लड़की और चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani Hindi

आज हम आप सभी को एक नयी Short Story in Hindi में बताएंगे। यह Hindi Short Story एक लड़की और एक चुड़ैल की kahani है। Chudail Ki Kahani आप सभी ने बहुत सुनी होगी लेकिन इस Chudail Ki Kahani में लड़की की सुझबुझ का वर्णन मिलता है। लड़की के बुद्धिमत्ता के आगे चुड़ैल भी असफल हो जाती है। तो आप सभी इस New Short Story in Hindi का आनंद लीजिए।

लड़की और चुड़ैल की कहानी

Chudail Ki Kahani Short Story in Hindi

एक गांव में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो बच्चे थे। एक लड़की और एक लड़का। लड़की बड़ी थी और लड़का छोटा था। एक बार किसान और उसकी पत्नी को कही जाना पड़ा।

“बेटी! ” माँ ने लड़की से कहा, “हम लोग किसी काम से जा रहे है , इसलिए तू अपने छोटे भाई का देखभाल करना। अगर तूने अच्छी लड़की की तरह यह काम किया और घर के बाहर नहीं गई तो हम तुझे एक नया फ्रॉक खरीद देंगे। “

माँ-बाप काम से चले गए , लेकिन लड़की भूल गई कि उसकी माँ उससे क्या कह गई थी। उसने अपने नन्हे भाई को खिड़की के पास बैठा दिया और खुद अपनी सहेलियों के साथ खेलने चली गई। यकायक हंसों का एक झुण्ड उड़ता हुआ वहां से गुजरा। हंसों ने खिड़की पर झपट्टा मारा और नन्हे लड़के को उठा पीठ पर बिठाकर आकाश में उड़ गए। लड़की जब घर लौटी, तो उसका नन्हा भाई गायब था।

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वह हक्की-बक्की रह गई। इधर-उधर दौड़ी , मगर कही उसका नामोनिशान तक न था। उसने भाई को आवाज दी। उसे पुकार-पुकारकर उसका गला सूख गया। इनको मिलने की बात तो दूर, अब तो उसकी पिटाई की नौबत आ गई थी। यही सब सोच वह हिचकियां ले-लेकर रोने लगी।

वह बाहर खुले मैदान की ओर दौड़ पड़ी। लेकिन वहां उसे अपना भाई दिखाई नहीं दिया। हां, बहुत दूर उसे कुछ हंस जरूर आसमान में उड़ते नजर आए। उसने लोगों से सुना था कि हंस बहुत बुरे होते है। वो अक्सर छोटे बच्चों को उठा ले जाते है। उसे विश्वास हो गया , कि हंस ही उसके भाई को उठा ले गए है।

सो लड़की ने आव देखा न ताव, उन पक्षियों के पीछे दौड़ पड़ी। वह दौड़ती गई, दौड़ती गई और दूर घने जंगल में पहुँच गयी। यकायक हंस लड़की की नजरों से ओझल हो गए। लड़की उदास हो गई। तभी उसकी नजर एक कुँए पर पड़ी।

वह कुँए के पास पहुंची और बोली, “कुँए ! ओ कुँए ! ! मुझे बताओ , हंस मेरे भाई को कहाँ ले गए है ?”

“पहले मेरा पानी पियो, तब मैं तुम्हे बताऊंगा ,” कुँए से आवाज आई।

“क्या कहा, मैं और तुम्हारा गन्दा पानी पिऊं। अपने पिता के यहाँ मैं नदी का पानी तक नहीं पीती। “

तब कुँए ने उसे कुछ नहीं बताया। नन्ही लड़की फिर दौड़ने लगी। कुछ दूर जाने पर उसे जंगली सेबों का एक पेड़ दिखाई दिया।

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“सेब के पेड़, सेब के पेड़ ! मुझे बताओ कि हंस किधर गए है ?”

“पहले मेरा एक जंगली सेब खा लो, तब मैं तुम्हे बताऊंगा, ” पेड़ ने कहा।

“अपने पिता के यहाँ तो मैं बाग के भी सेब नहीं खाती !”

सो सेब के पेड़ ने भी कुछ नहीं बताया। आगे जाने पर उसे दूध की एक नदी मिली।

“दूध की नदी, मुझे बताओ कि हंस किधर को गए है ?”

