अयोध्या के राजा नाभाग | Ek Raja Ki Kahani Hindi

आज हम आपको अयोध्या के Ek Raja Ki Kahani सुनाने जा रहे है यह नाभाग Raja Ki Kahani है। यह एक ऐसे राजा थे जिन्हे लोग महान दानी राजा कहते थे। इस कहानी में हमें श्री कृष्ण के भी वर्णन मिलते है। तो चलिए आप सभी इस नाभाग Raja Ki Kahani पढ़िए और दुसरो भी बताइये।

राजा नाभाग

(Ek Raja Ki Kahani)

दोस्तों ! तुमने अयोध्या का नाम अवश्य सुना होगा। सुना ही नहीं, थोड़े दिन पहले टीवी पर दिखाए जाने वाले रामायण सीरियल में अयोध्या नगर और उसके दरबार को देखा भी होगा। इसी सीरियल में राजा राम. भाई भरत तथा लक्ष्मण और राम-भक्त हनुमान को भी देखा होगा और यह भी देखा होगा इन्होने अपने धर्म की रक्षा के लिए कितने कष्ट सहे थे।

लेकिन भगवान राम के ही परिवार में एक राजा ऐसे हुए थे, जिनकी एक असावधानी के कारण उनको बड़े कष्ट उठाने पड़े थे। आज हम, आप सभी को उसी राजा की कहानी सुनाते है।

दोस्तों तुम जानते हो कि हमारे देश भारत के रहने वाले हम सब लोग “मनु” की संतान है। मनु ने ही अयोध्या नगर की नींव डाली थी , लेकिन उसको पूरा किया उनके पुत्र इक्ष्वाकु ने। वही अयोध्या के राजा भी हुए।

राजा इक्ष्वाकु के वंश में , अट्ठाईस्वीं पीढ़ी में, नाभाग नाम के एक बड़े दानी राजा हुए थे। दान करते समय, इनसे एक थोड़ी-सी असावधानी हो गई थी , जिसके कारण उनको गिरगिट बनकर अपने पाप का फल भोगना पड़ा था। इनकी कहानी से, हमको यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक काम, बड़ी सावधानी के साथ किया जाए, नहीं तो बड़ा कष्ट उठाना पड़ता है।

इस राजा नाभाग की कहानी (Raja ki Kahani) इस प्रकार है–

एक बार कुछ यदुवंशी राजकुमार शिकार खेलने के लिए जंगल में गए। घूमते-घूमते उनको बड़ी प्यास लगी। इसलिए पानी की खोज में वे कोई कुआं, तालाब तथा जलाशय खोजने लगे। खोजते-खोजते वे एक कुएं के पास पहुँच गए। जब उन्होंने कुएं में झांककर देखा तो उनको उसमे पानी तो नजर नहीं आया,पर वहां उन्होंने पहाड़ के समान विशाल और अत्यंत सुन्दर एक गिरगिट देखा।

गिरगिट को देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही। वे अपनी प्यास को भुलाकर गिरगिट के प्रति दया से भर गए। उन्होंने उसको कुएं से बाहर निकालने की सोची और रस्सियों द्वारा उसको बाहर निकालने का प्रयत्न करने लगे, पर लाख कोशिश करने के बाद भी वे उसको बाहर निकालने में समर्थ न हो सके। आखिर में थककर घर आए और उस आश्चर्यजनक जीव के बारे में सारी बात भगवान श्री कृष्ण को बताई।

सब राजकुमारों को साथ लेकर श्री कृष्ण उस कुएं के पास पहुंचे और कुएं में झांककर उस आश्चर्यजनक जीव को देखा और अपना बायां हाथ नीचा करके उसको बाहर निकाल लिया।

दोस्तों ! भगवान श्री कृष्ण का हाथ लगते ही वह गिरगिट अपने असली रूप में आ गया यानी वह अत्यंत सुन्दर राजा बनकर सामने खड़ा हो गया।

उस समय उसके शरीर पर बहुमूल्य वस्त्र सुशोभित थे, उनके आभूषण चमक रहे थे , उसका रंग सोने के समान दिखाई पड़ रहा था। यह देखकर राजकुमारों के आश्चर्य की कोई सीमा न रही। वे श्री कृष्ण की ओर देखकर , इस आश्चर्य का रहस्य जानने की बात सोचने लगे।

Ek Aur Raja Ki Kahani – Ek Raja ki Kahani in Hindi- समाधि

दोस्तों ! अपने राजकुमारों की जिज्ञासा शांत करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने राजा का –सा रूपधारी उस आदमी से पूछा–“महाभाग ! आपका रूप तो अत्यंत सुन्दर है। इसको देखकर लगता है कि आप किसी राज्य के राजा है अथवा देवलोक के देवता। पर आपसे ऐसी कौन-सी भूल हो गई कि आपको गिरगिट बनना पड़ गया ? कृपा करके आप अपनी कथा मुझे विस्तार से बताये। “

इतनी बात सुनकर वह बोला–भगवन ! आप तो तीनो लोको के रहस्य को जानने वाले है, फिर भी मैं आपके आदेश का पालन करते हुए अपनी कहानी बताता हूँ। “

“हे भगवन ! मैं. अयोध्या के राजा इक्ष्वाकु का वंशज राजा नाभाग हूँ। मेरा स्वभाव ब्राह्मणों को दूधवाली गाएं दान देना था। आकाश में जितने तारे है पृथ्वी पर जितने धूल-कण है मैंने उतनी असंख्य गाएं ब्राह्मणों को दान की। लेकिन एक दिन, मुझसे एक भूल हो गई।

