राजू बदल गया | New Hindi Story for Class 5

आज हम आपको एक New Hindi Story for Class 5 बताएंगे। यह Hindi Story for Kids आप सभी के छोटे बच्चो के लिए खासकर यह Hindi kahani है। इससे आपके बच्चो को अच्छी सीख मिलेगी। तो इस moral stories in hindi for class 5 को पढ़िए और अपने बच्चो को शिक्षा प्रदान कीजिये।

राजू बदल गया

(New Hindi Story for Class 5)

राजू बहुत शैतान लड़का था। उसके दो छोटे-छोटे बहन-भाई थे। राजू की माँ उससे कहती — “जा बेटा, मुन्नी को बाहर खिला ले।” राजू, माँ का कहना नहीं मानता और कभी मुन्नी के चुटकी भर देता तो कभी चुपके से उसे थप्पड़ मार देता और जोर-जोर से रोना शुरू कर देती। माँ दूध गरम करके देती और कहती –“ले राजू, मुन्नी को पिला दे। ” राजू दूध लेता और खुद पी जाता। उसकी इन हरकतों से माँ बहुत परेशान थी।

जब भी वह बाहर निकलता तो मोहल्ले के लोग अपने-अपने बच्चो को घर के अंदर ले जाते और दरवाजे बंद कर लेते। क्योंकि वे जानते थे कि राजू बिना मतलब उनके बच्चो को पिटेगा। घर के अंदर घुसकर तोड़-फोड़ करेगा और कुछ न कुछ खाने को मांगेगा। चलो वे कुछ खाने को दे भी दें लेकिन राजू तो खाने का तरीका भी नहीं आता था। आधा फर्श पर फैला देता और आधा महंगे-महंगे कालीनों पर। अगर कोई खाने के लिए देने से मना कर देता तो वह खूब जोर-जोर से चिल्लाकर कहता–“मुझे भूख लगी है , ये मुझे खाने को नहीं देते। “

अगर कोई उसे कुछ काम करने को कहता तो वह मना कर देता। अगर उसको पैसों का या खाने का लालच दिया जाता तो वह काम करने के लिए तैयार हो जाता। जब उसे काम दिया जाता तो जान-बूझकर उसे बिगाड़ देता।

एक दिन सोनू की मम्मी ने राजू को चिट्ठी पोस्ट करने के लिए दी और साथ में एक चवन्नी भी दी। राजू ने चवन्नी की चीज का ली और चिट्ठी फाड़कर फेंक दी। समय पर चिट्ठी वहां न पहुंचने के कारण सोनू की मम्मी को बहुत परेशानी उठानी पड़ी।

New Hindi Story for Class 5
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पड़ोसियों ने उससे परेशान होकर उसे खाने को देना बंद कर दिया और बात करनी भी बंद कर दी। अब राजू ने लोगो की चुगली करनी शुरू कर दी। किसी बच्चे की झूठी शिकायत उसके मम्मी-पापा से करके उसको पिटवा देता। कभी किसी की शिकायत दूसरे पड़ोसियों से करता और उनमे आपस में झगड़ा हो जाता। जिसको भी वह किसी की बात बताता वह उसे खूब प्यार करते और खाने को खूब सारी चीजे देते। लेकिन एक दिन सबको राजू की शरारत का पता लग गया। अब कोई राजू की बात नहीं सुनता था। राजू फिर से अकेला रह गया था।

वह अकेला बैठे-बैठे सोचता , न तो माँ ही मुझे प्यार करती है और न ही बाबू जी मेरे लिए कभी कुछ लाते है। आस-पड़ोस में भी कोई मुझे प्यार नहीं करता। जबकि सोनू को सब प्यार करते है। मुनिया सबकी चहेती बनी हुई है। रिंकी अपने डैडी के कंधे पर बैठकर कैसे हंसती हुई घूमने जाती है और कैसे चटकारे ले-लेकर आइसक्रीम खाती है ! सबके माँ-बाप अपने बच्चो को खूब प्यार करते है। नए-नए कपड़े बनवाते है। उन्हें गोद में लेकर देते है। फिर मेरे साथ ऐसा क्यों नहीं होता ?

राजू की माँ ने भी राजू को सुधारने का निश्चय कर लिया। उसने एक तरकीब निकाली। जब भी राजू घर पर आता वह बीमारी का बहाना करके लेट जाती और राजू से बात तक न करती। न ही खाना तैयार करके रखती और न ही उसके कपड़े धोती। राजू स्कूल से आकर जूते कहीं फेंकता और बस्ता कहीं। पर उसकी माँ इस ओर ध्यान ही नहीं देती। अगले दिन जब राजू स्कूल जाने लगता तो उसे बहुत परेशानी होती। न तो बस्ता ही मिलता, एक जूता मिल जाता तो एक मौजा नहीं मिलता। कपड़े भी गन्दे और बिना प्रेस किए हुए।

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स्कूल जाता तो देर हो जाती। मास्टर जी से डांट पड़ती। गंदे कपड़ों पर भी और देर से आने पर भी। लड़के उसे चिढ़ाते। राजू ने घर आकर अपनी माँ से कहा–” माँ, तुम इतनी बीमार क्यों हो गई हो। न तो मुझे रोटी मिलती है और न ही मेरे कपडे साफ होते है। सब मुझे चिढ़ाते है। “

माँ ने कहा–“बेटे, मेरी तो तबीयत ठीक नहीं रहती। अब तुम अपना काम खुद करने की कोशिश किया करो। कपडे धोकर सूखा लो। अपना बस्ता सही जगह पर रखो, जूते सही जगह पर रखो। देखो फिर तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होगी। “

“पर माँ, तुम ठीक क्यों नहीं होती ?” राजू ने पूछा।

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“जो बच्चे दूसरे बच्चो को पीटते है। दुसरो के घर जाकर शरारत करते है और माँ-बाप का कहना नहीं मानते। अपने छोटे बहन-भाइयों को भी सताते है उनकी माँ इसी तरह बीमार रहती है। उसके बाद भी बच्चा न सुधरे तो उसकी माँ मर जाती है। “

अब राजू के दिल में डर बैठ गया। उसने रोते हुए कहा–“माँ, मैं शरारती हूँ। दूसरे बच्चो को पीटता हूँ। सबके घर में जाकर तोड़-फोड़ करता हूँ। कभी तुम्हारा और बाबू जी का कहना नहीं मानता। मुन्नी का दूध भी पी जाता हूँ। माँ, मेरी वजह से ही तुम बीमार हो। मैं अब सुधर जाऊंगा। कभी शरारत नहीं करूँगा। सबका कहना मानूंगा लेकिन तुम जल्दी ठीक हो जाओ। मैं अपना काम भी अपने आप करूँगा पर तुम ठीक हो जाओ। मैं दूसरों की सहायता करूँगा। देखो माँ, तुम्हारे बीमार हो जाने से मुन्नी भी कितनी कमजोर हो गई है। एक बात बताओ माँ, जब से तुम बीमार हुई हो मुन्नी नहीं रोती। ऐसा क्यों माँ ?”

“हां बेटे, मुन्नी तुमसे ज्यादा समझदार है। उसने देखा मैं बीमार हूँ तो रोती भी नहीं। “

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अब तो राजू ने खुद को बदलना शुरू कर दिया। वह कुछ दिनों में बिलकुल बदल गया। सबका काम करने लगा। किसी को तंग नहीं करता। माँ-बाप का कहना मानता। मुन्नी को खूब खिलाता। माँ के काम में भी हाथ बँटा देता। अब उसकी माँ ठीक रहने लगी। यह देखकर राजू बहुत खुद हुआ। सब उसे प्यार करने लगे। वह पास-पड़ोस के बच्चो के साथ खेलता। अब राजू को दूसरों का काम करने में, सहायता करने में बहुत मजा आता। वह सोचता, शरारत करने से अच्छा तो यह काम है जिससे खेल भी हो जाए और दूसरों की सहायता भी। इस तरह राजू के बदलने से उसकी माँ और सारे लोग बहुत खुश थे।

तो कैसी लगी यह hindi story for class 5 with moral आप सभी को। उम्मीद करते है कि यह moral story for kids in hindi आप सभी को पसंद आयी होगी। ऐसे ही hindi story for class 5 पढ़ने के लिए हमारे website के सम्पर्क में रहें।

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