आज हम आपको 2 ऐसे बेहतरीन Short Moral Stories for kids in hindi बताएंगे। ये moral stories खासकर बच्चो (kids) के लिए प्रेरित है। यह short moral stories बहुत ही अच्छी व शिक्षाप्रद है। इसे पढ़कर आप सभी को शिक्षा अथवा सीख मिलेगी। तो इस moral story in hindi for kids को पढ़िए और इसका आनंद लीजिए।
1. वनदेवी
(Moral Short Stories for Kids in Hindi)
एक था गांव। वहां ज्यादातर किसान रहते थे। अधिकतर घरो में दुधारू पशु थे। कुछ घर दस्तकारों और कारीगरों के भी थे।
गांव का चरवाहा सुबह-सुबह ढोरों को हाँककर चराने ले जाता और दिन ढले लौटता। जिनके पशु चरने जाते थे , वे मिलकर चरवाहे का खर्च उठाते थे। चरवाहे को किसी से कोई शिकायत नहीं थी। वह पूरी मेहनत से अपना काम करता था।
एक बार गांव में बहुत अधिक बारिश हो गई। सब तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा। चरवाहा ढोरों को कहा ले जाता ! पशु चरने बंद हुए, तो गांव वालो ने चरवाहे को हटा दिया। चरवाहे ने मुखिया से कहा, “मैं गांव छोड़कर अब चला जाऊंगा। “
moral stories for kids in hindi
मुखिया समझता था कि यह ठीक नहीं होगा। पानी उतर जाने पर कौन चराएगा पशुओ को ? उसने पंचायत बुलाई। फैसला हुआ कि चरवाहे को सभी लोग पैसा देंगे। उसने ढिंढोरा पिटवा दिया कि चरवाहे के गुजारे के लिए गांव के लोग चंदा जमा करें।
गांव के सभी लोग चंदा जमा करने लगे। लेकिन कुछ लोगो को यह बात पसंद न आई। उनमे एक कारीगर था। वह लकड़ी का काम करता था, पर था बड़ा धूर्त्त।
कारीगर ने सोचा, “मेरे पास तो ढोर है नहीं। फिर मैं पैसे क्यों दूँ। ” उसे एक तरकीब सूझी। उसने रातों रात लकड़ी की एक गाय बनाई। सवेरे चरवाहे को बुलाया और कहा–“यह देखो गाय इसे तुम्हे चराने ले जाना है। “
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चरवाहा कारीगर की दुष्टता भांप गया। उसने कहा, “अरे, यह तो लकड़ी की है। ” कारीगर ने कहा, “लकड़ी ही हो या पत्थर की, तुम्हे इसे ले जाना है और शाम को होगा। चाहे कंधो पर ही ले आओ। “
चरवाहे ने लकड़ी की गाय को अपने कंधे पर उठाया और चल पड़ा चरागाह की ओर। लकड़ी की गाय बहुत भारी थी। शाम को लौटा तो काफी थक चूका था। कारीगर चरवाहे को इसी तरह परेशान करता रहा। चरवाहा समझ नहीं पा रहा था कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाए। एक शाम बेचारा थका-मादा घर लौट रहा था कि अचानक उसके पैर लड़खड़ा गए। वह गिर पड़ा। कंधे छिल गए , पैरों में भी काफी चोट आई।
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जहाँ चरवाहा गिरा था, वही वनदेवी का निवास था। वनदेवी ने चरवाहे की दुःख भरी पुकार सुन ली। चरवाहे ने लकड़ी की गाय को उठाया तो अचानक गाय उसे हलकी जान पड़ी। वह चकित रह गया। गाय को कंधे पर उठा, वह कारीगर के घर जा पहुंचा।
चरवाहे को परेशान देख, कारीगर को बहुत आनंद मिलता था। दुष्ट जो था। खा-पीकर रात को वह सो गया। अचानक जब उसकी नींद खुली, तो देखा एक गाय उसके आंगन में खड़ी है। उसके गले में घंटियां है , जो बार-बार टनटना रही है। कारीगर तो भौचक्का रह गया , “जरूर भगवान की कृपा हुई है मुझ पर। तभी तो लकड़ी की गाय असली गाय में बदल गई। अब लकड़ी का एक हाथी बनाऊंगा। रात को सचमुच हाथी बन जायेगा। फिर हाथी को बेच दूंगा। काफी पैसा मिलेगा। “
