भूत का भय | Bhoot Ki Kahani in Hindi

आज हम आप सभी को एक नयी Bhoot Ki Kahani in Hindi में बताएंगे। इस Bhoot Ki Kahani in Hindi में हमे शिशिर व उसकी बड़ी बहन जो दादी माँ के द्वारा Bhoot Ki Kahani सुनाया जाता है। यह Bhoot Ki Kahani मजेदार कहानी है। आप सभी इस Bhoot Ki Kahani in Hindi को पढ़िए और दूसरों को भी शेयर करें।

भूत का भय

Bhoot Ki Kahani in Hindi

शिशिर को कहानी सुनने का बहुत शौक था । वह और उसकी बड़ी बहिन शैव्या दोनों रात को दादी माँ को घेर लेते और कहते- ‘दादी माँ ! हमें कहानी सुनाओ ।’ कभी वे शेर की कहानी की फरमाइश करते तो कभी राक्षस की कहानी की । उनकी दादी माँ को सैकड़ों कहानियाँ याद थीं । वे उन्हें तरह-तरह की नयी-नयी कहानियाँ रात को सुनाया करती थीं ।

शिशिर का एक दोस्त था मनोज । मनोज को भी कहानियाँ बड़ी अच्छी लगती थीं । उसकी दादी माँ तो गाँव में रहती थीं और मम्मी कहानी सुनाती नहीं थीं । इसलिये मनोज कहानियों की तरह-तरह की पुस्तकें पढ़ता रहता था ।

मनोज अपने पिताजी से कहता–पिताजी ! हमें कहानियों की पुस्तक ला दीजिये ।’ पर वे उसे झिड़क देते । वे कहते अपने ही पाठ्यक्रम की पुस्तकें पढ़ो। उनमें मन लगाओ, पर मनोज सारे दिन पाठ्य पुस्तकें भी कहाँ तक पढ़ता ? परिणाम यह हुआ कि वह अपने जेब खर्च के पैसों में से चोरी-छिपे कहानी की पुस्तकें घर पर लाने लगा ।

मनोज आजकल भूत-प्रेतों की पुस्तकें पढ़ता रहता था ।

Bhoot ki Kahani in Hindi –

bhoot ki kahani hindi

वह शिशिर को भूत-प्रेतों की अनेकों कहानियाँ सुनाता रहता था । शिशिर अपनी दादी माँ से पूछता–‘दादी ! भूत-प्रेत सचमुच में होते हैं ? वे कहतीं– ‘नही बेटे ! नहीं होते ।’

पर मनोज कहता था कि भूत-प्रेतों की बातें सच्ची होती हैं । शिशिर के भोले मन में भी यह विश्वास जमता जा रहा था । अब वह डरपोक भी बनता जा रहा था। अन्धेरे में जाने में उसे डर सा लगता । वह सोचता कहीं भूत न आ जाये ? अन्धेरे कमरे में जाता तो शैव्या को साथ लेकर जाता । कमरे में अकेला रह जाता और खड़खड़ की आवाज होती तो चीख जाता ।

शिशिर चारों ओर नजरें घुमा कर देखता कि । कहीं कोई भूत-प्रेत तो नहीं आ गया है। दादी माँ उसकी इस आदत से बड़ी तंग थीं। वे बार-बार उसे समझाती थीं कि डरपोक न बनो । उस समय तो वह उसकी बात मान लेता, पर बाद में फिर उसे डर लगने लगता ।

Related Post –

Bhoot ki kahani in Hindi | लड़की और एक चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani

एक रात की बात है कि शिशिर की नींद आधी रात में खुली । उसे पेशाब करने के लिये बाहर जाना था । उसने अपनी बहिन शैव्या को जगाया । शैव्या ने विजली जलाई, पर जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो बिजली गायब हो गयी । अब तो शिशिर डर के मारे काँपने लगा । जैसे-तैसे वह वापस लौटकर अन्दर आया । बाहर खूब आँधी और तूफान था । शैव्या ने बड़ी कठिनाई से दरवाजा बन्द किया।

