नागिन परी | Nagin Pari Ki Kahani in Hindi

आज हम आप लोगो के लिए एक रोचक कहानी Nagin Pari Ki Kahani in Hindi लेकर आये है जिसमे एक राजकुमार एक नागिन की सहायता करता है जो की एक परी होती है। राजकुमार उसकी मदद करता है जिससे नागिन परी भी उसकी बहुत सहायता करती है।Nagin Pari Ki Kahani in Hindi को पढ़कर आपको अच्छा जरूर लगेगा। इस तरह इस कहानी से हमे सीख मिलती है की जरूरतमंद लोगो की हमे सहायता करनी चाहिए।

नागिन परी

(Nagin Pari Ki Kahani in Hindi )

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi – रामपुर में एक सुखी रियासत थी।वहां किसी को किसी बात का दुख नहीं था। रामपुर के राजा सुरजसिंह बड़े दयालु स्वभाव के थे। वह सदैव अपनी प्रजा के कल्याण की बात सोचा करते थे। राजा सूरज सिंह के दो लड़के थे। उसमे बड़े का नाम उग्रसेन था। छोटे को सब प्यार से संतोष कहकर पुकारते थे ।

अचानक एक दिन रामपुर पर भारी आपत्ति आई। पड़ोस के एक राजा धीर सेन ने उस पर आक्रमण कर दिया। रामपुर की सेना उसका सामना ना कर पाई।लड़ाई के मैदान में उसके सेनापति शत्रु के पक्ष में जा मिले।बड़ा राजकुमार बंदी बना लिया गया। यह सूचना राजा सूरज सिंह को मिली। उन्होंने अपनी पत्नी और छोटे राजकुमार को साथ लिया। तत्काल एक गुप्त द्वार से रामपुर के बाहर निकल पड़े। रियासत से निकलर वे एक घने जंगल में पहुंचे। वहां एक गुफा थी। राजा सूरज सिंह ने इसी गुफा में अपना डेरा जमाया ।

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi :-

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi
Nagin Pari Ki Kahani in Hindi

एक रात छोटे राजकुमार ने किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनी । उसने माता- पिता की आज्ञा ली और शस्त्र लेकर आवाज की दिशा में वह चल पड़ा।

गुफा से थोड़ी दूर एक चट्टान का टुकड़ा पड़ा था ।उसी चट्टान के नीचे से रोने की आवाज आ रही थी । राजकुमार उस ओर बढ़ा।उसने देखा, चट्टान के नीचे एक नागिन दबी पड़ी है। उसे मनुष्य की तरह रोते देख राजकुमार को बडा आश्चर्य हुआ ।उसने पूछा, ‘ तुम मनुष्य की तरह क्यों रो रही हो?”

नागिन सिसकती हुई बोली, “मै आकाश की एक परी हूं। मुझे देवताओं ने शाप दिया है । शाप के कारण मैं इस रूप में हूं। यहां से जा रही थी । अचानक यह पत्थर मुझ पर आ गया।”

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राजकुमार थोड़ी देर सोचता रहा फिर उसने अपनी भुजाओं से चट्टान को अलग कर दिया। चट्टान हटते ही नागिन शांत हो गई। उसका रोना भी बंद हो गया। राजकुमार ने देखा नागिन का मुंह परियों जैसा होता जा रहा है।थोड़ी देर में फन की जगह सुंदर मुंह था । धड़ सांप का ही था । नागिन ने आंसू बहाते हुए बोली, तुम्हारा बहुत बड़ा उपकार है मुझमें इसे मैं कैसे चुकाऊं ?

राजकुमार ने अपनी सारी दुखभरी कहानी सुना दी । उसे सुनकर नागिन परी ने कहा, “तुम मुझे शाप से मुक्त करा दो, मैं तुम्हारी सहायता करूंगी। इस पहाड़ के पार एक जादूगर रहता है ।उसके पास एक शाप मोचन मणि है।तुम उसे ले आओ।

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi :-
Nagin Pari Ki Kahani in Hindi
Nagin Pari Ki Kahani in Hindi

राजकुमार मणि लेने के लिए चल पड़ा। रास्ते में उसे एक शिकारी मिला। शिकारी ने एक बाज को पकड़ रखा था। बाज उसके हाथ से छूटने के लिए फड़फड़ा रहा था। राजकुमार को बाज पर दया आ गई। उसने शिकारी से कहा, “तुम बाज को छोड़ दो बदले में मेरी अंगूठी ले लो।”

शिकारी ने अंगूठी ले ली और बाज को छोड़ दिया। शिकारी के हाथ से छूटते ही बाज बोला, “राजकुमार मैं बाजों का राजा हूं। दुख में मुझे याद करना ।”

वह अपना सफर जारी रखा। थोड़ी दूर पर उसे एक नदी मिली। उसने देखा कि कुछ शिकारी बैठे हैं । यह एक बड़े मगर को पकड़े हैं। वह उसे नदी के बाहर खींच रहे है । मगर तड़प रहा है। छूटने की कोशिश कर रहा है। राजकुमार बड़ा दयालु था उसने अपनी कीमती कटार शिकारियों को दे दी। उन्होंने मगर को छोड़ दिया । छूटते ही मगर ने कहा, मैं राजा हूँ मगरमच्छों का। अगर कभी जरुरत पड़े तो मुझे बुलाना।

राजकुमार ने कहा, “मुझे नदी के उस पार जाना हैं क्या तुम पहुंचा दोगे? मगर खुशी- खुशी तैयार हो गया । उसने राजकुमार को नदी के पार पहुंचा दिया।

