Top 3 New Kahani Hindi Mein | Hindi Kahaniya

आज हम आपको 3 New Kahani Hindi Mein बताने जा रहे है जो बहुत achi si kahani है पढ़ने के लिए। ये कहानियां majedar kahaniya और शिक्षाप्रद भी है। आप सभी इन majedar kahaniya को पढ़े और इसका आनंद ले।

1. मैं मनुष्य बनूँगा

(New Kahani Hindi Mein)

एक बार एक देवता पर ब्रह्मा जी प्रसन्न हो गए। उस देवता को महर्षि दुर्वासा ने शाप दे दिया था कि “तू अब देवता नहीं रहेगा। ” देवता ने कहा– “देवता नहीं तो क्या हुआ। मैं बहुत सालों तक देवता बनकर उसके आनंद लिया। स्वर्ग भी अब अच्छा नहीं लगने लगा।” उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की। ब्रह्मा जी प्रसन्न हो गए और कहा , “तुम जो कहोगे, तुमको वही बना दिया जायेगा। “

देवता ने पहले कुछ देर सोचा और फिर कहा, — “एक बार मुझे सारे लोक देख आने दीजिये। “

ब्रह्मा जी ने स्वीकार कर लिया। देवता भला देव लोक में क्या देखता। नाचने-गानेवाले गंधर्व, यक्ष, किन्नर– ये सब तो उसके सामने सेवक ही थे। देवताओं के राजा इंद्र का नंदन नामक बगीचा तथा पारिजात नामक पेड़ भी उसका कई बार देखा हुआ ही था। वह गया ऊपर के लोकों में। उसने जनलोक, तपलोक देखे। इनसे आगे महालोक और सत्यलोक भी देख लिया। बैकुंठ, साकेत, गोलोक और शिवलोक जाने की उसे आज्ञा नहीं थी। उसने सोचा– “इस लोकों में ऋषि बनकर रहने से तो तपस्या करनी होगी, भोग यहाँ है नहीं। हमने जीवन भर स्वर्ग के भोग-भोगे है। अब इस बखेड़े में कौन पड़े। “

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वह सीधे नीचे चला पाताल की ओर उसने दैत्यों के बल की बड़ी प्रशंसा सुनी थी। वह नागलोक को तो देखकर ही डर गया। बड़े भारी-भारी सर्प थे वहां। उसने दैत्यों को देखा, वे काले, कुरूप और उज्जड़ थे। इतना कुरूप होना वह नहीं चाहता था। वह पृथ्वी पर आ गया।

“मैं पक्षी बनूँ तो उड़ता फिरूंगा। चाहे जहाँ के फल खा सकूंगा। ” वह सोच रहा था। इतने में उसने देखा हवाई जहाज। “ओह मनुष्य — यह भी उड़ता है। “उसे बहुत डर भी लगा क्योंकि पक्षी बनने पर उसे कोई मनुष्य मार न दे। “

“मैं जल में रहूँगा। ” उसने सोचा। परन्तु जल पर जहाज और भीतर पनडुब्बी चल रही थी। मनुष्य का भय यहाँ भी था। जल में एक जीव दूसरे पर आक्रमण करते ही रहते है।

“सभी ताकतवर जानवर देखे सभी को इंसान पकड़ लेता है उसे बंदी बना लेता है। मनुष्य पृथ्वी पर मशीनों का इस्तेमाल करता है। जल और हवा में भी चलता है। पानी, हवा और बिजली से भी काम लेता है। हजारों कोसों की बात उसी समय सुनता है, गाना सुनता है, वहां की तस्वीर भी देख लेता है। मनुष्य बड़ा बुद्धिमान है और सुन्दर भी है। ” वह सोचते-सोचते लौटा।

“चारो लोक कैसे है और उनमे क्या है ?” उसने ब्रह्मा जी से पूछा।

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“वे लोक बड़े आश्चर्य से भरे है। वहां कोई सूरज-चाँद नहीं है प्रकाश के लिए। वे तो अपने से ही प्रकाशित है। वह भगवान रहते है साथ ही उसके भक्त लोग। वहां हमेशा रहने वाला परमसुख है तथा नित्य सौंदर्य है, वहां दुःख का पता तक नहीं। ” ब्रह्मा जी ने बताया। देवता शीघ्रता से बोला– “तब मैं……. “

ब्रह्मा जी ने उसे बोलने ही नहीं दिया। वे बीच में ही कहने लगे — “वहां तो केवल मनुष्य ही अपनी साधना एवं भक्ति से जा सकता है। “

“तब मैं मनुष्य बनूँगा। ” देवता ने झटपट बता दिया। उसने देखा कि ब्रह्मा जी प्रसन्न न होते तो वह कुछ भी नहीं बन सकता था और मनुष्य तो देवता भी बन जाता है।

2. गाली पास ही रह गयी

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एक लड़का था वह भी बड़ा ही दुष्ट। वह बहुत गाली देता था जो भी उसे मिले उसको गाली देकर भाग जाता। एक दिन बरगद के नीचे एक साधू बैठे थे। वह उसे देख कर गाली देकर भागा। उसने सोचा कि गाली देने से साधू चिढ़ेगा और मारने दौड़ेगा, तब बड़ा मजा आएगा। लेकिन साधू चुपचाप बैठे रहे। उन्होंने उसकी ओर देखा तक नहीं।

लड़का और निकट आ गया और खूब जोर-जोर से गाली बकने लगा। साधू अपने भजन में लगे थे। उन्होंने समझ लिया कि कोई कुत्ता या कौआ चिल्ला रहा है। एक दूसरे लड़के ने कहा– “बाबा जी, यह आपको गालियां देता है न ?”

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बाबा जी ने कहा — “तुमने सही कहाँ भैया, गाली तो देता है लेकिन यह गाली मैं नहीं लेता हूँ ऐसे में यह गाली उसी के पास रह जाती है। “

लड़का — “लेकिन यह बहुत खराब गालियां देता है। “

साधू– “यह तो और खराब बात है। पर मेरे तो वे कहीं चिपकी है नहीं , सब की सब इसी के मुख में भरी है। इसका मुख गन्दा हो रहा है। “

गाली देने वाला लड़का सुन रहा था साधू की बात। उसने सोचा, यह साधू ठीक कह रहे है। मैं दूसरों को गाली देता हूँ तो वे ले लेते है। इसी से वे तिलमिलाते है, मारने दौड़ते है और दुखी होते है। यह गाली नहीं लेते तो सब मेरे पास ही तो रह गयीं। ” लड़के को बड़ा बुरा लगा “छी ! मेरे पास कितनी गन्दी गालियां है। “

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अंत में वे साधू के पास गया और बोला– “बाबा जी ! मेरा यह अपराध अर्थात गाली देने की आदत कैसे दूर होगी ?”

साधू– “तुमने गलती की है तो इसका पश्चाताप भी करो और प्रतिज्ञा भी लो कि अब से गाली नहीं दूंगा। इसके बाद राम-राम कहना शुरू करो इससे तुम्हारा मुख शुद्ध होगा। “

3. जब डाकू रोया था

(Kahani Hindi Mein)

दक्षिण अमेरिका की बात है। उन दिनों वहां सोने की खानें निकली थी। दूर-दूर के व्यापरी और बहुत से मजदुर वहां पहुंचे। यों ही उपज बहुत कम हुई थी , फिर बाहर के बहुत लोग पहुँच गए। अकाल सा पड़ गया। लोग सड़ी-गली वस्तुओं से पेट भरने लगे। ज्वर तो पहले से फैला था, हैजा भी फैल गया।

पीड़ितों की सेवा करने वाली प्रसिद्ध संस्था “मुक्ति सेना” ने अपना दल वहां भेजा। स्वयं उसकी संस्थापिका वहां पहुंची। लोगों ने डाकुओं का बहुत भय बताया , परन्तु “मुक्ति सेना” तो सेवा करने आयी थी। उसका दल निर्भय आगे बढ़ता गया। पेड़ों के निचे तम्बू पड़े थे और उसके चिकित्सक रोगियों की सेवा में लगे थे। एक दिन एक सशस्त्र घुड़सवार आया। उसने उस सेवक दल की संस्थापिका को एक पत्र दिया और एक बढ़िया कम्बल। उस समय वहां एक अच्छा कम्बल बहुत बड़ी बात थी। वह सवार पत्र का उत्तर लेकर लौट गया।

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दूसरे दिन एक सुन्दर युवक घोड़े पर आया। वह उस महिमामयी नारी के आगे घुटनों के बल बैठ गया। उसने कहा– “आपने मेरा कम्बल स्वीकार करके मुझ पर बड़ी कृपा की। जो सबकी सेवा में लगा है , उसने इस अधम को अपनी एक नन्ही सेवा का लगा है , उसने इस अधम को अपनी एक नन्ही सेवा का अवसर तो दिया। “

महिला ने कहा– “क्या तुम मेरे साथ परमेश्वर की प्रार्थना में सम्मिलित होना पसंद करोगे ?

वह तुरंत तैयार हो गया। लोग जिसे पत्थर के ह्रदय का, पिशाच समझते थे, वह उस दिन प्रार्थना में बच्चों की भांति फूट-फूट कर रोया। वही उन डाकुओं का प्रधान सरदार था।

तो कैसी लगी यह New Kahani Hindi Mein आप सभी को। हमें लगता है कि आप सभी को यह New Kahani Hindi Mein जरूर पसंद आयी होंगी। ऐसे ही achi si kahani पढ़ने के लिए हमारे website पर आते रहे।

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