गोरा और बादल | Gora aur Badal | Short Moral Story Hindi

दोस्तों आज हम आपको एक New Short Moral Story Hindi यह एक वीर बालक की कहानी है। इस कहानी में हमें अपने माता तथा जननी जन्मभूमि की मान मर्यादा की रक्षा करने की शिक्षा मिलती है। यह Baccho Ki Kahani हमारे देश के सभी बालक को यह शिक्षा देती है कि हमे अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब-कुछ न्यौछावर कर देना चाहिए। तो दोस्तों आप सभी से अनुरोध है इस Short Moral Story Hindi कहानी को पढ़िए और इससे प्राप्त शिक्षा को जीवन में अवतरित करिए।

गोरा और बादल

(Short Moral Story Hindi)

दोस्तों ! भारत में वीर और साहसी बालको का कभी अभाव नहीं रहा। इतिहास पढ़ने वाले जानते है कि कैसे समय-समय पर छोटे-छोटे बालकों ने अपने वीरतापूर्वक कार्यों द्वारा शत्रुओं के दांत खट्टे करके भारत के नाम को उज्जवल किया। आज हम आपको ऐसे ही एक क्षत्रिय वीर बालक “बादल” का संक्षिप्त वृत्तांत सुनाते है।

यह वह समय था जबकि अत्याचारी यवनों का ही भारत में बोलबाला था। दिल्ली की गद्दी पर मनुष्य वेशधारी राक्षस अलाउद्दीन अपने चाचा को मौत के घाट उतार अधिकार जमाए हुए था। वह इतना दुष्ट प्रकृति का था कि ज्यों ही उसे पता चलता कि अमुक राजा की रानी अत्यंत रूपवती है, तत्काल

Short Moral Story Hindi
short moral story hindi

उसके दिल पर सांप लोटने लगता और वह तब तक संतुष्ट न होता जब तक कि उसे प्राप्त न कर लेता था। जब उसने चित्तौड़ के महाराणा भीमसिंह की रानी पद्मिनी की सुंदरता का समाचार सुना तो उसके मुँह में पानी भर आया और तुरंत एक बड़ी सेना के साथ चित्तौड़ पहुंचा।

चित्तौड़ को चारों ओर से घेरकर उसने महाराणा के पास कहला भेजा कि या तो पद्मिनी को मुझे सौंप दो, नहीं तो चित्तौड़ को धूल में मिला दूंगा। मान-मर्यादा पर मर मिटने वाले राजपूत लोग भला इस अपमान सहन कर सकते थे। अतः उन्होंने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया और चित्तौड़ की रक्षा में प्राणों की बाजी लगा दी।

Related Post :

Short Moral Story Hindi

  1. New Hindi Baccho Ki Kahani : अपना और पराया
  2. A Short Motivational Story In Hindi For Kids : भरोसे की जीत
  3. 2 Best Kahani Hindi Mein Tanaji Malsure And Shivaji Story In Hindi

बहुत समय बीतने पर भी जब अलाउद्दीन को अपनी विजय के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए तो अंत में उसने पद्मिनी को देखकर ही वापस लौट जाने का प्रस्ताव महाराणा के सम्मुख रखा।

Short Moral Story Hindi 2022
baccho ki kahani

पहले तो राजपूत सरदारों ने इस पर सहमत होना उचित न समझा, किन्तु अंत में सहस्त्रों व्यक्तियों के प्राण बचाने के निमित्त उन्होंने यह स्वीकार कर लिया कि बादशाह को पद्मिनी का मुख दर्पण में दिखा दिया जाएगा।

New Short Moral Story Hindi 2022

राजपूत लोग बात के धनी और विश्वासपात्र होते है, यह सोचकर बादशाह थोड़े से सैनिकों के साथ दुर्ग में प्रविष्ट हुआ और राजपूतों ने भी अपने वचन के अनुसार उसे पद्मिनी का मुख दर्पण में दिखा दिया। अब तो उसकी नियत और भी बिगड़ गई और वह छल-कपट द्वारा पद्मिनी पर काबू पाने के उपाए सोचने लगा।

राजपूतों के मन में छल का नाम-मात्र भी नहीं था। अतः शत्रु से धोखा भी शीघ्र ही खा गए। यही बात महाराणा भीमसिंह के साथ हुई। वे अब बादशाह को अपना मित्र मानकर शिष्टाचार के नाते उसे दुर्ग के बाहर छोड़ने के लिए आए।

baccho ki kahani

अलाउद्दीन ने पहले से ही दुर्ग के आस-पास अपने सैनिक छुपा रखे थे, अतः ज्यों ही वे आगे बढ़े, शाही सेना ने महाराणा भीमसिंह को बंदी बना लिया और शिविरों में पहुंचकर बादशाह ने कहला भेजा कि जब तक पद्मिनी मुझे न मिल जाएगी, भीमसिंह का छुटकारा नहीं हो सकता।

baccho ki kahani hindi

जब यह समाचार पद्मिनी को मिला तो वह पहले तो अत्यंत अधीर हुई, किन्तु फिर कुअवसर को जान उसने काका “गोरा” और उसके बारह-वर्षीय भतीजे “बादल” को बुला भेजा /उन्होंने उसको ऐसी युक्ति बताई जिससे महाराणा भीमसिंह भी छूट जाएं और महारानी की प्रतिष्ठा में भी बट्टा न लगे।

moral story in hindi

तुरंत समाचार भेजा गया कि महारानी अपने पति तथा चित्तौड़ के स्वामी की रक्षा के लिए आप की सेवा में आने को तैयार है, किन्तु वह अकेली न आकर राजपूतों की रीत्यानुसार अनेक सखी-सहेलियों के साथ आएंगी और वे सब मुसलमानों को अपना मुँह दिखाने के लिए बाध्य न होंगी।

इसके अतिरिक्त बादशाह से चित्तौड़ का घेरा उठा लेने की तथा पद्मिनी को महाराणा प्रताप के साथ कुछ समय तक मिलने देने की प्रार्थना भी की गई जिसको अलाउद्दीन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

best hindi story
baccho ki kahani hindi

स्वीकृति की सुचना मिलते ही वीर बालक बादल ने स्वयं महारानी का वेश धारण किया और शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित होकर एक पालकी में बैठ गया। साथ-ही-साथ सौ पालकियों में एक-एक सशस्त्र राजपूत वीर को बिठाकर कहारों के वेश में छः-छः वीर राजपूतों ने उठाया और सब मिलकर शाही शिविरों की ओर चले।

वहां पहुंचकर एक बड़े शिविर में सब पालकियां उतार दी गई।

short moral story hindi

बादशाह ने भी, जो पद्मिनी से मिलने की प्रसन्नता से फुला न समा रहा था, महाराणा को अपनी रानी से अंतिम भेंट करने के लिए आधा घंटे का समय दे दिया। ज्योहिं महाराणा शिविर में पहुंचे, झटपट उनकी बेड़ियाँ काट, उन्हें एक पालकी में बिठाया गया और थोड़ी दूर पर छुपाए हुए एक घोड़े पर सवार होकर वे चित्तौड़गढ़ की ओर चल दिए। इधर समय बीतने पर जब बादशाह कामातुर हो शिविर में पहुंचा तो और ही दृश्य पाया।

short moral story in hindi

सब राजपूत शस्त्र धारण कर युद्ध के लिए तैयार हो चुके थे। देखते ही वह सारी स्थिति समझ गया और तत्काल महाराणा को पकड़ने के लिए सैनिक भेज दिए। किन्तु वीर राजपूतों ने उसका मार्ग रोक लिया और घमासान युद्ध छिड़ गया। यद्यपि राजपूत संख्या में थोड़े थे, तथापि वे शाही सेना को मारते-काटते दुर्ग तक जा पहुंचे।

दुर्ग के फाटक पर फिर युद्ध हुआ, जिसमे गोरा और बादल ने अपूर्व वीरता दिखाई।

Short Moral Story Hindi Kahani
short moral story hindi

यद्यपि बादल की अवस्था केवल बारह वर्ष की थी, फिर भी जो वीरता उसने वहां प्रदर्शित की, उसको देखकर कायरों में भी प्राण आ गए और वे इस जोश से लड़े कि शाही सेना के पैर उखड़ गए। स्वयं अलाउद्दीन की आशा निराशा में बदल गई और वह अपने शिविर में वापस लौट गया।

baccho ki kahani

बहुत से सिसौदिया वीर भी इस युद्ध में काम आए। स्वयं गोरा बड़ी वीरता के साथ लड़ता हुआ मारा गया तथा बादल भी बुरी तरह से घायल हुआ।

जब वह अपने घर वापस पहुंचा तो उसकी काकी (गोरा की धर्मपत्नी) ने उससे पूछा कि प्यारे बादल , यह तो बताओ कि तेरे काका ने किस प्रकार युद्ध किया।

short moral story

इस पर उसने अपने काका की वीरता का वर्णन करते हुए बताया कि वे जिस ओर झुकते थे, शत्रुओं को घास की तरह काट कर डाल देते थे , अतः कोई भी उनके सम्मुख न टिक सका। उन्होंने अपनी वीरता तथा घावों का वर्णन करने के लिए एक भी शत्रु शेष न रखा। यह सुनकर उसकी काकी को परम हर्ष हुआ और वह अपने स्वामी के शव के साथ सती हो गई।

short hindi story

बालकों को चाहिए कि वे भी बादल के समान अपनी माता (जननी और जन्मभूमि) के मान और मर्यादा की रक्षा के निम्मित अपने प्राणों की बाजी लगा दें, तभी उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित किया जाएगा तथा भारत संसार में गौरव के साथ अपना सिर ऊँचा रख सकेगा।

तो दोस्तों कैसी लगी यह Baccho Ki Kahani जिसका शीर्षक गोरा और बादल है। दोस्तों हमे उम्मीद है कि आप सभी को यह Short Moral Story Hindi जरूर पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही New Short Moral Story Hindi Kahani पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट के माध्यम से पढ़ सकते है और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करे।

2 Comments on “गोरा और बादल | Gora aur Badal | Short Moral Story Hindi”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *