आज हम आपको मित्रता के ऊपर यह Short Moral Story In Hindi बताने जा रहे है। यह Short Moral Story In Hindi में आपको दोस्ती की पहचान और आपके मित्र कितने सच्चे है इसकी इस कहानी में चित्रण मिलता है। तो चलिए आप सभी इस कहानी को पढ़िए और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी share करिए।
![very short moral story in hindi](https://gyaniman.com/wp-content/uploads/2021/09/Untitled.webp)
मित्रता की पहचान
(Short Moral Story In Hindi)
काफी समय पुरानी बात है।
सूरजपुर में मोहनलाल नामक एक व्यापारी रहता था। वह कपड़े का व्यापार करता था। उसके एक पुत्र था जिसका नाम रामलाल था। पिता चाहता था कि पुत्र भी उसके समान कुशल व्यापारी एवं दूरदर्शी बने। राम लाल का एक मित्र था जिस पर वह बहुत भरोसा करता था , पर मोहनलाल ने अपनी अनुभवी आँखों से भांप लिया कि वह धोखेबाज है, उस पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता। मोहन लाल इस बारे में पुत्र को सीख देना चाहता था।
एक बार पिता-पुत्र ने कपड़े खरीदने के लिए विदेश जाने का निश्चय किया।
पिता ने पुत्र से कहा – “बेटा, हम लोग विदेश जा रहे है, पर इस भारी संदूक को कहाँ रखेंगे जिसमे धन-दौलत भरी है ?”
“पिता जी, मेरा एक दोस्त है उसके जैसा आपको ईमानदार और भरोसेमंद नहीं मिल पायेगा कही भी ! उसके पास ही संदूक रखवा दीजिये। ” पुत्र ने सुझाव दिया।
“तो, फिर तुम ही इस संदूक को अपने मित्र के यहाँ पहुंचा आओ। ” पिता ने आदेश दिया।
![short moral story in hindi](https://gyaniman.com/wp-content/uploads/2021/09/IMG20210907205303.webp)
पिता के आदेश को शिरोधार्य कर रामलाल ने बंद भारी संदूक मित्र के घर पहुंचा दिया।
चार मास पश्चात् पिता-पुत्र दोनों कपड़े खरीद कर अपने गांव में आये।
मोहन लाल ने पुत्र को संदूक लाने को कहा। राम लाल मित्र के घर जाकर संदूक ले आया। आते ही वह बोला–“पिता जी ! आपने मेरे मित्र का अविश्वास किया, यह उचित नहीं था। “
“कैसे ?” पिता ने पूछा।
पुत्र ने बोला — “पिता जी अपने मेरे मित्र का अपमान किया है। संदूक में कंकड़ पत्थर भरे थे रुपयों की जगह। “
पिता ने बोला — “पुत्र ! तुम्हारे ईमानदार व भरोसेमंद मित्र को यह कैसे पता लगा कि संदूक में कंकड़-पत्थर भरे थे? जरूर उसने संदूक खोला होगा , तभी उसने तुम्हे सन्दूक में कंकड़-पत्थर होने की बात कही। अगर सचमुच में संदूक में रूपये-पैसे होते तो वह उन्हें निकाल नहीं लेता ?” ऐसा कहकर पुत्र की ओर पिता ने देखा।
पुत्र ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा– ” पिता जी ! आप मुझे क्षमा कर दीजिये। आपने मेरी आँखे खोल दी। मेरा मित्र धोखेबाज निकला। ऐसे मित्र पर विश्वास नहीं किया जा सकता। “
उसी दिन से राम लाल ने मित्र का साथ छोड़ दिया।
तो कैसी लगी यह short moral story in hindi मित्रता की पहचान। इस कहानी से आपको पता चला होगा कि सच्चे मित्र बहुत मुश्किल से मिलते है। ऐसे ही रोचक कहानिया पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर आते रहे।
3 Comments on “मित्रता की पहचान | Short Moral Story In Hindi For Kids”