शरारती शेर | Sher Ki Kahani Hindi

आज हम आपको एक शरारती शेर के बच्चे की कहानी बताएंगे। यह Sher Ki Kahani Hindi आपको जरूर पसंद आएगी क्योंकि इसमें छोटे शेर के द्वारा अनेकों हास्य वाले कारनामे किये है। तो चलिए आप सभी इस Sher Ki Kahani Hindi को पढ़िए और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी शेयर करिए।

शरारती शेर

(Sher Ki Kahani Hindi)

अभ्यारण्य में सुंदरी नाम की एक शेरनी रहा करती थी। उसके तीन बच्चे थे। एक बार दो बच्चे बीमार हो गए। उनकी बीमारी ठीक ही न हुई और वे मर गए। अब शेरनी का एक ही बच्चा बचा था, उसका नाम शेरू था।

शेरू को उसके माता-पिता बहुत प्यार करते थे। वह उनका इकलौता बेटा था और उसकी आँखों का तारा था। वह जो भी जिद करता सुंदरी उसे पूरा करती।वह अपने बच्चे को रोते या उदास होते नहीं देख सकती थी। ममता के कारण वह उसकी गलतियाँ भी नहीं देख पाती थी। शेरू यदि कोई गलत काम भी करता तो भी वह उसका पक्ष लेती। कहती — “अभी बच्चा है, बड़ा होकर अपने आप संभल जाएगा। “

जो माता-पिता अपने बच्चो की हर जिद को पूरा करते है, उन्हें उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं कराते, उनके बच्चे बिगड़ते है। माँ के लाड़-दुलार की अधिकता से शेरू भी बिगड़ता चला गया। बच्चो की बुरी आदतें बचपन में तो अधिक बुरी नहीं लगती, बचपना लगती है। सभी हंसकर टाल देते है , पर बड़े होने पर छोटी-मोती खराब आदतें भी बहुत बड़ी बुराई लगने लगती है।

वही जानवर जो बचपन में शेरू को लाड़-दुलार करते थे, अब रोज-रोज उसकी शिकायत लेकर आने लगे। एक दिन जग्गू लोमड़ी आकर रोने लगी — “महारानी जी ! आप कृपया करके अपने बेटे को समझाइये। मैं खाने की खोज में गई थी। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे झाड़ियों के पीछे लेते थे।

बेचारों की अभी आँखे भी ठीक से नहीं खुल पाई है। शेरू लल्लू वहीँ गया और खेल-खेल में उनकी आँखें इतनी जोर से दबा आया कि अभी भी उनसे खून निकल रहा है। आप चलकर देखिए तो तनिक। हाय ! मेरे बच्चों की आँखे ही न फुट जाएं ……।” यह कहकर जग्गू लोमड़ी सिसकने लगी।

Related Post :-

  1. चटोरे भोजन भट्ट
  2. शेरनी और सुअरिया की कहानी
  3. भालू की बहादुरी

सुंदरी तुरंत उसके साथ वहां दौड़ी गई। सुंदरी ने जग्गू के बच्चो की आँखों पर जड़ी-बूटी बाँधी। बहुत प्रयास किया , तब कहीं जाकर खून बहना बंद हुआ।

एक दिन लाली गिलहरी आई और कराहती हुई बोली — “देख लीजिए महारानी जी अपने सपूत की करतूत। मुझे जबरदस्ती पकड़कर सोते हुए हाथी दादा की सूंड में घुसेड़ दिया। सांस रुकने लगी तो हड़बड़ाकर उठ बैठे। उन्होंने जोर से छींका तो सूंड में से बैठी दूर छिटक गई। तभी से मेरे पैर की हड्डी टूट गई है। बड़ी मुश्किल से चलती हुई आप तक आ पाई हूँ। “

सुंदरी ने समझा-बुझाकर जैसे-तैसे लाली को घर भेजा।

एक बार हाथियों का एक झुण्ड आया और शिकायत करने लगे — ” देखिए ! यह भी कोई अच्छी आदत है ? शेरू हममे फुट डलवाने की कोशिश करते है। वह चार-पांच दिन से हर हाथी के पास जाते है और एक दूसरे की बुराई करते है। वह तो भला हो रन्नो हथिनी का, जिसने सभी को समझाया और शेरू की पोल खोल दी। ऐसा न होता तो हम सभी आपस में ही लड़-लड़कर मर जाते। चुगलखोरी की, एक दूसरे की बुराई की आदर स्वयं अपना ही अपमान कराया करती है। “

एक दिन तो सुंदरी का राजा चीते से झगड़ा होते-होते बचा। सुंदरी खा-पीकर सुस्ता रही थी कि तभी राजा आया और दहाड़ते हुए बोला — “कहाँ है वह शेरू का बच्चा ? बताओ कहाँ है वह ? आज मैं तुम्हे बता देता हूँ कि फिर कभी उसने ऐसी कोई भी शरारत की तो उसे कच्चा ही चबा जाऊंगा , नहीं तो अपने कपूत को सम्भालो। ”

सुंदरी राजा का यह रौद्र रूप देखकर कांप उठी। “हे भगवान ! आज तो जरूर कुछ अनहोनी घटने वाली है। यह शेरू न जाने क्या कर आता है ?” उसने मन ही मन कहा। वह राजा से बोली — “शांत हो जाओ भैया। आओ बैठो ! शेरू बच्चा है , अभी कोई गलती कर आया है तो उसे माफ कर देना। “

