जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म | Moral Story Hindi

भैया भूखाराम तो पूरे शहर मे प्रसिद्ध हो गए थे। उसे जो भी मिलता उसी से खाना मांगकर खा लेता। कुछ न मिलता तो सूखी रोटी के टुकड़े खाकर ही अपना पेट भर

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गुस्से का फल | Gusse ka Phal | Moral Story Hindi

चम्पू बन्दर की शरारतों से अमरकण्टक वन के सारे जानवर बड़े परेशान थे । उसकी शरारतों का कोई अन्त न था । कभी वह पेड़ की छाया में सोते हुए किसी भालू की पूँछ

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सुनो सुनो | Suno Suno | Hindi Short Moral Story

ऋतु के पिता रक्षामंत्रालय में उच्चपद पर थे। ऋतु देखती थी कि जब भी पिता जी घर पर होते तो उनके बहुत-से फोन आया करते। वे अपने सहयोगियों से प्रातः फोन पर बाते

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कौवों की चालाकी | Short Moral Story in Hindi

जाड़ों के दिन थे। हल्की सुहानी धूप फैली थी। साँझ होने वाली थी, अधिकांश जीव-जंतु अब तक घर वापस आ चुके थे। बरगद के उस घने पेड़ पर अनेक पक्षी बैठे हल्की धूप

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धरम माँ | Short Story on Mother In Hindi

दुनिया चाहे कितनी बड़ी हो मगर उसकी दुनिया तो धरम-करम है। सुहाग की उमर तो उसने दस साल ही देखी। बाकी साठ साल तो उसने अपनी अमर हरि भजन, देव दर्शन और जीव

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