सच्ची दोस्ती | Best Friendship Story in Hindi

आज हम आपको एक Friendship Story in Hindi बताने जा रहे है। ये Friendship Story in Hindi दो सच्चे दोस्तों की dosti ki kahani है। ये कहानी आपको जरूर पसंद आएगी क्योंकि यह best friend story है और हम सभी अपनी दोस्ती के लिए बहुत कुछ करते है।

सच्ची दोस्ती

(Best Friendship Story in Hindi)

दो बहुत गहरे दोस्त थे विक्की और पंकज। एक गरीब एक अमीर। एक शांत स्वभाव का दूसरा जूठी शान दिखानेवाला। विक्की शांत था। पढ़ने-लिखने में मन लगाता था। बड़ो का आदर करता था। उसके माता-पिता भी उसे बहुत प्यार करते थे। पंकज अमीर घर का बिगड़ा हुआ लड़का था। वह किसी का आदर करना नहीं जनता था। उसेक माँ-बाप भी उसे इतना प्यार नहीं देते थे। वह जिद्दी हो गया था। दुसरो पर अपना रौब जमाने की कोशिश में लगा रहता।

आधी छुट्टी में दोनों दोस्त साथ-साथ खाना खाते। विक्की के डिब्बे में रोटी-सब्जी निकलती और पंकज के डिब्बे में मिठाइयां। वह विक्की से खाने को कहता लेकिन विक्की कभी-कभी बहुत संकोच से ले लेता। पंकज को मिठाई पसंद नहीं थी। वह विक्की की रोटी खा जाता।

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विक्की भूखा रह जाता पर कुछ बोलता नहीं। एक दिन दोनों स्कूल से घर की ओर जा रहे थे। रास्ते में एक आइसक्रीम वाला मिला। विक्की के जेब में पचास पैसे थे। पंकज के पास भी पचास पैसे ही थे। दोनों ने एक-एक आइसक्रीम खाई। पंकज मन ही मन बहुत शर्मिंदा हो रहा था कि उसकी जेब में भी विक्की जितने ही पैसे निकले।

दूसरे दिन विक्की की तबियत ठीक नहीं थी, वह स्कूल नहीं गया। पंकज अकेला गया था, पर उसका मन विक्की के बगैर नहीं लग रहा था। उस दिन पंकज अपने पापा की जेब से पांच रूपये चोरी करके लाया था। आज उसने पांच रुपए की अकेले ही आइसक्रीम खा ली।

वह तो सोच कर आया था कि आज विक्की पर अपनी धाक जमाऊंगा कि मेरे पास इतने पैसे है। पर अब क्या करता ! पंकज ने सोचा अब तो मैं रोज-रोज चोरी भी नहीं कर सकता। जब वह क्लास से बाहर निकल रहा था तो उसे एक ज्योमैट्री बॉक्स दिखाई दिया। उसने चुपचाप वह अपने बस्ते में रख लिया और बाजार में जाकर बेच दिया।

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अगले दिन विक्की स्कूल आया तो पंकज ख़ुशी-ख़ुशी उसके पास आया और उसकी तबीयत के बारे में पूछने लगा। फिर दोनों कक्षा में गए। मास्टर जी आए नहीं थे। दोनों एक दूसरे से बाते करते रहे। विक्की चाहता था कि कल जो काम कराया गया था वह कर ले लेकिन पंकज उसे पढ़ने नहीं दे रहा था। तभी आधी छुट्टी की घंटी बजी।

विक्की अपना खाना खोलने लगा तो पंकज बोला–“रहने दे यार, आज मैं तुझे बाहर से कुछ खिलाऊंगा। ” विक्की मना करता रहा लेकिन पंकज नहीं माना। वह विक्की को स्कूल के बाहर ले गया और उसे खोमचेवाले से चाट दिलवा दी। विक्की मन ही मन शर्मिंदा हो रहा था लेकिन उसने दोस्त का मन रखने के लिए वह चाट खा ली।

आधी छुट्टी के बाद मास्टर जी कक्षा में आए और बोले–बच्चो, हमारे स्कूल में ऐसी घटना पहली बार हुई है। कल सुदीप का ज्योमैट्री बॉक्स यहाँ रह गया था और अब मिल नहीं रहा है। तुम सब जानते हो वह गरीब लड़का है और दुबारा नहीं खरीद सकता। जिसने भी लिया हो, उसे लौटा दे। ” सारी कक्षा में सन्नाटा रहा पर पंकज के दिल में उथल-पुथल मची हुई थी। विक्की खड़ा होकर बोला–“मास्टर जी, मैं भी अमीर नहीं हूँ। हां, हम सब बच्चे चंदा इकठ्ठा करके सुदीप के लिए नया ज्योमैट्री बॉक्स खरीद देंगे। “

