दोस्तों आज हम आपको एक छोटी सी शिक्षाप्रद कहानी (short story in hindi with moral ) बताएंगे जिसका शीर्षक है “उन्नति का रास्ता”। यह short story in hindi with moral में एक मध्यम वर्ग के परिवार की आर्थिक स्थिति का वर्णन प्रदर्शित होता है। इस कहानी एक शिक्षाप्रद कहानी है जो हमे हमारे जीवन से संबंधित होने वाले कठिनाई का अवगत कराता है।
उन्नति का रास्ता
(Short Story in Hindi with Moral)
दिलीप खाते-पीते मध्यमवर्गीय परिवार का बालक था। उसके पिता जी बैंक में नौकरी करते थे। परिवार की गाड़ी हँसी-खुशी से चल रही थी, पर सहसा ही एक दुर्घटना घटी। दिलीप के पिता जी को कैंसर हो गया और उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। उनकी बीमारी पर पानी की तरह पैसा बहाया गया, पर कोई लाभ न हुआ। अंत में एक दिन वे पत्नी और बच्चों को रोते-बिलखते दुनिया से चल बसे।
दिलीप के नन्हें-नन्हें कन्धों पर असमय ही परिवार का भार आ गया। वही सबसे बड़ा बालक था। उसकी माँ रो-रोकर अधमरी हो रही थी। एक ओर वह उनको धैर्य बँधाता, तो दूसरी और छोटे-छोटे भाई-बहनों को। दिलीप तो मानो पत्थर बन गया था। कभी बहुत मन दुखी होता तो एकांत में रो लेता।
घर की सारी जमा पूँजी, माँ के जेवर बीमारी में काम आ चुके थे। माँ शिक्षित भी नहीं थी कि नौकरी कर लेती। पिता की मृत्यु के बाद थोड़े दिन तक जैसे-तैसे काम चल रहा था , पर फिर खाने के भी लाले पड़ गए। दुःख-मुसीबत के समय नाते-रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड़ लिया। अधिकांश व्यक्ति सुख के ही साथी होते है। जो मुसीबत में सहायता करता है, कठिन परिस्थिति में भी साथ देता है, वही सच्चा हितैसी है।
छोटे भाई-बहनों को भूख से बिलखते देखकर दिलीप कराह उठा। उसने निश्चय किया कि वह पढ़ाई छोड़कर नौकरी करेगा, जिससे परिवार का पेट भर सके। माँ भी उसकी बात सुनकर चुप रही , क्योंकि और कोई उपाय शेष न था। दिलीप से छोटे बच्चे भी अभी छोटे ही थे।
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दिलीप को एक कारखाने में शीशे की खली बोतलें धोने का काम मिला। मालिक चाहता था कि काम बहुत जल्दी हो, इसलिए बीच-बीच में दिलीप को डाँटता रहता था। जल्दी में टूटी बोतलों का कांच उसके हाथों में चुभ जाता और खून निकलने लगता। दिलीप का नन्हा मन रो उठता, पर वहां कौन था उसे सांत्वना देने वाला। किसी के कहने-सुनने से लाभ भी क्या था ? घर आकर भी इस विषय में दिलीप माँ को कुछ न बताता। वह जानता था कि इससे माँ को बहुत दुःख होगा और वे नौकरी छुड़वा देंगी।
माँ के पूछने पर कभी वह कोई बहाना बना देता तो कभी कोई, परन्तु माँ बिना कुछ कहे- सुने भी समझती थी। थोड़े ही दिनों बाद उन्होंने किसी के घर नौकरी कर ली और दिलीप की नौकरी छुड़वा दी। घर का खर्चा जैसे-तैसे चलाते हुए उन्होंने दिलीप को हाई स्कूल की परीक्षा भी दिलवाई।
दिलीप चाहता था कि वह भी नौकरी करता रहें, पर माँ ने स्पष्ट मना कर दिया। वे बोलीं — “बेटा ! यदि तुम पढ़ोगे नहीं तो जीवन भर मजदूरी ही करते रहोगे। परिवार का उत्तरदायित्व निभा करते हो, कुछ महीनों की बात हैं, आगे काम साथ-साथ करना।”
दिलीप ने माँ की बात मान ली। वह जी-जान से पढ़ाई में जुट गया, जिससे अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो सके। परीक्षाफल आया तो दिलीप को आशा के अनुरूप सफलता मिली थी। उसकी तीन विषयों में विशेष योग्यता थी। अब दिलीप ने विद्यालय में प्रवेश ले लिया। उसके लिए छात्रवृत्ति भी स्वीकृत हो गई। स्कूल से आकर दिलीप खाली न बैठता।
घर पर भी वह छोटा-मोटा काम करता रहता , जिससे खाली समय में थोड़ी कमाई हो जाती। जल्दी ही दिलीप को छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम भी मिल गया। अपनी रूचि के अनुसार काम पाकर दिलीप बड़ा प्रसन्न था। वह मन से पढ़ता और पढ़ाता था। स्कूल के अध्यापक और बच्चों के घर पर अभिभावक सभी उससे बहुत प्रसन्न रहते। पुरे मन से और पूरी शक्ति से जो कार्य किया जाता है, वह निश्चित रूप से सफलता भी देता है।
दिलीप का परिश्रम जल्दी ही सफल हुआ। अच्छे अंको के आधार पर उसे डाकघर की प्रतियोगिता में सम्मिलित होने का अवसर मिला; दिलीप ने वहां भी सफलता पाई। उसकी नियुक्ति डाकघर में हो गई है। परिवार वाले अब सभी प्रसन्न है। दिलीप अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी माँ को देता हैं, क्योंकि वही उसका मनोबल बढ़ाती थी।
दिलीप कठिनाइयों में उदास और परेशान होता था, तो वे उसे प्यार से समझाती थीं कि धूप-छाँह की भांति सुख और दुःख जीवन में आते-जाते रहते है, परन्तु जो कठिनाइयों में भी मनोबल को ऊँचा रखता है , प्रतिकूल परिस्थितियों का धैर्य से मुकाबला करता रहता है और सूझ-बूझ से काम लेता है , वही जीवन में सफल होता है।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह उन्नति का रास्ता नामक short story in hindi with moral कहानी। दोस्तों इस कहानी के माध्यम से आप समझ ही गए होंगे की मध्यमवर्गीय व निम्न वर्ग के लोगो की स्थिति कैसी होती होगी? हमे उम्मीद है कि यह short story in hindi with moral आप सभी को जरूर पसंद आयी होगी। ऐसे ही कहानी पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट में आते रहे।
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