सुख का मार्ग | Short Moral Story Hindi For Kids

दोस्तों आज हम आपको एक सुख का मार्ग नामक Short Moral Story Hindi For Kids जो आपके बच्चो के लिए प्रेरणादायक साथ ही शिक्षाप्रद भी है। यह कहानी बाल निर्माण कहानियां संग्रह की एक छोटी सी कहानी है। आप सभी इस Short Moral Story Hindi को पढ़िए और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी शेयर करिए।

सुख का मार्ग

(Short Moral Story Hindi For Kids)

अभयारण्य में एक बार अकाल पड़ा। सभी जीव-जंतु परेशान हो उठे। वे प्राणों की रक्षा के लिए इधर-उधर भागने लगे। असु चूहे को भी आखिर अभयारण्य छोड़ना पड़ा। वह अपनी पत्नी और पुत्र के साथ निकल पड़ा। अपना घर छोड़ते हुए उसका मन दुखी था, आँखों में से आंसू आ गए। वह बार-बार मुड़-मुड़कर अपनी मातृभूमि देख रहा था। न जाने अब कब आना हो ?

रास्ते में असु सोचने लगा कि कहाँ चला जाए ? उसे अपने कई मित्रों की याद आई। अंत में उसने सुभी गिलहरी के ही पास जाने का निश्चय किया। उसका घर दंडकारण्य में था। वे तीनों उसी ओर चल पड़े।

मित्र की सच्ची परीक्षा संकट में होती है। सुभी उनमे से न थी जो बातें तो बहुत करते है, परन्तु काम पड़ने पर मुँह छिपा लेते है। असु और उसके परिवार को देखकर वह बड़ी प्रसन्न हुई। उसने उन सभी का हार्दिक स्वागत किया

असु ने पाया कि सुभी के घर में भी पहले जैसी खुशहाली नहीं है। उसने पूछा — “कहो बहिन ! सब कुशल-मंगल तो है न ? यहाँ तो अकाल नहीं पड़ रहा ?”

“हां ! उसका प्रभाव यहाँ भी है। सुभी बोली।

असु सोचने लगा कि ऐसी स्थिति में यहाँ भी रहने से क्या लाभ ? मित्र पर अनावश्यक भार डालना उचित नहीं। अतएव उसने जाने का निर्णय सुभी को सुना दिया।

सुभी बोली — यह ठीक है कि यहाँ पर भी अकाल है , पर ईश्वर की कृपा से हमारी गुजर-बसर तो चल ही जाती है। “

“सो कैसे ?” असु ने पूछा।

तब सुभी ने समझाया कि जंगल में कावेरी नदी के तट पर बेल के कुछ पेड़ है। उन्ही पेड़ो की बेल से भूख मिट जाती है। उसने असु से यही आग्रह किया कि जब तक अकाल दूर न हो जाए वे सब यहीं पर रहे।

दूसरे दिन असु सुभी के साथ बेल के पेड़ो के पास गया। वे पेड़ के पके हुए बड़े-बड़े बेलों से खचाखच भरे थे। उन्हें देखकर असु की भूख भड़क उठी। वह सुभी से बोला — “इन्हे तोड़ने में तो बड़ी देर लगती होगी ?”

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“ये वृक्ष बड़े उदार है। हम दांत से बेल काटने जाते है और इनसे जल्दी बेल देने की प्रार्थना करते है। बीएस जल्दी से वह टूट जाता है।” सुभी ने कहा।

असु ने देखा कि सुभी ने एक वृक्ष की परिक्रमा लगाई। फिर हाथ जोड़कर आँखें बंद करके प्रार्थना की।

तब गिलहरी पेड़ पर चढ़ी उसने थोड़ी-सी मेहनत की होगी कि टप से एक बेल नीचे गिर पड़ा। सुभी ने पेड़ से उतरकर उठाया। उसके दो टुकड़े किए। एक टुकड़ा घर ले जाने के लिए रख लिया। छोटे वाले हिस्से में से सुभी और असु दोनों ने जी भरकर बेल खाया। मीठे-पके बेल को खाकर असु तृप्त हो गया।

सुभी दूसरे टुकड़े को खींचकर घर ले जाने लगी। रास्ते में असु बोला — “बहिन ! मैं सोचता हूँ कि जब तक अकाल है इसी जंगल में रह जाऊँ। मैं कल अपने लिए बिल खोद लूंगा।”

“अरे ! नया बिल खोदने की क्या जरूरत है ? तुम मेरे ही साथ रहो। ” सुभी बोली।

“नहीं -नहीं ! तुम्हारा घर तो छोटा है। फिर न जाने कब तक रहना पड़े ?” असु बोला।

सुभी के बहुतेरा मना करने पर भी वह दूसरे ही दिन अपनी पत्नी और बच्चे के साथ निकल पड़ा। उसने मन ही मन सोचा — “नदी किनारे पेड़ के पास ही बिल बनाऊंगा। “

