चिड़िया की कहानी | Raja Aur Chidiya Ki Kahani

आज हम आपको एक Raja Aur Chidiya Ki Kahani बताएंगे। यह एक ऐसी chidiya ki kahani है जो राजा के गुस्से का अच्छे तरीके से जवाब देती है। इस Raja Aur Chidiya Ki Kahani से आपको पता चल जायेगा की गुस्सा क्रोध से सभी का बुरा ही होता है। तो आप सभी इस Chidiya Aur Raja Ki Kahani पढ़िए और दुसरो को भी बताइये।

चिड़िया की कहानी

Raja Aur Chidiya Ki Kahani

प्राचीन समय में एक नगर में एक राजमहल था। उस महल में एक चिड़िया का हमेशा आना-जाना लगा रहता था। एक बार राजमहल में एक छोटा-सा परन्तु बहुत ही सुन्दर तथा मूल्यवान खिलौना पड़ा था। चिड़िया की नजर उस पर पड़ गई। उसने झपटकर उस खिलौने को उठा लिया और उड़ने लगी। इतने में राजा की निगाह उसपर पड़ गई।

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राजा ने कर्मचारियों को आदेश दिया कि चिड़िया को पकड़ लो, क्योंकि वह खिलौने को पंजो में दबाए गए रही थी —

आज महल में मिला खिलौना

उत्तम, सुन्दर और सलोना।

जब चिड़िया को पकड़ा गया तो राजा ने उससे खिलौना छिनवा लिया। खिलौना छिन जाने पर वह चहचहायी —

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है ये राजा बहुत लालची

मैं सबको यह बतलाऊँगी।

ऐसा सुनकर राजा घबरा गया , क्योंकि लालची राजा कहलाने से तो उसकी सब जगह बदनामी होगी। अतः उसने खिलौने को लौटाने के लिए कर्मचारियों से कहा कि खिलौना उसे वापस दे दो।

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खिलौने को पुनः पाकर चिड़िया जोर-जोर से गाने लगी —

मुझको वापस दिया खिलौना

कितना बुजदिल है ये राजा।

अपने को बुजदिल डरपोक कहते सुनकर राजा क्रोध से लाल-पीला हो गया और आदेश दिया कि इस चिड़िया को काटकर इस पर मसाले लगाकर प्लेट में रखो। कर्मचारियों के वैसा करने पर चिड़िया फिर भी चुप न रही और गाने लगी–

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लाल और पीला मुझे बनाकर

कुछ न मिलेगा मुझको खाकर।

ये शब्द सुने तो राजा अचम्भे में पड़ गया। उसने सोचा–अभी तो यह जीवित है, वरना बोलती कैसे ! उसने इन टुकड़ो को भूनकर लाने के लिए कहा। जब चिड़िया के टुकड़ो को भूनकर लाया गया और राजा खाने लगा तो गले में पहुँचते ही वह गाने लगी–

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जा रही हूँ तंग रास्ते से अहा

ये बहुत अच्छा किया, अच्छा किया।

चिड़िया की आवाज सुनते ही राजा बौखला कर सोचने लगा कि यह तो अभी भी जिन्दा है। अच्छा इसे अंदर निगलता हूँ, फिर देखता हूँ , यह कैसे जीवित रहती है। और इतना सोचकर वह उन भुने हुए टुकड़ो को निगल गया। पेट में पहुँचते ही चिड़िया की आवाज आने लगी —

मैं महल में आज आयी

खूब मस्ती मन में छायी।

सुनते हुए राजा तो आग उगलने लगा। क्रोध से बोला–ऐ सिपाहियों ! अपनी तलवारें निकाल लो और जैसे ही यह चिड़िया बाहर निकले, उसे समाप्त कर दो।

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राजा का हुक्म था। सबने अपनी-अपनी तलवार म्यान से बाहर निकाल ली और चिड़िया के निकलने की प्रतीक्षा करने लगे।

सहसा चिड़िया बाहर निकली और राजा के कंधे पर बैठ गई। इधर जब सिपाहियों ने उस पर तलवार का वार किया , उधर वह चिड़िया तो फुर्र-से उड़ गयी किन्तु राजा का कन्धा तलवारों से कट गया। खून के फव्वारे बह उठे। राजा कराहने लगा, मगर चिड़िया पास के वृक्ष की डाल पर बैठी अब गा रही थी —

फुर्र-से तो उड़ गयी मैं

कट गया राजा का कन्धा

शांति थी मन में मेरे, पर

क्रोध से राजा था अँधा।

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तो कैसी लगी यह Raja Aur Chidiya Ki Kahani आप सभी को। इस Chidiya Ki Kahani से आप सभी समझ गए होंगे कि क्रोध से सभी का विनाश ही हुआ है। ऐसे ही Raja Aur Chidiya Ki Kahani जैसी कहानिया पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर आते रहे।

6 Comments on “चिड़िया की कहानी | Raja Aur Chidiya Ki Kahani”

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