समाधि | Samadhi | Ek Raja ki Kahani

आज हम आपको Ek Raja ki Kahani in Hindi में बताएंगे। Raja ki Kahani एक ऐसी kahani है जिसे लोग पढ़ना पसंद करते है। इस Raja ki Kahani में raja के संतान नहीं हो रहे थे जिसके लिए raja ki rani द्वारा देवी माँ का वरदान प्राप्त हुआ। Raja ki Kahani जैसे और kahani पढ़ने के लिए वेबसाइट से बने रहे। हम आपको ऐसे ही hindi kahani , Raja ki Kahani , moral stories बताते रहेंगे।

raja ki kahani in hindi
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समाधि | Samadhi

Raja ki Kahani in Hindi

एक राजा था। उसके कोई संतान नहीं था। इससे राजा की रानी कमला बड़ी दुखी थी। एक दिन की बात है। रानी सुबह-सुबह अपने महल से बाहर निकली। अभी वह थोड़ी दूर गई थी कि उसे अपने सामने एक किसान आता हुआ दिखाई दिया। किसान के कंधे पर हल था। वह कोई लोक गीत गुनगुनाता हुआ जा रहा था। अचानक किसान की नजर उसी रानी पर पड़ी। वह तुरंत ही लौट पड़ा।

रानी ने उसकी इस हरकत को देख लिया। उसने तुरंत ही अपने रथ को रोका और सारथी से कहा कि इस किसान को हमारे पास लाओ।

थोड़ी देर में वह किसान रानी के सामने पहुंचा। उसने हाथ जोड़ कर रखे थे। रानी ने उससे पूछा, “तुम अचानक लौट क्यों पड़े ? तुम्हे तो खेत की ओर जाना था। “

किसान ने विनती भरे स्वर में कहा, “रानी जी, मुझे कोई काम याद आ गया, इसीलिए लौट पड़ा। “

किसान का स्वर कांप रहा था। रानी ने कड़क कर कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो? सच सच कहो। “

किसान अनेक बहाने बनाता रहा। जब रानी एकदम गुस्से में भर उठी तब किसान ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “आप मेरी मां के बराबर है। यदि आप मुझे क्षमादान दें तो मैं सच-सच बताऊं ?”

रानी ने उसे क्षमादान दे दिया।

तब किसान अपराधी की तरह सर झुकाकर बोला, ‘रानी मां, मैं किसान हूँ। खेती ही मेरा जीवन है, संसार है। आज मैं पहली बार खेत बोने जा रहा हूँ और सबसे पहले….।” किसान चुप हो गया।

रानी की आकृति दुःख की परछाइयों से घिरी गयी। उससे व्यस्थित स्वर में कहा, “कहो, कहो, किसान भाई कहो। “

किसान ने कांपते स्वर में कहां, “रानी मां, आप बांझ है और बांझ का पहला सामना बहुत ही बुरा होता है, उससे खेत फलता-फूलता नहीं। यदि फल-फूल जाए तो वह ईश्वरीय आपदा का शिकार हो जाता है। “

रानी की आँखे छलछला आयी। उसका स्वर भर गया। अत्यंत स्नेह से बोली, “जाओ भाई जाओ, तुम्हारा कोई दोष नहीं है, मई सचमुच भाग्यहीन हूँ। “

रानी वापस महल में आ गई।

Raja ki Kahani in Hindi –

raja ki kahani in hindi
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महल में देवी का मंदिर था। देवी चार भुजा वाली थी। रानी देवी को बहुत मानती थी। उसने देवी के सामने लेटकर बिलख-बिलख कर रोने लगी। उसने प्रतिज्ञा की, “मां या तो मेरे सर पर लगे बाँझपन के कलंक को मिटा दो अन्यथा मेरे प्राण ले लो। मैं तेरे मंदिर के बाहर पांव नहीं रखूंगी। अन्न जल ग्रहण नहीं करूंगी। “

रानी ने प्रतिज्ञा कर ली। इस प्रतिज्ञा की खबर राजा को पहुंची। राजा सही मायनो में राजा था। भोग – विलासी और कठोर प्रशासक। वह तुरंत ही रानी के पास आया। उसने रानी को समझाया ” अरी तू पागल है ? जो इतनी छोटी बात के लिए इतनी बड़ी प्रतिज्ञा कर ली ?

” स्त्री के लिए यह छोटी बात नहीं है बल्कि बहुत बड़ा कलंक है। ”रानी ने सुबक कर कहा ” महराज। आज में सुबह -सुबह निकली तब एक यात्री ने….”