पेड़ के पास उसने अच्छी-सी जगह चुनी। अभी खुदाई शुरू की ही थी कि एक मुर्गी आयी और बोली — “देखो जी चूहे राजा ! जितना मन करे बेल खाओ, पर यहाँ पेड़ों के आसपास बिल बनाना बिलकुल मना है। लगता है तुम बाहर से आए हो तुम्हे यहाँ के नियमों की जानकारी नहीं है। “

चूहे को खुदाई बंद करनी पड़ी। मुर्गी के चले जाने पर उसने फिर खोदना प्रारम्भ किया। पर तोता, सारस, नीलकंठ आदि कई एक-एक करके आए और सभी ने यही बात कही। आखिर असु को अपना विचार छोड़ना ही पड़ा।

उसकी पत्नी बोली — “सुनो ! कहीं ऐसा न हो को पेड़ के बेल खत्म होने लगे तो ये हमे खाने न दें और जंगल से निकाल दे।”

“अरी पगली ! कितने तो बेल लगे है। ” असु बोला।

“पर खाने वाले भी तो कितने है ? उसकी पत्नी बोली। वह जिद करने लगी कि रात को खूब सारे बेल तोड़कर चुपचाप यहाँ से निकल चले।”

रात को सुभी की ही तरकीब से असु ने बहुत-से बेल तोड़ें। अब उसके और उसकी पत्नी के मन में लालच समा गया था। उन्होंने अपनी सामर्थ्य से कही बहुत अधिक बेल तोड़े। गठरी बांधकर पीठ पर रखी और रातों-रात दंडकारण्य छोड़ दिया। रास्ते में उनसे चला नहीं जा रहा था। वे घिसट-घिसटकर चल रहे थे, पर बेल छोड़ने के लिए तैयार न थे। अंत में हुआ यह कि अत्यधिक बोझा ढोने के कारण उनके मुँह से खून निकलने लगा। पीठ की गठरी एक ओर छिटक गई और वे एक पल तड़फे तथा मर गए।

असु का नन्हा बेटा मनु न समझ सका कि उसके माता-पिता को एकाएक यह क्या हो गया। वह बार-बार उन्हें उठाने लगा — “उठो अम्मा, उठो बापू ! पर उसकी बात भला सुनता भी कौन ?”

मनु को इसी तरह कहते-कहते बहुत देर हो गई। वह खीज कर अंत में रोने लगा। तभी वहां सुभी गिलहरी आई, बेलों की चोरी की बात पुरे जंगल में फ़ैल गई थी। उत्तेजित प्राणी कहीं असु पर हमला न कर दें, इसलिए वह उसे खोजती हुई आई थी। असु और उसकी पत्नी को देखते ही वह सारी बात समझ गई। नन्हे मनु को उसने सीने से चिपका लिया। अब मनु फफक-फफककर रो उठा। “बुआजी ! मेरे माँ और बापू को क्या हो गया है ?” वह रोते-रोते बोला।

“चलो बेटा ! तुम मेरे साथ चलो। तुम्हारे माँ और बाप अब गड्ढे में सोएंगे।” कहकर सुभी ने अपने पंजो से मिटटी में गहरा गड्ढा खोदा। फिर उसने उन दोनों को सुलाकर ऊपर से मिटटी डाल दी।

जिन बेलों के कारण दोनों के प्राण गए थे वह एक ओर पड़े लुढ़क रहे थे। उनकी ओर कोई देखने वाला तक न था।

सुभी ने रोते हुए मनु का हाथ पकड़कर खिंचा और उसे अपने घर की ओर ले चली। मनु तो नन्हा था , क्या समझता लाचार चल ही पड़ा। सुभी रास्ते भर अपने आप से बुदबुदाती चली जा रही थी। तृष्णाओं का क्या कभी अंत होता है ? एक इच्छा पूरी होते ही दूसरी इच्छा सिर उठाने लगती है।

इच्छाओं के जाल में उलझा, उनका ही दास बना और अंत में प्राणी इसी प्रकार मृत्यु के मुख में जाता है। अच्छा तो यही है कि जो कुछ भौतिक सुविधाएं मिली है उनमे ही संतोष किया जाए। “और अधिक ” पाने की अंधी दौड़ में शामिल न हुआ जाए। अपनी स्थितियों पर हम विवेकपूर्वक विचार करना और उनमे संतुष्ट होना सीखें तभी जीवन में सच्चा सुख और शांति पा सकते है।

तो दोस्तों कैसी लगी यह कहानी Short Moral Story Hindi For Kids सुख का मार्ग। दोस्तों इस कहानी से हमे पता चलता है कि लालच करना बहुत बुरी बात है साथ ही उसका परिणाम भी गलत मितला है। तो दोस्तों ऐसी ही short moral story hindi जैसी कहानियां पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट में आते रहिए और यह कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं

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