अब जादूगर का महल पास था। राजकुमार शीघ्र ही वहां पहुंच गया । वहां से अचानक लोगों की आवाज सुनाई पड़ी। वह चौंक पड़ा। उसने देखा कि चारों तरफ पत्थर की मूर्तियां ही मूर्तियां पड़ी है। वहीं मूर्तियां हंस रही है। वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। तभी पास पड़ी मूर्ति बोली, “छिपने से कोई लाभ नहीं जादूगर की नजर पड़ते ही तुम पत्थर के हो जाओगे।” राजकुमार घबरा गया ।

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi :-

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उसे नागिन परी का दिया गया वचन याद आ गया वह जादूगर से मणि छीनने का उपाय सोचने लगा। तभी वह मूर्ति बोल उठी, “राजकुमार, प्राण प्यारे हों तो भाग जाओ । जादूगर आता ही होगा।” भारी मन से राजकुमार नदी के किनारे आ गया तभी उसे मगरमच्छो के राजा की याद आई। उसने उसे और बाजों के राजा को याद किया।पल भर में दोनों आ गए। राजकुमार ने उन्हें अपनी कठिनाई बताई । राजकुमार ने कहा, “मगरमच्छों के राजा तुम नदी की ओर बढ़ो और बाजों के राजा तुम ऊपर से आक्रमण करो।”

“जैसी आपकी आज्ञा” बोलकर मगरमच्छ जल में चला गया और बाज वायु में चला गया। थोड़ी देर में आसमान पर अनेको पक्षियां उपस्थित हो गए। बाजो ने जादूगर के महल पर हमला बोल दिया। उधर मगरमच्छों का राजा जल के जीव- जंतुओं को लेकर राजमहल में घुस पड़ा। जादूगर इस अचानक आक्रमण से घबरा गया। जल के जीव जंतुओं और पक्षियों पर उसका जादू न चला। देखते ही देखते उसके जादुई शैतान मारे गए। जादूगर भी मारा गया। 

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बाजों के राजा ने राजकुमार को आवाज दी। वह जादूगर के महल में घुसा। उसने देखा कि जादूगर मरा पड़ा है। पक्षियों ने उसे जगह जगह से नोच लिया है। एक मगरमच्छ उसके पाव से लिपटा है। इतने में एक मूर्ति ने राजकुमार से कहा, “राजकुमार, जादूगर के पेट में मणि है। तुम उसे  निकाल लो।” राजकुमार ने तुरंत मणि निकाल ली। फिर मणि की सहायता से सारी मूर्तियों में प्राण दाल दिए। पल भर में चारों ओर चहल पहल मच गई। पत्थर बने नगर के राजा ने राजकुमार को पूछा, “हमारे लिए कोई सेवा..।”

राजकुमार ने उसे अपनी सारी कहानी सुना दी।

राजा ने कहा, “मैं अभी अपनी सेना लेकर आपके साथ चलता हूं।”

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Nagin Pari Ki Kahani in Hindi

राजा अपनी सेना लेकर राजकुमार के साथ चल पड़ा। रास्ते में राजकुमार ने नागिन परी का शाप मिटा दिया। परी ने उसे बताया कि तुम्हारे भाई संकट में है। मैं जाकर उनकी रक्षा करती हूं। तुम भी रामपुर पहुंचो।”

राजकुमार ने रामपुर पर आक्रमण कर दिया।उसके साथ पत्थरों के देश की सेना थी। राजा धीर सेन घबरा गया । उसकी हार हो गई। उसे कैद कर लिया गया।

राजा सूरज सिंह फिर से सिंहासन पर बैठे । एक दिन राजदरबार किया गया। पास पड़ोस के राजा भी बुलाए गए। राजकुमार संतोष नागिन परी को ढूंढ रहा था।नागिन परी का कोई अता पता नहीं था।

राजकुमार निराश हो गया। तभी उसे नागिन परी आती हुई दिखाई दी। उसके साथ एक सुन्दर राजकुमारी थी। वह सफेद वस्त्र पहने थी। राजकुमार उस देखता ही रह गया। राजकुमार ने उससे पूछा, “नागिन परी, यह कौन है ?”

“यह धरती की परी  है।” राजा धीर सेन की बेटी कुमारी दया । संतोष और दया दोनों मिल जाएंगे तो पृथ्वी पर रक्तपात नहीं होगा।”

युवराज उग्रसेन आगे बढ़ा। उसने राजा सूरज सिंह से कहा, “पिता जी, दया और संतोष का विवाह कर दें। मैं सिंहासन से अपना अधिकार छोड़ता हूं।” संतोष को राजा बना दें।”

फिर सुबह संतोष और दया का विवाह हो गया । संतोष ने दया को एक मूर्ति भेंट की । उसने मूर्ति नागिन परी को भेंट कर दी ।

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नागिन परी ने उन्हें आशीर्वाद देकर जाने लगी, संतोष ने पूछा, “अब कब आओगी परी ?”

नागिन परी ने मुस्कुराकर कहा, “मैं हर रात आऊंगी, तुम्हारे बच्चो के पास नई कहानी के रूप में ।

Nagin Pari Ki Kahani in Hindi से हमे सीख मिली की जिसे सहायता की आवश्यकता हो उनकी मदद करना चाहिए। जिससे उसकी मुसीबत का हल हो सके। ऐसे ही Pariyon ki kahani के लिए website से जुड़े रहे।

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