रानी अचानक चुप हो गयी। उसने देखा की राजा की आंखे गुस्से में लाल हो गयी है। चेहरा कठोर हो गया है।

” बोलो वह कायर कौंन था ? मैं उसकी जीभ खिचवा दूंगा। उसे जिन्दा जलवा दूंगा। “

रानी ने राजा को कुछ भी नहीं बताया। राजा को अपना गुस्सा पी जाना पड़ा। उसने रानी को फिर समझाया पर रानी नहीं मानी। एक दिन पूरा बीत गया। रानी की पीड़ा गहरी आस्था में बदल गयी। मन की शक्तियां बलवती हो गयी। देवी को याद करते-करते उसकी आँख लग गयी। उसने सपने में देखा कि देवी मां ने उसे एक फूल दिया है। कहा है “जा तेरे एक संतान होगी। वह संतान मेरा वरदान है, उसे सदा यह बात याद दिलाती रहना। “

सपना भंग हो गया।

रानी बड़ी खुश हुई। उसने तुरंत आकर राजा को सपने के बारे में बताया। राजा भी बड़ा प्रसन्न हुआ। कुछ दिनों बाद रानी ने राजा को बताया की वह माँ बनने वाली है।

रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र सचमुच देवी का वरदान था। रूपवान और गुणवान। पर राजा ने देवी के वरदान का ध्यान न करके राजकुमार का लालन-पालन बड़े ही ठाट-बाट से करना आरंभ कर दिया। राजकुमार का नाम भी उसने जान-बुझ कर “विलास प्रिय” रखा। उसे उन सभी बातो से दूर रखा जिससे देवी का वरदान सच होता हो।

उसके चारों ओर एक ऐसा समूह था जो उसे बताता रहता था कि राजा का बेटा राजा होता है और उसे संसार के सारे प्राणियों से शानदार जीवन बिताने का हक़ है स्वयं राजा को भी यह गुमान था कि उसने अपने पुत्र को अपने सांचे में अपने हिसाब से ढाल लिया है। एक दिन यह बात उसने अपनी रानी को भी कही, “मेरा बेटा मेरे जैसा ही होगा। वह इस राज्य के खजानो को और भरेगा। “

रानी की आँखों में आंसू आ गए। उसने कहा “आप देवी मां के वरदान को भूल रहे है। “

राजा ने उसकी कोई परवाह नहीं की।

एक दिन की बात है।

Raja ki Kahani in Hindi –

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राजकुमार विलास प्रिय शिकार खेलने के लिए महल से अपने साथियो को लेकर गया। वह थोड़ी ही दूर गया कि उसे जंगल में आग जलती हुयी दिखाई दी।

उसने पता लगाया तो मालूम हुआ कि उसके कारिंदे कुछ गरीबों की झोपड़ियां जला रहे है।

राजकुमार ने पूछा, “क्यों जला रहे है ?”

उसके साथी ने बताया, “राजकुमार, इन लोगो ने हमारे खिलाफ बगावत की है। “

“कैसी बगावत ?”

“सबने कह दिया कि है लगान नहीं देंगे। “

राजकुमार गंभीर हो गया। उसने धीरे स्वर में पूछा, “लगान क्यों नहीं देते है ?”

“अकाल पड़ रहा है। भला हमारे महाराज ने अकाल थोड़े ही डाला है। अकाल अपने आप पड़ता है इसीलिए हम अपनी लगान माफ़ क्यों करे ?”

राजकुमार ने अपने घोड़े को उस ओर भगाया। उसके साथी उसे रोकने लगे पर वह नहीं माना। वह एक पूरी ली पूरी बस्ती थी। बस्ती धांय-धांय जल रही थी। चारो ओर बच्चो, बूढ़ो और स्त्रियों का क्रंदन गूंज रहा था। राजा के कारिंदे निर्दयता से कोड़े बरसा रहे थे। राजकुमार ने देखा कि एक बुढ़िया बचाओ-बचाओ कहकर भाग रही थी और एक घुड़सवार उसके पीछे भाग रहा था। बुढ़िया गिरती है और घोडा उसे कुचल देता है।

विलास प्रिय का कलेजा मुंह को आ जाता है। वह अपनी आँखे बंद कर लेता है। अचानक एक युवती भागती-भागती विलास प्रिय के पास आती है। हाथ जोड़कर कहती है मुझे बचाओ .. मुझे बचाओ .. यह लोग मेरी इज्जत लूट रहे है।

