नन्हे राजकुमार की कहानी | Nanhe Rajkumar ki Kahani Hindi

आज हम आपको एक नन्हे बालक Rajkumar Ki Kahani बताएँगे जो बहुत ही ज्यादा मासूम है तथा दूसरे की मदद करने में सबसे आगे। इस कहानी को पढ़कर आपको जरूर अच्छा लगेगा।

Rajkumar Ki Kahani :-

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बहुत समय की बात है कि एक गाँव में राजकुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माँ-बाप नहीं थे, इसलिए वह अपने बड़े भाई और भाभी के साथ रहता था। भाई और भाभी उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। वे उसको किसी न किसी बहाने डांटते-फटकारते रहते। प्रायः वह दुखी रहता।

एक दिन राजकुमार को उसकी भाभी ने खूब पीटा। वह घर से बाहर निकलकर एक पेड़ के पास बैठकर रोने लगा और काफी देर तक रोता ही रहा। रोता रहा और माँ-बाप को याद करता रहा। उसे वह बैठे-बैठे नींद आ गयी। कुछ समय बाद इधर शेर आया और राजकुमार को उठा जंगल की ओर ले गया।

जंगल में काफी दूर निकल जाने के बाद शेर ने सोचा कि अब बालक को खाया जाए। ऐसा सोचकर बोझ को उसने निचे रखा। केवल कपड़ो को देखकर वह अपने आपसे बोला, ‘ लो यह तो राजकुमार के कपड़े ही कपड़े है, वह तो नहीं है। लगता है राजकुमार कही रस्ते में कपड़ो में से खिसक गया है। ‘ऐसा सोचते हुए शेर उसकी तलाश में उलटे पाँव ही लौट गया।

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वास्तव में राजकुमार रस्ते में ही गिर गया था। जैसे शेर आगे बढ़ा, वह उठा और पूर्व दिशा की ओर तेजी से कदम बढ़ाता हुआ बढ़ने लगा। कुछ दूर चलने पर उसकी नजर गोशाल पर पड़ी। वहां कोई उस गोशाल की देखभाल नहीं था। केवल कुछ गाय थी और बच्चे। काफी दूध, मक्खन और सूखा पनीर वहां रखा हुआ था।

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राजकुमार को बड़े जोरों की भूख लगी थी। पहले तो उसने जी भरकर पनीर और मक्खन खाया, दूध पिया। फिर गोशाल की सफाई की। सब काम कर गोशाल के बहार आ एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। कुछ देर में उसे नींद आ गयी।

शाम के समय लम्बे-लम्बे नोकीले सींगोंवाले बैलों को देख कर उसे डर लगने लगा। गोशाल पहुंचते ही बैलों ने देखा कि गोशाल की बड़ी सफाई की गई है। देखने पर मालूम हुआ कि दूध, मक्खन और पनीर भी गायब है। ‘अवश्य ही आज कोई आया है। आओ देखे कौन है जिसने हमारे गोशाल की इतनी अच्छी सफाई की है। ‘ बैलों के सरदार ने अपने साथियों को सम्बोधित किया।

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बैलों का सरदार अपने साथियों को लेकर राजकुमार के पैरों के निशान देखता-देखता उसी वृक्ष के पास पहुँच गया जिस पर वह बैठा था। उधर शेर भी राजकुमार को ढूँढ़ता-ढूँढ़ता उसी वृक्ष के पास पहुंच गया था। वह राजकुमार पर झपटने ही वाला था कि बैलो ने अपने नुकीले सींगों से उस पर हमला कर दिया। कुछ ही समय में उन्होंने शेर को मार गिराया। ऊपर वृक्ष पर राजकुमार मैरे डर के बुरी तरह कांप रहा था।

शेर को मारने के बाद बैलों का सरदार आगे बढ़ा और राजकुमार को सम्बोधित किया, ‘आजतक हमारी किसी ने देखभाल नहीं की थी। तुमने पहली बार हमारी गोशाल की सफाई की है। तुम हमारे हितकारी हो। इसलिए आज से हम सब आपको अपना राजा मानेंगे। ‘ यह कह बैलों का सरदार राजकुमार को अपने सींगों पर उठा गोशाल ले आया। बैलों ने तुरंत एक सिंहासन बनाया और उसे उस पर बिठा दिया। रात को बड़ी खुशियाँ मनाई गयीं।

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बैलों के सरदार ने राजकुमार को एक सोने को और एक बांस की बांसुरी भेंट करते हुए कहा, यदि तुम पर कोई मुसीबत आ पड़े तो सोने की बांसुरी बजा देना। हम तुरंत तुम्हारी सहायता के लिए उपस्थित हो जायेंगे। यह बांस की बांसुरी तुम्हारे मनोरंजन के लिए है। ‘ राजकुमार दोनों बांसुरियां ले ली। वह बहुत खुश था।