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मास्टर जी विक्की की भावनाओ को देखकर बहुत खुश हुए। आखिर यही फैसला हुआ कि सब बच्चे अपने घर से पचास-पचास पैसे लाकर देंगे और सुदीप के लिए नया ज्योमैट्री बॉक्स खरीद देंगे।

छुट्टी हो गई। पंकज और विक्की घर की ओर चल दिए। विक्की ने देखा पंकज हमेशा की तरह उछल-कूद नहीं रहा , बहुत गंभीर और उदास है। विक्की से नहीं रहा गया। उसने पूछा– “क्या बात है दोस्त ! इतने उदास क्यों हो ? घर में सब ठीक तो है। “

विक्की के इतना कहते ही पंकज फूट-फूट कर रो पड़ा। विक्की यह देखकर और घबरा गया। जब पंकज रो पड़ा तो विक्की ने प्यार से पूछा– “क्या हुआ दोस्त ?”

“मैंने कैसे बताऊ मुझे बहुत खराब लग रहा है। मैंने ही सुदीप का वह ज्योमैट्री बॉक्स चुराया और बेच दिया। हमने उसी के पैसो से आज चाट खाई थी। “

विक्की ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा–“यह तुमने अच्छा नहीं किया पंकज !”

“मुझे कुछ भी करके बचा लो मेरे दोस्त। अगर पापा को पता चला तो मुझे बहुत मारेंगे और अगर प्रिंसिपल को पता चला तो वह मुझे स्कूल से निकल देंगे। “

“मैं कुछ सोचता हूँ। ” इतना कहकर दोनों अपने-अपने घर चले गए।

दूसरे दिन विक्की ने अपनी माँ से कहा–“माँ, आज स्कूल में पार्टी है , मुझे दस रुपए चाहिए। ” माँ को अपने बेटे पर बहुत विश्वास था और पहली बार विक्की ने इस तरह माँ से पैसे मांगे थे। माँ ने फ़ौरन दस रुपए का नोट निकालकर विक्की को दे दिया।

विक्की स्कूल पहुंचा और प्रिंसिपल से आज्ञा लेकर उनके कमरे में चला गया। पूछने पर बोला–“मैंने बहुत बड़ी गलती की है, मैं माफ़ी मांगने आया हूँ। सुदीप का ज्योमैट्री बॉक्स मैंने चुराया था। ” यह कहकर उसने दस रुपए का नोट प्रिंसिपल के सामने रख दिया।

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प्रिंसिपल ने ध्यान से विक्की को देखा। उन्हें विक्की के चेहरे से लग रहा था कि यह लड़का झूठ बोल रहा है। उन्होंने विक्की के पापा को फोन करके बुलाया। उसके पापा आए और प्रिंसिपल ने बात बताई तो उसके पापा को विश्वास नहीं हुआ। वह हैरान थे कि विक्की ऐसा कैसे कर सकता है ! विक्की के पापा अपने बेटे को अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने विक्की को प्यार से पूछा–“सच-सच बताओ बेटे, बात क्या है ?मैं जनता हूँ तुम ऐसा नहीं कर सकते। “

विक्की बोला — “पहले प्रॉमिस करो कि आप और प्रिंसिपल साहब पंकज को कुछ नहीं कहेंगे। ” जब दोनों ने वायदा किया तो वह बोला–“पंकज ने चोरी की थी। परन्तु कल शाम को उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मुझे सब सच-सच बता दिया। उसके पापा को पता लगा तो वह उसे बहुत मरेंगे। प्रिंसिपल साहब, आप उसे माफ़ कर दे और उसे स्कूल से भी नहीं निकालें। “

प्रिंसिपल बोले–“पर बेटा, तुम गलत लड़के का साथ दे रहे हो। वह फिर चोरी करेगा। “

“मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अब वह ऐसा नहीं करेगा। ” प्रिंसिपल ने पंकज के पिताजी को फोन करके वहां बुलाया और उन्हें समझाया कि वह बच्चे को प्यार दें। उसका ध्यान रखे। पंकज के पिताजी को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने पंकज को माफ़ कर दिया। पंकज मन ही मन सोचने लगा विक्की को अपने पिताजी पर कितना विश्वास है।

उसने मेरा सारा दोष अपने सिर ले लिया। ऐसा दोस्त सबको नहीं मिलता। अब मैं भी विक्की की तरह मन लगाकर पढूंगा और बड़ो का आदर करूँगा तथा सबका विश्वास जीतने की कोशिश करूँगा–मन ही मन निर्णय करता हुआ पंकज विक्की के साथ कक्षा की ओर बढ़ गया।

तो कैसी लगी आपको यह Friendship Story in Hindi यह कहानी आपको जरूर पसंद आयी होगी। आप इस कहानी को अपने दोस्तों को share करिये और उसे भी dosti ki kahani को बताइये।

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