राजकुमार को देखकर वह घुड़सवार ठिठक गया। युवती बेहोश हो गई। राजकुमार का ह्रदय पसीज गया। वह सीधा महल में लौट आया। अपनी मां के पास गया। सारा किस्सा बयान किया। मां ने भी रोते हुए कहा, “बेटा ? कितनी मिन्नतों के बाद देवी मां ने मेरी गॉड भरी थी पर तुम्हारे बाप ने तुम्हे सदा अँधेरे में रखा। यहाँ के मंत्री, अधिकारी और स्वयं राजा प्रजा का भयानक शोषण करते है। “

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तभी राजा आ गया। उसने रानी को कठोर स्वर में कहा, ” तुम मेरे विरुद्ध बगावत कर रही हो ?मेरी संतान को मेरे विरुद्ध भड़का रही हो ?”….रानी! मैं राजा हूँ और एक राजा रानी को भी बगावत के आरोप में सजा दे सकता है। “

विलास प्रिय ने विनती भरे स्वर में कहा, लेकिन पिताजी, यह तो आपकी पत्नी भी है और मेरी मां भी है। “

“राजा पहले राजा है। “

“हम सबके बीच कोई मानवीय नाते-रिश्ते नहीं। “

राजा ने लापरवाही से कहा “मानवीय सम्बन्धो से सिंहासन की रक्षा नहीं होती। प्रशासन चलाने के लिए कठोरता की भी जरूरत होती है। “

विलास प्रिय कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप अपने कक्ष में आ गया।

रात को चोर की तरह निकल पड़ा।

अपने नगर को देखा। प्रजा अनेक कष्टों से जकड़ी हुई थी। गरीबी, असमानता, अभाव। वह घूमता रहा। अचानक उसने देखा कि एक रथ को कुछ आदमी खींच रहे है। उसमे एक धनवान बैठा है। गहनों में लदा-फदा। उसने पूछा तो ये पता लगा कि ये धनवान के गुलाम है।

“लेकिन रथ तो घोड़ो से जोता है। ” राजकुमार ने कहा।

“मैं अपने घोड़ो को तकलीफ क्यों दूँ ? मेरे पास मेरे गुलाम है। “

राजकुमार को बड़ा धक्का लगा। क्या आदमी जानवरों से भी गए गुजरे है ? वह पीड़ा से तिलमिला उठा।

वह आगे बढ़ा। शहर का जहाँ गन्दा नाला था। वहां शहर का सारा भी डाला जाता था। उसके आस-पास झोपड़िया थी। उन झोपड़ियों में आदमी रहते थे।

सवालों से घिरा हुआ वह लौटआया। मंदिर मे जाकर देवी मां के दर्शन करके बोला, “यह तेरा कैसा संसार है ?”

उसे आवाज सुनाई दी, “तू इन्हे सुधार, बदल ! तू मेरी ज्योति है, वरदान है, भलाई है, परोपकार है। “

राजकुमार ने दूसरे दिन ही कह दिया। “आपको अपनी व्यवस्था बदलनी होगी। रंगभेद जाति-भेद और धर्म-भेद से ऊपर मनुष्यों को अपना-अपना हक देना होगा। आप राजा है, प्रजा के सुख के आप जिम्मेदार है। ”

” यदि मैं ऐसा नहीं करूं तो ?”

मैं आपका विरोध करुंगा।

”राजकुमार। ”

Raja ki Kahani in Hindi –

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”हाँ पिताजी , आपके मंत्री ,अधिकारी ,सामन्तवान और छोटे -छोटे चाकर प्रजा पर बड़ा अत्याचार करते थे। ”

”एक राजा का बेटा ऐसा सोचकर अपना पतन कराता है। ”

राजा ने क्रोध भरे स्वर में कहा ,”यदि तुम ऐसा सोचते हो तो मेरे महल से निकल जाओ। ”

”जो आज्ञा पिताजी। ” राजकुमार ने कहा ,”जिस महल में मानवीय नाते -रिश्ते नहीं भला वहां रहने से क्या लाभ ?”