शैव्या तो जाकर सो गयी, पर शिशिर की आँखों में नींद न थी। हवा की तेज आवाज और बिजली की कड़क उसे डरा रही थी। थोड़ी देर बाद उसे लगा कि छत पर बैठकर कोई पत्थर फेंक रहा है । छत से खूब जोर-जोर से खट- खट की आवाज आ रही थी । टीन की छत खूब जोर-जोर से गूँज रही थी ।

शिशिर डरकर शैव्या से लिपट गया । बड़ी मुश्किल से उसे नींद आयी। नींद में उसे डरावने सपने आते रहे । सपने में उसने देखा कि एक काले रंग का भूत अपने बड़े-बड़े दाँत निकाले उसकी ओर दौड़ रहा है । वह चीख उठा ।

शिशिर की चीख सुनकर दादी माँ दौड़ी आर्यों । उन्होंने देखा कि वह चारपाई पर पड़ा डर के मारे काँप रहा है ।

Bhoot ki Kahani in Hindi –

bhoot ki kahani in hindi

‘क्या बात है बेटे ?’ उन्होंने शिशिर के सिर पर हाथ फिराते हुए पूछा ।

दादी माँ से लिपटते हुए शिशिर बोला– ‘भूत !’

‘भूत ! कहाँ है भूत ?’ दादी ने पूछा । शिशिर ने सपने की सारी बात सुना दी ।

‘पर वह तो सपना था । तुम उल्टी-सीधी बातें सोचते रहते हो न, इसलिये तुम्हें वैसे ही सपने भी आते हैं । जो हम सोचते हैं, वही सपने में देखते हैं ।’ दादी शिशिर को समझा रही थीं ।

‘पर भूत तो रात में ही आया था । सचमुच में आया था दादी !’ शिशिर कह रहा था ।

‘तुम्हें कैसे पता ? क्या तुमने उसे देखा था ?’ दादी माँ ने शिशिर से पूछा ।

‘नहीं दादी ! वह हमारे कमरे की टीन की छत पर बैठा पत्थर फेंक रहा था । शिशिर ने बतलाया ।

दादी कुछ-कुछ मुस्करा पड़ीं । उन्होंने शिशिर का हाथ पकड़ा और ठण्ड में ही बाहर ले गयीं । जीने से ऊपर चढ़कर वे छत पर पहुँचे । शिशिर ने वहाँ पर जाकर देखा कि अभी भी बड़े-बड़े ओले जमे हुए पड़े हैं । दादी हँसकर शिशिर से बोलीं– ‘देख रहे हो ! रात में खट-खट की आवाज किसकी हो रही थी । भूत-प्रेत कुछ भी न था । ओले बरस रहे थे । उनकी आवाज थी ।’

शिशिर आँखें फाड़-फाड़कर उन ओलों को देख रहा था। वह सोच रहा था कि उसकी सारी कल्पनायें बेकार थीं । अकारण ही वह इतना डरा ।

दादी माँ खड़ी हुई अभी भी समझा रही थीं- ‘शिशिर बेटा ! भूतों को मानना अन्धविश्वास मात्र है । ऐसी बिना सिर-पैर की बातों को मानने से कोई लाभ नहीं है । इससे हमारा आत्म-विश्वास समाप्त होता है और भय की भावना बढ़ती है । आदमी कायर व डरपोक बनता है । कायर व्यक्ति कभी किसी काम में सफल नहीं होता । तुम बहादुर बनो । बेकार का डर छोड़ो ।

दादी की बात शिशिर की समझ में आ गयी थी । अब उसे अन्धेरे में जाने से डर नहीं लगता । भूत-प्रेतों की कहानियों पर भी वह विश्वास नहीं करता ।

दोस्तों कैसी लगी Bhoot Ki Kahani in Hindi अर्थात भूत का भय कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह मजेदार कहानी आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही Bhoot Ki Kahani जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *