दोस्तों आज हम आप सभी के लिए एक कहानी Raja ki kahani लेकर आये है। यह कहानी एक राजा और एक किसान की है। दोस्तों यह Raja ki kahani एक शिक्षाप्रद कहानी है। आप सभी इस Raja ki kahani को पढ़िए और दूसरों को भी share करिए।
राजा का चेहरा
(Raja ki Kahani Hindi)
एक किसान अपने खेत में काम कर रहा था। उसी समय उस देश का राजा वहाँ आ निकला। राजा खड़ा हो गया और किसान से पूछने लगा– “क्यों जी, तुम दिन-भर कितना कमा लेते हो?”
किसान ने उत्तर दिया– “चार पैसे।”
राजा ने पूछा — “उनको कैसे खर्च करते हो?”
किसान ने उत्तर दिया– “पहले पैसे को मैं खाने-पीने में खर्च करता हूँ। दूसरे को मैं ब्याज पर देता हूँ। तीसरे से पिछला कर्ज चुकाता हूँ और चौथे को फिजूल गँवाता हूँ।
यह पहेली राजा की समझ में जरा भी नहीं आई। इसलिए उसने फिर पूछा– “तुम्हारे यह कहने का वास्तव में अभिप्राय क्या है?”
तब उस किसान ने राजा को समझाते हुए कहा–“पहले पैसे से मैं अपने खाने-पीने की चीजें खरीदता हूँ। दूसरे पैसे से मैं अपने बच्चों के खाने-पीने की चीजों का इन्तजाम करता हूँ। इस समय बच्चों को जो कुछ खिला-पिला रहा हूँ, वह मुझे ब्याज समेत वापस मिल जाएगा। सुनो, कैसे? जब मैं बूढ़ा हो जाऊँगा और कुछ कमा न सकूँगा तब ये बच्चे ही मुझे खिलाएँ-पिलाएँगे।
तीसरे पैसे से मैं अपने माता-पिता के खाने-पीने का प्रबन्ध करता हूँ। इस प्रकार मैं अपना पिछला कर्ज चुका रहा हूँ। क्योंकि जब तक मैं बच्चा था और कुछ कमा नहीं सकता था, तब तक वे ही मुझे पालते-पोसते रहे हैं। अब चौथे पैसे की बात सुनो। उससे अपनी स्त्री के खाने-कपड़े का प्रबन्ध करता हूँ। उससे मुझे न बचपन में कुछ लाभ हुआ और न बुढ़ापे में ही होने वाला है। इसलिए उसे बेकार ही समझो।”
जब किसान अपनी बात कह चुका तो राजा ने उससे कहा– “तुम मुझसे वायदा करो कि जब तक तुम सौ बार मेरा चेहरा न देख लोगे तब तक इन बातों के ये जवाब जो तुमने बताए हैं किसी और को नहीं बताओगे ।”
किसान ने वायदा किया कि वह किसी को नहीं बताएगा और वह अपना काम समाप्त करके घर चला गया। राजा ने भी अपना रास्ता लिया।
राजा ने अपने महलों में जाकर अपने मंत्रियों से कहा– “सुनो, मैं तुमसे एक पहेली पूछता हूँ। इसका ठीक-ठीक उत्तर दो। मेरे राज्य में एक किसान है। वह चार पैसे रोज कमाता है। पहले पैसे को वह खाता है। दूसरे को ब्याज पर देता है, तीसरे से पिछला कर्ज चुकाता है और चौथे को व्यर्थ गँवाता है। इसका अभिप्राय क्या है?”
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मंत्री कई दिनों तक सोचते रहे, किन्तु किसी की समझ में कुछ नहीं आया। तब एक मंत्री ने किसी से सुना कि कुछ दिन पहले राजा की एक किसान से बात-चीत हुई थी और पहेली का उत्तर उसे मालूम है। उसने निश्चय किया कि वह उस किसान को खोजेगा और उससे इन सवालों का जवाब पूछकर राजा को बता देगा। आखिर उस मंत्री ने उस किसान को ठीक उसी जगह जहाँ पहले राजा से उसकी बात-चीत हुई, खेत में काम करते हुए खोज लिया।
मंत्री ने वह पहेली उसे बताई, जो राजा ने मंत्रियों से पूछी थी और उसका उत्तर पूछा। पर किसान तो राजा से वायदा कर चुका था। वह कैसे बताता। उसने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा– “मैं तो राजा से वायदा कर चुका हूँ कि जब तक सौ बार राजा का चेहरा न देख लूँगा, तब तक इसका जवाब किसी को नहीं बताऊँगा।”
“बस इतनी-सी बात!” मंत्री ने कहा। “यह तो बहुत आसान काम है।” उसने थैली से गिनकर सौ सोने की चेहरेदार शाही मोहरें निकालीं और एक-एक करके किसान को दिखाने लगा। पूरी सौ मोहरें देख लेने के बाद किसान ने पहेली का उत्तर मंत्री को बता दिया।
अब तो मंत्री की खुशी का ठिकाना न रहा। वह वापिस राजा के पास आया और कहने लगा कि वह उस पहेली का सही-सही उत्तर बता सकता है।”
राजा ने पूछा तो उसने जैसा किसान से सुना था बता दिया। राजा ने कहा- “अवश्य ही यह जवाब तुम्हें उस किसान ने ही बताया होगा, परन्तु उसने मेरे साथ वायदा किया था कि जब तक वह सौ बार मेरा चेहरा न देख लेगा किसी को भी इसका जवाब नहीं बताएगा।”
राजा ने उस किसान को बुला भेजा और आने पर वायदा पूरा न करने के अपराध में सजा भुगतने को कहा।
किसान ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि–“उसने सौ बार राजा के चेहरे को देख लिया था और यही कारण था कि उसने मंत्री को उसका जवाब बता दिया। साथ ही उसने सौ चेहरे वाली शाही मोहरों की थैली राजा को दिखाई कि यह रहा आपका चेहरा ।”
राजा उसकी चतुराई से बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसे सौ सोने की मोहरें इनाम में दीं।
दोस्तों कैसी लगी Raja ki kahani अर्थात राजा का चेहरा कहानी आप सभी को। हमें उम्मीद है यह Raja ki kahani आप सभी को पसंद आयी होगी। दोस्तों ऐसे ही raja ki kahani जैसी अनेकों कहानियां हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है उन्हें भी पढ़िए और यह कहानी कैसी लगी comment जरूर करें।
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