एक दिन एक शिकारी गोशाल की ओर आ निकला। उसकी नजर राजकुमार की ओर पड़ी। उसके हाथ में सोने की बांसुरी देखकर वह बहुत विस्मित हुआ। उसे लगा यह कोई राजकुमार ही होगा। उसे ख्याल आया कि यह राजकुमार जैसा लगने वाला हमारे राज्य की राजकुमारी अच्छा वर रहेगा। इस प्रकार राजकुमारी, जिसको राजा ने बारह तालों के भीतर बंद कर रखा था, का अंधकारमय जीवन उज्जवल हो जायेगा।

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ऐसा सोचकर शिकारी ने राजकुमार से कहा, ‘तुम मेरे साथ हमारे राज्य चलो। वहां राजकुमारी से तुम्हारा विवाह कराया जायेगा। ‘ नहीं मैं यहाँ गोशाल में ही ठीक हूँ। ‘ करते हुए राजकुमार ने उसके साथ चलने से इंकार कर दिया। इस पर शिकारी ने उसे बलपूर्वक अपने राज्य ले जाने की धमकी दी। एकदम राजकुमार ने अपनी सोने वाली बांसुरी बजाई। देखते ही देखते सा बैल भागते हुए गोशाल पहुँच गए। बैलों को आता देख शिकारी वहां से खिसक गया।

शिकारी सीधा अपने राजा के पास पहुंचा और सारा हाल कह सुनाया। उसने राजा से राजकुमार को राजकुमारी के विवाह के लिए अपने राज्य लाने का प्रबंध करने के लिए सलाह दी। बहुत सोच विचार के बाद यह तय किया कि महल में उपस्थित जादूगरनी को इस काम के लिए जंगल में गोशाल भेजा जाय। जादूगरनी को भी इस काम के लिए भेजना आसान काम नहीं था। भारी इनाम का प्रलोभन देकर उसे इस काम के लिए तैयार किया गया।

अगले दिन जादूगरनी कौए का रूप धारण करके गोशाल पहुंची। राजकुमार अपनी बांसुरी बजा रहा था। जादूगरनी ने वृक्ष पर बैठकर ‘कां-कां ‘ की रट लगाई। राजकुमार को क्रोध आ गया। उसने जलती लकड़ियाँ कौए पर फेंकी। पत्थर फेंके। परन्तु वह कौआ भी विचित्र था। एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर इतनी फुर्ती से उड़कर जाता कि राजकुमार का कोई वार काम न आया।

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अंत में राजकुमार ने आवेश में वह सोने की बांसुरी ही उस पर दे मारी। कौए ने बांसुरी पकड़ी और महल की ओर उड़ गया। जादूगरनी ने बांसुरी राजा हुए कहा, ‘ बांसुरी के बिना अब वह कुछ भी नहीं कर सकता। आप अपने आदमियों को भेजकर राजकुमार को पकड़वाकर यहाँ बुला सकते हैं। ‘ राजा ने ऐसा ही किया।

राजकुमार को राज्य में लाया गया। राजा ने उसे भी बारह तालों भीतर उसी अँधेरे कमरे में डाल दिया जिसमे राजकुमारी बंद थी। राजकुमार बिना सोने की बांसुरी के अब असहाय था।

एक दिन राजा राजकुमार से मिलने अँधेरे कमरे में गए और लौटते समय सोने की बांसुरी वही भूल आए। राजकुमार ने बांसुरी उठाई और बजाना शुरू कर दी। देखते ही देखते बैलों ने महल को घेर लिया। राजा के महल को वे सींगो पर उठाने को तैयार हो गए थे कि राजा घबड़ाया हुआ बाहर आया।

‘हमारे राजा राजकुमार को हमे लौटा दो, नहीं तो हम अभी महल नष्ट कर देंगे। यही नहीं, साथ में राजकुमारी की शादी भी हमारे राजा के साथ करो। ‘ बैलो के सरदार ने राज्य के राजा से कहा।

राजा ने न केवल बैलों के सरदार की ये दोनों बाते मानी, बल्कि राजकुमार से राजकुमारी के विवाह के साथ-साथ आधा राज्य नहीं दहेज़ में दे दिया। बैल राजकुमार था राजकुमारी को लेकर गोशाल लौटे। वहां एक सुन्दर महल बनाया जहाँ राजा-रानी खुशी-खुशी रहने लगे।

दोस्तों हमे उम्मीद है यह Rajkumar Ki Kahani आपको जरूर पसंद आयी होगी Rajkumar Ki Kahani जैसे और कहानी हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है जरूर पढ़ें और यह कहानी कैसी लगी comment करिए।

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