बस , कारीगर लकड़ी का हाथी बनाने लगा। एक सप्ताह बाद कारीगर ने चरवाहे से कहा, “आँगन में लकड़ी का हाथी खड़ा है। वह भारी नहीं है। तुम्हे उठाना भी नहीं पड़ेगा। मैंने उसमे पहिए लगा दिए है। इसे पहियों पर चलाकर ले जाओ। ” चरवाहा बहुत दुखी हुआ। उसे लगा कारीगर जरूर पागल हो गया है। वह बड़बड़ाता हुआ हाथी को लेकर चल पड़ा।
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शाम को लकड़ी के हाथी को कारीगर को सौंप गया। उस रात को कारीगर सो न सका। अचानक जोर से आंधी आई। एकाएक लकड़ी का हाथी चिंघाड़ने लगा। वह सचमुच का हाथी बन गया था। हाथी ने कारीगर के मकान को देखते-देखते तहस-नहस कर डाला। हाथी चिंघाड़ता हुआ जंगल की ओर चला गया।
गांव वाले सवेरे उठे तो यह सब देखकर चकित रह गए। कारीगर का कही पता नहीं था। लोग बड़े आश्चर्य में थे कि क्या केवल उसी के घर तूफान आया था ? किसी को कुछ पता नहीं चल सका कि यह सब कैसे हुआ।
उनके प्रश्नों का उत्तर देने वाला तो हमेशा के लिए गांव छोड़कर जा चूका था। उसको लालच और दुष्टता की भरपूर सजा दी थी वनदेवी ने।
2. बालक
(Short Moral Stories for kids in hindi)
विदर्भ में सत्यरथ नाम के प्रसिद्ध राजा थे। वे अत्यंत धार्मिक एवं सत्यवादी थे। वे भगवान शिव के भक्त थे। राजा सत्यरथ की प्रजा बहुत सुखी थी। एक बार शाल्वदेश के राजाओं ने सत्यरथ के राज्य पर आक्रमण किया और उसे चारों ओर से घेर लिया। राजा सत्यरथ की सारी सेना मारी गई। अंत में सत्यरथ भी शाल्वों के हाथ मारे गए। राजा सत्यरथ के मरने पर बचे हुए सैनिक मंत्रियो के साथ भाग गए।
राजा सत्यरथ की महारानी भी शत्रुओं से घिर गई थी। किन्तु किसी प्रकार रात की महल से बचकर भाग निकली। उन दिनों वे गर्भवती थी, अतः भगवान शिव की प्रार्थना करते हुए धीरे-धीरे पूरब दिशा की ओर दूर चली गई।
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रात बीत गई। सवेरा हुआ। उनको कुछ दुरी पर एक निर्मल सरोवर दिखाई दिया। सरोवर के पास आकर वे आराम से बैठ गई। पेड़ की शीतल छाया में उनको एक पुत्र पैदा हुआ। वह बहुत सुन्दर था। थोड़ी देर बाद महारानी को बहुत जोर की प्यास लगी। वे सरोवर में पानी पीने के लिए नीचे उतरीं। इतने में एक बहुत बड़ा ग्राह पानी से निकला और महारानी को निगल गया।
वह बालक अब अत्यंत असहाय हो गया। जोर-जोर से चिल्लाकर रोने लगा। भूख-प्यास की पीड़ा से बेहोश-सा हो गया।
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इतने में भगवान शिव की कृपा से एक विधवा वहां पहुँच गई। निर्जन में अकेले बालक को रोते हुए देखकर उसे बहुत आश्चर्य हुआ। वह मन-ही-मन सोचने लगी, “यह कौन है , इस सुनसान में कहाँ से आया ? न जाने यह किसका पुत्र है ?”
इस प्रकार वह विधवा स्त्री सोच ही रही थी कि एक साधु वहां पहुंच गया। वह साधु बोला, “यह बालक परम पवित्र है। तुम इसे अपना ही पुत्र समझो और इसका पालन करो। ” वास्तव में वह साधु स्वयं भगवान शिव थे। उन्होंने उसे बालक की सारी कथा बता दी।
तो कैसी लगी यह Best Short Moral Stories for kids in hindi आप सभी को। उम्मीद करते है यह moral stories in hindi आपको पसंद आयी होगी।
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