“पहले मेरा दूध पिओ, तब मैं बताऊंगी,” नदी ने कहा।

“अपने पिता के यहाँ तो मैं मलाई वाला दूध भी नहीं पीती। “

सो दूध की नदी ने भी उसे कुछ नहीं बताया।

नन्ही लड़की दिनभर जंगलों और मैदानों में भटकती रही। शाम ढलने पर वह बेचारी घर लौटने की सोचने लगी। अब वह और क्या करती ? तभी यकायक उसे एक छोटी-सी झोपड़ी दिखाई दी जिसके मुर्गी जैसे पंजे थे। झोपड़ी में एक छोटी-सी खिड़की भी नजर आ रही थी। यह झोपड़ी लट्टू की तरह घूम रही थी। झोपड़ी के अंदर बाबा-यमा नाम की एक बूढी चुड़ैल बैठी सूत कात रही थी। उसके सामने खटिया पर लड़की का नन्हा भाई बैठा चांदी के सेबों से खेल रहा था।

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लड़की झोपड़ी के अंदर पहुंचकर बोली, “नमस्ते, दीदी !”

“नमस्ते लड़की। तुम यहाँ किसलिए आई हो ?”

“मैं हंसों का पीछा करते हुए अपने भाई की तलाश में यहाँ आई हूँ। आखिरकार मेरा भाई मुझे मिल ही गया। ” लड़की ने भाई को गोद में उठा लिया।

“तू थक गई होगी। बैठ जाओ और कुछ सूत कातो ! मैं तेरे लिए कुछ बनाकर लाती हूँ। “

चुड़ैल ने चर्खा लड़की को दे दिया और वह बाहर चली गई। लड़की वहां बैठकर सूत कातने लगी। इतने में यकायक एक चूहा चूल्हे के नीचे से निकलकर बाहर आया और बोला, “लड़की ! लड़की !! मुझे कुछ दलिया खाने दो तो मैं तुझे एक अच्छी बात बताऊं। “

नन्ही लड़की ने उसे दलिया दे दिया। तब चूहा बोला, “चुड़ैल रसोई में आग जलाने गई है। वह तुम्हे नहला-धुलाकर भूनेगी और खा जाएगी। “

नन्ही लड़की डर के मारे रोने लगी और थर-थर कांपने लगी। चूहा उसे ढाढ़स बंधाता हुआ बोला, “जल्दी करो, अपने नन्हे भाई को लेकर भाग जाओ। तुम्हारी जगह मैं सूत कातता रहूँगा। ”

लड़की अपने नन्हे भाई को गोद में लेकर भाग खड़ी हुई। कभी-कभी चुड़ैल आवाज लगाकर पूछ लेती, “लड़की सूत कात रही हो न ?”

चूहा उसे जवाब दे देता, “हां दादी, कात रही हूँ। “

रसोई में आग जलाकर चुड़ैल चुड़ैल लड़की को लेने आई तो उसने देखा कि झोपड़ी खाली है। चुड़ैल जोर से चिल्लाई, “हंसों उड़कर जाओ ! लड़की अपने भाई को लेकर भाग गई है। फौरन उसे पकड़कर लाओ !”

लड़की अपने नन्हे भाई को उठाय भागते-भागते दूध की नदी के पास पहुंची। तभी उसने देखा कि हंस उसे और उसके भाई को को पकड़ने के लिए उड़े चले आ रहे है।

“नदी माँ, नदी माँ ! मुझे छिपा लो, जल्दी !” लड़की चिल्लाई।

“पहले तुम्हे मेरा दूध पीना पड़ेगा। “

लड़की ने एक चुल्लू भरकर नदी में बहता दूध निकालकर पी लिया। दूध की नदी ने उसे और उसके भाई को अपने किनारे के बीच छिपा लिया।

हंस इन्हे नहीं देख पाए और वे उड़ते हुए आगे निकल गए। तब लड़की अपने नन्हे भाई के साथ आगे बढ़ी। लेकिन उधर से हंस भी लौट पड़े थे और सीधे उसी तरफ उड़ते चले आ रहे थे।

कभी भी उनकी नजर उस पर पड़ सकती थी। लड़की को कुछ न सुझा तो वह दौड़कर सेब के पेड़ के पास पहुंची।

“सेब के पेड़ , सेब के पेड़ ! मुझे छिपा लो , जल्दी !”