राजकुमार महल से बाहर निकलने लगा। तभी रानी आ गयी। वह राजकुमार से लिपट -लिपट कर रोने लगी।

राजकुमार ने कहा ,” चिंता न कर ,मैं देवी का वरदान बनकर ही बताऊंगा। ”

”हां , बीटा माँ ने तुम्हे इसलिए ही मेरी कोख में जन्म दिया है। ”

राजकुमार महल से निकल गया। वह घूम – घूमकर लोगो को जगाने लगा। कोई प्रजा पर जुल्म करता तो राजकुमार उसके आड़े आ जाता। राजा परेशान हो गया। जब उसे यह मालूम हुआ की राजकुमार के लिए भोजन एक हरिजन कन्या बनाती है तो राजा बड़ा ही क्रोधित हुआ। उसे लगा की किसी नई उसके मुंह पर थप्पड़ मार दिया। लेकिन राजकुमार विलासप्रिय परोपकार ,दया और भलाई के रास्ते पर चलता रहा। उसकी आत्मशक्ति इतनी प्रबल हो गयी थी की वह लोगो के दुख दूर अपने स्पर्श से कर देता था।

Raja ki kahani jaisi ek Rajkumar Ki Kahani। नन्हे राजकुमार की कहानी

एक दिन उसने एक बावड़ी के किनारे दो अंधो को रोते हुए देखा। पूछा ,” क्या बात है बाबा ?”

”हम दोनों अंधे हैं ठोकर खाते हैं ?”

” अरे भाई ,भगवान का नाम लो। अपनी आत्म -शक्ति विश्वास और आस्था को जगाओ। इन बड़ी -बड़ी आँखों में ज्योति आ जायेगी। आओ भाई…. आओ। ”

उसने उसको उस बावड़ी में नहलाया। … आदमी की आँखे लौट आयी।

”चमत्कार ”

राजा ने कहा ,” ऐसा नहीं हो सकता। ”

तभी राजा को मालूम पड़ा की किसानो ने इस बार लगान नहीं दी है और उसके सिपाही जब गये तब राजकुमार ने उन्हें वापस भेज दिया। सैनिको ने साफ कह दिया की वे राजकुमार के सामने हथियार नहीं उठा सकते। वे तो उनके सामने जाते ही अशक्त हो जाते हैं।

राजा ने पांव पटक कर कहा , ” मैं स्वयं उसे पकड़ कर लाऊंगा। उसके सारे ढोंग को मिटा दूंगा। ”

राजा सैनिको के साथ गया। उसने देखा की राजकुमार सभी वर्गो के लोगो के साथ कीतर्न में मग्न था। राजा ने सैनिको को आज्ञा दी ,इन सबको भगा दो। ..”

पर सैनिको ने देखा की उनके पांव जमीन से चिपक गये हैं। राजा चिल्लाता रहा। एकाएक राजा ने अपना पांव उठाया तो उसे मालूम हुआ कि वह जमीन से चिपक गया है। जब कीतर्न ख़त्म हुआ कि तब राजकुमार ने पूछा ,” क्या बात है महाराज। …”

”मेरे पांव धरती से चिपक गये। ”

”नहीं पिताजी ,धरती माँ ने स्वयं दुखी होकर ऐसा किया है। ”

राजा गिड़गिड़ाने लगा। दया की भीख मांगने लगा तब राजकुमार नने उसके पांवो को छुआ। पांव छूट गये। राजकुमार ने कहा ” जाओ भाई ,जाओ ,अब भी समझ जाओ कि तुम भी आदमी हो। ”राजा का ह्रदय बदल गया। राजकुमार ने अपने जीवन में सभी मनुष्यो को एक कर दिया। एक दिन राजकुमार तालाब में स्नान कर रहा था। तभी एक स्त्री रोती -पीटती हुई बोला राजकुमार ,मेरा बेटा तालाब में डूब गया।

कुछ और लोगो ने कहा, ‘हाँ राजकुमार, हमारे देखते-देखते। …आप तो चमत्कारी है। बच्चे को लाओ। “

राजकुमार ने हंसकर कहा, “बच्चा तो नहा रहा है। “

सबने देखा कि बच्चा दूसरे घाट पर नहा रहा था।

“चमत्कार। “

राजकुमार ने कहा, “चमत्कार नहीं, अपने मन की शक्ति, आस्था … विश्वास को जगाओ। चमत्कार आदमी के हृदय में है।

राजकुमार का जीवन सेवा करते-करते थक गया। एक दिन उसने जीवित समाधि ले ली वहां एक मंदिर बना। वह पहला मंदिर था जिसमे सभी धर्मों, जातियों व वर्गो के लोग आकर फूल चढ़ाते थे। उस मंदिर का भोग हरिजन कन्या ही बनाती थी।

Raja ki Kahani in Hindi से हमें पता चलता है कि सभी लोग एक सामान है किसी से भी भेदभाव नहीं करना चाहिए। Raja ki Kahani में राजा द्वारा प्रजा पर अत्याचार करना ये सब उसके कायरता की निशानी है। Raja ki Kahani में राजकुमार ही असली Raja है।

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