” शेरू अब कोई बहुत छोटा बच्चा भी नहीं है। फिर बचपन से ही यदि खराब आदतें न छुड़ाई जाएंगी तो बड़े होकर भी बनी ही रहेंगी। सुनो ! सुनाता हूँ आज की घटना। बताता हूँ कि तुम्हारा शेरू कितना धूर्त है ? मैं अपने छोटे-छोटे बच्चो के लिए तजा शिकार करके लाया था। मैं वहां से थोड़ी सी देर को हटा कि शेरू सारा का सारा मांस वहां से चुरा लाया। मुझे जब पता लगा तो मैं उसके पीछे दौड़ा।

वह साफ झूट बोल गया। कहने लगा कि मैं अपने आप शिकार करके लाया हूँ। मैंने कसकर एक झापड़ मारा तो भागता ही नजर आया। आज तो छोड़ दिया है, पर आगे कभी ऐसा किया तो जान से हाथ धोना पड़ेगा उसे। आप ही बताइए कि झूट बोलना चोरी करना यह कोई अच्छी आदतें है ? क्या यही सिखाया है आपने अपने बेटे को ?” राजा चीता कह रहा था।

सुंदरी का सिर लज्जा से झुक गया। वह शेरू के पक्ष में एक शब्द भी न बोल पाई। उसे विश्वास था कि शेरू जरूर ऐसी ही शरारतें करके आया होगा। उसने बड़ी ही मुश्किल से राजा को वापस भेजा।

सुंदरी अब बड़ी परेशान थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे, क्या न करे, शेरू को समझाती तो उसकी बात कानो पर ही उतार देता। उसकी शरारतें और बुरी आदतें दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी। जंगल के सारे जानवर उससे परेशान थे। सुंदरी को डर था कि वे सब मिलकर कहीं किसी दिन उसे मार न दें। सुंदरी इसी चिंता में घुल-घुलकर दुबली होने लगी।

एक दिन सुंदरी उदास बैठी थी। तभी उसकी सहेली वीरा आई और आश्चर्य से बोली — “अरे ! तुम इतनी पतली कैसे हो गई हो ? यों उदास सी क्यों बैठी हो ?”

सुंदरी ने अपनी उदासी का कारण बताया। वीरा कहने लगी — “देखो बहन ! बच्चे माता-पिता के व्यक्तित्व का परिचय देते है। प्रत्येक माता-पिता का कर्तव्य हो जाता है कि बचपन से ही बच्चो में अच्छी आदतें डालें, उन्हें अनुशासन का पालन करना भी सिखाएं। यदि बचपन में ही बच्चो को यह सब नहीं सिखाया गया तो फिर बड़े होकर उन्हें यह सब सिखाना कठिन हो जाता है। “

“यही तो है, यही तो है। ” सुंदरी सिर हिलकर बोली।

वीरा फिर आगे बोली — “अभी तो बहुत नहीं बिगड़ा है। अभी भी समय है , जब तुम शेरू को सुधर सकती हो, अपनी गलती का परिमार्जन कर सकती हो। गलत करना जितना बुरा है, गलती को समझकर उसे न सुधारना उससे भी बुरा है। “

“सो तो है ही। ” सुंदरी बोली।

“सोचो ! कल को बड़े होकर जब शेरू बुरे काम करेगा, तो क्या तुम्हारा नाम भी बदनाम न होगा ? सब कहेंगे — “यह सुंदरी का बेटा है। ” सुंदरी बहन ! माता-पिता बच्चे को जन्म न दे पाएं, यह इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा है कि वे अपनी संतान को योग्य न बना पाएं। “

“बोलो ! मैं क्या करूँ ? कैसे उसे सुधारूं ?” सुंदरी व्याकुल होकर पूछने लगी।

वीरा बोली — ” तुमने अपने लाड़ से उसे बिगाड़ा है। अब अपने दिल को तनिक कड़ा कर लो। जब वह गलत काम करे, तब उसे तनिक भी प्यार न करो। जब वह थोड़ा सा भी अच्छा करे, उसे पूरा-पूरा प्यार और प्रोत्साहन दो। शेरू की समझ में यह बात आ जानी चाहिए कि तुम्हारा प्यार अच्छाई के लिए है। यह दूसरों की भलाई करने पर ही उसे मिल सकता है। उसकी जिस बात से किसी को थोड़ी सी भी तकलीफ होगी, तो स्वयं दुखी होगी और उसे प्यार नहीं कर सकोगी। “

“तुम बहुत अच्छी बात कह रही हो। ” सुंदरी बोली।

वीरा फिर समझाने लगी– “बहन ! शेरू की जो बुराइयां हो, उन पर विचार करो। कड़ाई से उन्हें छुड़ाने का प्रयास करो। अभी भी शेरू पूरी तरह बड़ा नहीं हुआ है। अभी समय है, वह सुधर सकता है। “

वीरा की बात सुंदरी की समझ में आ गई थी। उसके बतलाए उपाय का उसने कठोरता से पालन किया। कुछ ही दिनों में शेरू की आदतें छुड़ाने में वह सफल हो गई। अब कोई जानवर उसकी शिकायत लेकर नहीं आता। सच है कि माता ही बच्चे की निर्माता है, वही उसे अच्छा-बुरा बनाती है।

तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह Sher Ki Kahani Hindi ऐसे ही और कहानी पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट में आते रहे और comment करके जरुर बताएं कि यह कहानी आपको कैसी लगी।

गायत्री परिवार के द्वारा बाल निर्माण की कहानियां को हमारी तरफ से बहुत बहुत आभार।

Pdf Download – बाल निर्माण की कहानियां

4 Comments on “शरारती शेर | Sher Ki Kahani Hindi”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *