आज हम आपको फिर से कुछ ऐसे विज्ञान के कुछ मजेदार तथ्य ( Some Amazing Facts in hindi about Science ) के बारे में बताएँगे जो आपके दैनिक जीवन के लिए बहुत अच्छी जानकारी है।
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Some amazing facts in hindi about Science –
1. जम्हाई आने से मुँह खुल जाता है क्यों ?
जब हम परिश्रम करते है, या ऐसे ही बैठे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम रह जाती है। ऑक्सीजन की इस कमी को किसी तरह पूरा किया जाना आवश्यक होता है। इसे लम्बी सांसे लेकर पूरा किया जा सकता है। इसी क्रिया की पूर्ति के लिए जम्हाई आती है।
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वैसे लम्बी सांसे नाक के द्वारा भी ली जा सकती है ; लेकिन ऑक्सीजन की शीघ्र पूर्ति के लिए अनायास ही जम्हाई आने पर मुँह खुल जाता है और जैसे ही ऑक्सीजन की पूर्ति हो जाती है, मुँह बंद हो जाता है तथा सामान्य तरीके से नाक द्वारा सांस लेना चलता रहता है। अतः हम कह सकते है कि ऑक्सीजन की शीघ्र पूर्ति हेतु बड़ी साँस लेने के लिए बड़े द्वार की आवश्यकता होती है। इसी की पूर्ति के लिए जम्हाई लेते समय मुँह खुल जाता है।
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2 . एल्कोहल और पेट्रोल दोनों ही हाइड्रोकार्बन के मिश्रण होते है , लेकिन एल्कोहल और पेट्रोल में आग लगने पर एल्कोहल पानी से बुझ जाता है लेकिन पेट्रोल जलता रहता है ऐसा क्यों ?
यह बात बिल्कुल सच है कि एल्कोहल और पेट्रोल दोनों हाइड्रोकार्बन के मिश्रण है। लेकिन इन दोनों के घनत्व में पर्याप्त अंतर होता है। हम जिस पानी से इनमे लगी आग को बुझाना चाहते है उस पानी के घनत्व से पेट्रोल का घनत्व बहुत कम होता है। इसका परिणाम यह होता है कि जब जलते हुए पेट्रोल को पानी से बुझाते है तो पेट्रोल पानी के ऊपर आकर एक तह सी बना लेता है और जलता रहता है। यदि ध्यान से देखे तो पानी और पेट्रोल की तहो को अलग अलग देखा और पहचाना जा सकता है।
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एल्कोहल पानी में घुलनशील होता है अतः जब यह पानी के संपर्क में आता है तो पानी में घुलने से एल्कोहल की सांद्रता कम हो जाती है और सांद्रता कम होने से उसका जलने की शक्ति भी कम हो जाती है। पानी की मात्रा बढ़ने पर यह जलने योग्य नहीं रह पाता है।
इसीलिए पेट्रोल और एल्कोहल में आग लगने पर पानी से बुझाने पर एल्कोहल की आग तो बुझ जाती है और पेट्रोल जलता रहता है।
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3. सब्जियाँ उबालने पर नरम क्यों हो जाती है ?
कच्ची सब्जियाँ पकी सब्जियों की तुलना में सख्त होती है सब्जियों की कोशिकाएँ आपस में बहुत कसकर जुडी होती है। इनकी कोशिकाओ की मोटी भित्तिया पास की कोशिका से पेक्टिन नामक कार्बोहाइड्रेट पदार्थ से चिपकी होती है। पेक्टिन कोशिका भित्ति के साथ मिलकर एकाकार – सा हो जाता है; क्योकि कोशिका भित्ति के साथ इसकी और सेलूलोज की अच्छी पकड़ हो जाती है।
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जब हम कच्ची सब्जियों को उबालते है तो सब्जी की कोशिकाओं को जोड़नेवाला पेक्टिन अलग हो जाता है। अतः कोशिकाएं स्वत्रंत हो जाती है। इसीलिए उबालने पर कच्ची सब्जियां नरम हो जाती है। कुछ सब्जियां उबालने पर जरुरत से ज्यादा नरम हो जाती है ; जैसे की आलू। इसका कारण यह है कि आलू उबालने पर उसकी कोशिकाएं अलग होने के साथ फट भी जाती है जिससे उनके अंदर स्टार्च बाहर आ जाता है। यह स्टार्च गरम पानी को अवशोषित कर फूल जाता है। इससे आलू सामान्य से अधिक मुलायम हो जाते है।
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4. चूल्हो पर काम आनेवाले रसोईघर के बर्तनों के पेंदे कालिख से पोतकर काले अथवा मिट्टी से पोतकर खुरदुरे क्यों करदिए जाते है ?
ताप या गर्मी देने के गुण के साथ ऊर्जा में परावर्तित और अवशोषित होने के गुण भी होता है। चिकनी और चमकीली सतहों से ऊर्जा का कुछ भाग परावर्तित हो जाता है इसलिए जब ऐसे बर्तनो में खाना पकाया जाता है तो चूल्हे से मिलने वाली ऊष्मा का भी कुछ भाग परावर्तित हो जाता है और अपेक्षाकृत खाना देर में पकता है। इसी कठिनाई को दूर करने के लिए इन बर्तनो के पेंदे कला और खुरदुरा करना आवश्यक होता है।
जब बर्तन का पेंदा कालिख अथवा मिट्टी आदि से पोत दिया जाता है तो उसमे परावर्तन की क्षमता बहुत काम रह जाती है। जब सतह काली और खुरदुरी होती है तो उसमे ऊष्मा के अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है। यही कारण है कि अधिक से अधिक ऊष्मा के अवशोषण के लिए रसोईघर के बर्तनो के पेंदे को काला और खुरदुरा करके उपयोग किया जाता है।
5. तापमान बहुत काम हो जाने पर जब ठंडे स्थानों पर तालाब और झील आदि बर्फ की तरह जैम जाती है तो बर्फ के नीचे पानी में जीव जंतु जीवित कैसे रहते है ?
ठंडे पानी का घनत्व गरम पानी की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिए जब पानी ठंडा होना प्रांरभ होता है तो वह नीचे जाना प्रारंभ कर देता है और उसकी जगह नीचे से गरम पानी ऊपर आ जाता है। ठंडे पानी के नीचे जाने और गरम पानी के ऊपर आते रहने की क्रिया सारे पानी का तापमान 4 अंश सेल्सियस हो जाने तक चलती रहती है। इस 4 अंश सेल्सियस पर पानी का घनत्व अधिकतम होता है।
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जब पानी का तापमान इस तापमान से भी नीचे गिरने लगता है तो पानी का घनत्व कम होने लगता है। यह कम घनत्व का पानी अब नीचे जाने की बजाय ऊपर ही रहता है और 0 अंश सेल्सियस तापमान आ जाने पर बर्फ के रूप में जमने लगता है।
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जैसे जैसे इसके नीचे के पानी का तापमान भी ० अंश से. से नीचे जाने लगता है तो बर्फ की तह मोटी होती जाती है। बर्फ ऊष्मा की कुचालक होती है ,इसलिए बर्फ की मोटाई बढ़ने के बाद ऊपर की ठंडक अब बर्फ के नीचे की ओर नहीं पहुंच पाती है। इसके परिणामस्वरूप बर्फ के नीचे के पानी का तापमान 4 अंश से. ही बना रहता है। इसी स्थिर तापमानवाले पानी में जीव-जंतु जीवित रह पाते है।
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