी में डूब जाना चाहिए था। परन्तु वह डूबने के बजाय पानी में तैरती है, पर क्यों ? इसका जवाब है जब तरल पदार्थ ठोस बनती है तो उनका आयतन घट जाता है और वे भारी हो जाते है लेकिन पानी के साथ ऐसा नहीं होता। जब पानी जमकर बर्फ बनता है तो उसका आयतन घटने के बजाय बढ़ जाता है और वह पानी की तुलना में हल्की हो जाती है। इसलिए बर्फ पानी में तैरता है।
उल्लू अँधेरे में कैसे देख लेता है ?
Interesting facts :- हमे आँख के द्वारा ही सब दिखाई देता है। वस्तु से टकराकर जब प्रकाश हमारी आँख के परदे मतलब रेटिना पर पड़ता है तो उसका उल्टा चित्र बनता है, जो दिमाग में पहुंचकर सीधा हो जाता है और हमे वस्तु दिखता है। रेटिना तक यह प्रकाश पुतली से होकर जाता है। पुतली का आकार प्रकाश के अनुसार के अनुसार फ़ैल और सिकुड़ सकता है। अँधेरे में प्रकाश न होने से हमे कुछ दिखाई नहीं देता लेकिन अँधेरे में पुतली धीरे-धीरे बड़ा होता है जिससे हमे हल्का-हल्का दिखाई पड़ता है।
Samanya Vigyan :- उल्लू की आँखों की पुतलियाँ हमारी आँखों की पुतलियों से बड़ी होती है। इसके फैलने की क्षमता भी अधिक होती है इसलिए रात में थोड़ा प्रकाश भी इनसे होकर आँख के परदे जाता है। उल्लू की आँख का पर्दा लेंस से कुछ अधिक दूर होने से उस पर चित्र भी बड़ा बनता है। इसकी आँख की लेंस में चित्र को फोकस करने की क्षमता भी होती है। उल्लू की आँख की कोशिकाएं भी अधिक होती है। इसके अलावा उसके आँख में प्रोटीन से बना लाल रंग का एक पदार्थ भी होता है, जिससे उल्लू की आँखे रात के प्रकाश के लिए अधिक संवेदनशील हो जाती है। इन सभी विशेषताओं के कारण उल्लू अँधेरे में भी देख पाता है।
पानी से भरी बाल्टी कुएँ के पानी में हलकी और पानी के बाहर भरी क्यों होता है ?
Interesting facts :- पानी से भरी बाल्टी का भार हवा में और पानी में बराबर ही होता है। लेकिन फिर भी हवा में भारी और पानी में हल्का लगता है। आर्कमिडीज का एक सिद्धांत है कि जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी तरह या आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो उसके भार में कुछ कमी आ जाती है और यह कमी बराबर होती है उस वस्तु के द्वारा हटाए गए द्रव के भार के।
इसलिए जब बाल्टी पानी में डूबी होती है तो बाल्टी द्वारा हटाए गए पानी के आयतन के भार के बराबर उसके भार में कमी महसूस होती है, लेकिन जब बाल्टी पानी से बाहर आता है तो बाल्टी पर गुरुत्व बल प्रारंभ हो जाता है, जो उसे नीचे की ओर खींचने लगता है। इसलिए पानी से भरी बाल्टी कुएँ के बाहर आने पर भारी लगती है। अतः द्रवों के उछाल बल के कारण बाल्टी हलकी और पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण बाल्टी अधिक भारी लगता है।
हमे किसी चीज का स्वाद कैसे मालूम पड़ता है ?
Samanya Vigyan :- हम जो भी खाते है उसका स्वाद हमे अपनी जीभ द्वारा मिलती है। आप सोचते होंगे कि स्वाद तो खट्टे-मीठे, कड़वे या चटपटे या नमकीन अनेक तरह होते है, लेकिन जीभ इसे पता कैसे कर लेती है? इसका जवाब है जीभ में उपस्थित स्वाद कलिकाएं जिन्हे टेस्ट बड्स भी कहते है के कारण होता है।
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यदि आप जीभ को ध्यान से देखोगे तो उसमे छोटे-छोटे तंतुओ से युक्त सैकड़ो दानेदार उभार नजर आते है इन्हे ही स्वाद कलिकाएं कहते है। जब हम भोजन करते है तो वे हमारी लार में घुलकर स्वाद कलिकाओं को चैतन्य और सक्रिय कर देती है। यहां एक रासायनिक क्रिया होती है जिसके द्वारा स्वाद की जानकारी दिमाग को मिल जाती है और हमे स्वाद का पता चलता है।
स्वादों की पहचान के लिए जीभ के अलग-अलग भागो पर स्वाद कलिकाएं होती है। जैसे मीठे और नमकीन स्वादों के लिए जीभ के आगे भाग पर और कड़वे के लिए पीछे भाग पर तथा खट्टे के लिए ये स्वाद कलिकाएं जीभ के किनारे के भागो पर रहती है।
धातु के बर्तनों में में ठंडा पानी रखने पर बर्तनों की बाहरी सतह पर बूँदें क्यों दिखाई देती है ?
Interesting facts :- हमारे वातावरण में हवा के साथ-साथ थोड़ी-बहुत मात्रा में पानी की भाप भी होती है। यह मात्रा वातावरण के ताप के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। यह बात तो सभी को पता है कि पानी को गर्म करने पर वह भाप में बदल जाता है। ठीक इसी तरह भाप भी ठंडा होकर पानी में बदला जाती है।
जब धातु के बर्तनों में ठंडा पानी रखा या भरा जाता है तो बर्तन की सतह ठंडी हो जाती है। वायुमंडल की हवा में पानी की भाप जब बर्तन की ठंडी सतह के संपर्क में आती है तो वह ठंडी होकर पानी की बूंदो के रूप में बर्तनों की बाहरी सतह पर दिखाई देने लगती है। जब ये बूंदें अधिक मात्रा में इकट्ठी हो जाती है तो नीचे की ओर बहने लगती है।
उबलते पानी की तुलना में पानी की वाष्प या भाप से अधिक जलन क्यों होती है ?
Rochak Tathya :- जब पानी को गर्म किया जाता है तो गरमी या ऊष्मा पानी में संग्रहीत होने लगती है । पानी प्रति ग्राम लगभग वाष्प में लगभग 540 कैलोरी ऊष्मा संग्रहीत होती है। आप जानते ही है कि एक ग्राम द्रव को जब वाष्प अवस्था में परिवर्तन करना होता है तो ताप में परिवर्तन के बिना एक निश्चित मात्रा में ऊष्मा की जरूरत होती हैं।यह ऊष्मा वाष्पन की ऊष्मा कहलाती है । इसका सीधा मतलब यह हुआ कि जब एक ग्राम उबलता पानी शरीर की त्वचा आदि के संपर्क में आता है तो वह त्वचा में 100 कैलोरी ऊष्मा स्थानांतरित करता है।लेकिन एक ग्राम वाष्प त्वचा के संपर्क में आने पर त्वचा में 540 कैलोरी ऊष्मा स्थानांतरित करती है ।
samanya vigyan :-
अतः यह स्वाभाविक है कि उबलते पानी की तुलना में वाष्प द्वारा अधिक ऊष्मा स्थानांतरित किए जाने के कारण वाष्प से अधिक जलन होगी।
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