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“तुम्हे मेरा जंगली सेब खाना पड़ेगा। ” पेड़ ने वही शर्त रख दी।

लड़की ने जल्दी से एक सेब तोड़कर खाते हुए कहा, “अब देर न करो सेब के पेड़। “

सेब के पेड़ ने उसे अपने पत्तो और टहनियों के बीच छिपा लिया। हंसो ने उन्हें नहीं देखा और आगे चले गए। लड़की ने अपने भाई को उठाकर फिर से दौड़ना शुरू कर दिया। अभी वह जंगल के आखिरी सिरे के नजदीक ही पहुंची थी कि हंसों की नजर उस पर पड़ गई। उन्होंने उसे देखते ही चीखना और पंख फड़फड़ाना शुरू कर दिया। एक मिनट और बीत जाता तो वे झपट्टा मारकर नन्हे भाई को लड़की के हाथों से छीन ले जाते। पर लड़की दौड़कर कुएं के पास गई।

“कुएं, कुएं ! मुझे छिपा लो, जल्दी। “

“तुम्हे मेरा पानी पीना पड़ेगा।”

लड़की ने जल्दी से कुएं का पानी निकाल कर पी लिया और अपने भाई के साथ कुएं में कूद गई। हंस कुछ देर तक चीखते-चिल्लाते कुएं के चारों ओर चक्कर काटते रहे। फिर थककर चुड़ैल के पास लौट गए। लड़की असमंजस में थी कि अब वह कुएं से बाहर कैसे निकले। तभी दो हाथ प्रकट हुए। उन्होंने लड़की को उसके भाई सहित पकड़कर कुएं से बाहर खड़ा कर दिया।

“धन्यवाद अनदेखे दोस्त, “लड़की ने कहा।

लेकिन यह क्या- कुआं तुरंत अपने स्थान से गायब हो गया और उसकी जगह एक आदमी चमचमाती पोशाक पहने लड़की के सामने आ खड़ा हुआ। तभी एक युवती सुन्दर वस्त्र पहने एक बच्चे का हाथ थामे वहां पहुंची। लड़की आश्चर्य से उन तीनों को देख रही थी।

तभी आदमी बोला, “हम तुम्हारे शुक्रगुजार है लड़की। मैं यहाँ का जार हूँ और ये मेरी पत्नी-पुत्र है। एक चुड़ैल ने हमे जादू से कुआं, पेड़ और नदी बना दिया था। तुमने हमे उसके जादू से मुक्त कराकर हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है। “

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लड़की आश्चर्य से बोली, “लेकिन मैंने तो कुछ भी नहीं किया। “

“अगर तुम नदी का दूध, पेड़ का सेब और कुएं का पानी न ग्रहण करती तो हमे मुक्ति नहीं मिलती, ” जार की पत्नी ने कहा।

“इस उपकार के बदले हम तुम्हे इनाम देना चाहते है। “जार अपनी अंगूठी लड़की को देते हुए बोली, “कल तुम अपने माता-पिता के साथ दरबार में पहुँच जाना। कोई तुम्हे रोके तो यह अंगूठी दिखा देना। ” इतना कह जार अपनी पत्नी और बेटे से साथ वहां से चले गए।

लड़की भी खुशी-खुशी अपने घर की ओर चल पड़ी। जब वह घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके माता-पिता बेसब्री से उसकी प्रतीक्षा कर रहे है। लड़की ने सारी बात उन्हें बता दी।

अगले रोज किसान दम्पति अपनी बेटी और बेटे के साथ राजमहल पहुँच गए। राजा न उन्हें ढेर-दी रकम और ढेर सारे तोहफे इनाम में दिए। किसान ने उस पैसे से जमीन खरीदी और उस पर खेती करके अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। अब उनके घर में किसी चीज की कमी नहीं रही। कालांतर में उसने अपनी बेटी का विवाह भी एक सम्पन्न युवक से कर दिया।

तो कैसी लगी आप सभी को यह New Short Story in Hindi और एक लड़की तथा Ek Chudail Ki Kahani आपको जरूर पसंद आयी होगी। इस कहानी में हमें Chudail Ki Kahani के साथ-साथ लड़की की सुझबुझ जो चुड़ैल को भी मात दे दी। ऐसे अनेक New Short Story in Hindi, Chudail Ki Kahani, Bhootni ki kahani Hindi में पढ़ने के लिए हमारे website पर आते रहे।

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