भगवान श्री कृष्ण ने पूछा कि हे राजन ! “वह भूल क्या थी ?” नाभाग ने उत्तर दिया — “हे भगवन् ! मेरी दान की हुई गायों में से एक गाय आकर बिना दान की हुई गायों में मिल गई और मैंने उसको एक दूसरे ब्राह्मण को दान कर दिया। एक दिन. पहले दान वाले ब्राह्मण ने, वह गाय दूसरे के पास देख ली और वह उससे बोला–“तुमने मेरी गाय चुराई है, तुम चोर हो ” दूसरा ब्राह्मण यह सुनकर क्रोध से आग बबूला हो उठा और बोला–“तुम मिथ्यावादी हो और असभ्य हो। “

Raja ki Kahani Hindi

Raja Ki Kahani

यह सुनकर पहला ब्राह्मण भी क्रोध में आ गया और दूसरे को अपशब्द कहने लगा। इस पर दोनों में भयंकर वाक्-युद्ध होने लगा कर दोनों उस गाय की छीना-झपटी करने लगे। अंत में, स्वयं सत्यवादी सिद्ध करने लिए पहला ब्राह्मण बोला — “मुझे यह गाय राजा नाभाग ने दान में दी थी। ” दूसरा भी बोला–“मुझे भी यह गाय राजा ने ही दान में दी है। “

हे भगवन् ! अपनी-अपनी बात सत्य सिद्ध करने के लिए वे दोनों ब्राह्मण लड़ते-झगड़ते मेरे पास आये। उनकी बात सुनकर मैं भ्रमित हो गया , पर मैंने अपना मानसिक संतुलन बनाये रखते हुए पहले ब्राह्मण से कहा –“हे ब्राह्मण देवता ! आपको इस गाय के बदले में ऐसी एक लाख गाये, जिनके सींग सोने से तथा खुर चाँदी से मण्डित होंगे, दान में दूंगा, आप यह गाय इस ब्राह्मण के पास रहने दे। “

पर हे भगवन ! वह ब्राह्मण इस बात पर राजी नहीं हुआ। वह उसी गाय को पाने पर अड़ा रहा। तब मैंने, दूसरे ब्राह्मण के सामने वही प्रस्ताव रखा, पर वह भी अपनी बात पर अड़ा रहा। मेरा धर्म-संकट बढ़ता गया। मैंने दोनों ब्राह्मणों को संतुष्ट करने के अनेक प्रयास किये, पर सब विफल रहे। क्रोध की मूर्ति बने दोनों ब्राह्मण मुझे कोसते हुए चले गए।

हे भगवन् ! इसके बाद, मैंने अपने जीवन के बाकी के दिन बड़े धर्म-संकट , आत्मग्लानि और तनाव के साथ व्यतीत किये। मेरा जीवन जब पूरा हो गया तो मुझे यमराज के दूत अपने साथ यमलोक में ले गए। वहां यमराज ने मुझसे पूछा–“हे राजन ! तुम अपने पाप का फल पहले भोगना चाहते हो या अपने पुण्य का ?”

Ek Raja ki Kahani in Hindi – Ek Rajkumari Ki Kahani Hindi New Story |मिली सहेली

भगवन् ! यमराज ने मुझसे यह भी कहा कि अपने पुण्य के बल पर तुमको बड़ा ही सुखद स्वर्ग मिलने वाला है। तब मैंने यमराज से कहा, “महानुभाव ! आप मुझे पहले मेरे पाप का दण्ड दे दें। ” मेरी बात सुनकर वह बोले–“तो फिर तुम गिरो और अपने पाप का फल भोगो। “

इसके बाद, मैं गिरा और गिरगिट बनकर उस कुएं में पड़ा रहा। हे भगवन् ! मैं आपका भक्त था, आपके दर्शन पाने की लालसा तथा आशा में भूखा-प्यासा पड़ा रहा। आपके करकमल का स्पर्श पाते ही, मेरे पाप का फल समाप्त हो गया और मुझे फिर से मानव-देह प्राप्त हो गया।

हे भगवन् ! मैं आपका भक्त था , दान तथा धर्म में मेरी रूचि थी और सच्चाई के रास्ते पर चलने का अभ्यास था। अतः मुझे अपने पूर्व जन्म का स्मरण रहा। हे भगवन् ! असावधानी में एक बार दान की गयी गाय को दूसरी बार दान करने का जो पाप मुझसे हुआ था , उसका फल मैंने गिरगिट के रूप में भोग लिया है और आपके दर्शन से मेरा पुण्य उदय हो गया है।

दोस्तों ! यह कहकर राजा नाभाग स्वर्ग चला गया। तब भगवान श्री कृष्ण ने अपने राजकुमारों को समझाया कि प्रत्येक काम भली प्रकार सोच-समझकर सावधानी के साथ करना चाहिए। अगर कोई गलती हो गई तो उसका दुष्परिणाम राजा नाभाग की तरह भोगना पड़ेगा।

तो कैसी लगी आप सभी को यह Raja Ki Kahani हिंदी कहानी। यह एक मजेदार और सत्यता से भरी एक दानी Raja Ki Kahani है। हमें उम्मीद है आपको यह Raja Ki Kahani पसंद आयी होगी। ऐसे ही कहानी के लिए हमारे वेबसाइट पर आते रहे।

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