आज हम आपको 5 Majedar Kahaniyan Baccho ke liye बताएंगे। ये kahaniya majedar तथा bachon ki kahani है। इसे पढ़कर आप सभी इसका आनंद ले सकते है।
1. जादू की रस्सी
(Majedar Kahaniyan)
हिमालय की घाटी में एक बस्ती थी। बस्ती में बंजारे रहते थे। बस्ती काफी हरी-भरी थी। कुछ बंजारे भेड़ पालने का काम करते, कुछ खेल-तमाशों का। इसी बस्ती में कम्बा नामक एक बंजारा था। कम्बा काफी बुद्धिमान था। कम्बा का एक लड़का था सामी। सामी पांच साल का था। बड़ा नटखट था। कम्बा ने सामी को खेल-तमाशे का जमूरा बना रखा था। चादर से उसको ढंक देता और तरह-तरह के सवाल पूछता।
जमूरा बताएगा ?
हां उस्ताद, बताएगा।
तो बोल जमूरे यह क्या है ?
उस्ताद लड़की है।
क्या पहनी है ?
लाल फ्राक उस्ताद।
देखने वाले ताली बजाते, पैसा फेंकते। कम्बा अपने काम से बहुत खुश था। उसकी पत्नी ढोल बजाती और तीनो मिलकर तमाशा दिखाते।
कम्बा तमाशे में एक रस्सी आसमान में फेंकता था। रस्सी एक लम्बे बाँस पर टंग जाती थी। रस्सी के सहारे कम्बा तरह तरह के खेल दिखाता।
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एक दिन कम्बा अपनी पत्नी और बच्चे को साथ लेकर अचानक गांव छोड़कर चला गया। गांव वाले कम्बा को ढूंढ़ने लगे। कम्बा काफी दिनों तक नहीं आया।
उधर कम्बा दूर पहाड़ियों पर बसे एक गांव में जा पहुंचा। गांव बड़ा था। अतः उसे तमाशा में काफी पैसा मिल जाता था। एक दिन कम्बा गांव में तमाशा दिखा रहा था। काफी भीड़ थी। कम्बा रस्सी को बांस पर लटकने के लिए फेंकने लगा। रस्सी अचानक बांस में न टंगकर आसमान में टंग गई। देखने वाले कम्बा को बहुत बड़ा जादूगर समझने लगे। पर कम्बा की तो साँस फूलने लगी। कम्बा बहुत घबरा गया। कम्बा अपने ;लड़के सामी से बोला, “रस्सी पकड़ कर ऊपर जाओ। देखो, कहाँ फंस गई। “
सामी रस्सी पकड़कर ऊपर चढ़ने लगा। सामी चढ़ते-चढ़ते बहुत दूर चला गया। उसे ऊपर आसमान में एक महल दिखाई दिया। रस्सी उसी के दीवार से चिपक गई थी। सामी के ऊपर पहुँचते ही महल का दरवाजा खुल गया। सामी काफी घबरा गया था। उसने देखा अंदर एक सुन्दर लड़की बैठी है। लड़की ने सामी का स्वागत किया। लड़की ने कहा, “डरो मत मैं परी हूँ परी। ” सामी बोला, “कैसी परी ?” लड़की ने कहा, “तुम बुध्दू हो। चलो बताती हूँ। “
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परी सामी को अपने कमरे में ले गई। कमरा बहुत सुन्दर था। उससे इस तरह की सुगंध आ रही थी। सामी देखता ही रह गया। सामी ने परी से कहा , ” मुझे बहुत जोर की भूख लगी है। ” उसके कहते ही सोने की थाली में पूड़ी और खीर आ गई। सामी खाने लगा। अभी खा रहा था कि उसे बांसुरी की आवाज सुनाई दी। सामी उठ गया। जिधर से आवाज आ रही थी, उधर गया। देखता क्या है कि सोने की बांसुरी दीवार पर टंगी है , अपने आप बज रही है।
सामी ने परी से पूछा, “यह अपने आप क्यों बजती है ?”
“जब नीचे घाटियों में फूल खिलते है तो यह अपने आप बजती है,” परी ने उत्तर दिया।
सामी देर तक वही खड़ा रहा। वह सोच रहा था यह बांसुरी मुझे मिल जाती तो बजाता। परी उसके मन की बात जान गई। परी ने कहा, “देखो, तुम इसे ले लो। पर बहुत कीमती है। ” सामी ने कहा,”मैं गरीब बंजारे का लड़का हूँ। मेरे पास कुछ नहीं। मेरे माँ-बाप नीचे खड़े है। रो रहे होंगे। मुझे नहीं चाहिए सोने की बांसुरी। मुझे नीचे जाने का रास्ता बताओ। ”
परी उसके गाल थपथपाने लगी। प्यार करते हुए बोली, “मुझे पैसे नहीं चाहिए। तुम ले लो इसे। तुम जब भी इसे बजाओगे रंग-बिरंगे फूल खिलेंगे और यह लो एक सीटी जब तुम इसे बजाओगे, मैं आ जाउंगी। तुम मुझसे जो मांगोगे, मैं दूंगी पर मुझे कोई देख नहीं सकेगा। ” सामी सीटी और बांसुरी पाकर बहुत खुश हुआ। उसने सीटी को ज्यों ही बजाया तो उसे लगा वह तो जमीन पर खड़ा है। उसे देखते ही उसकी माँ ढोलक जोर-जोर से बजाने लगी। कम्बा भी बहुत खुश हो गया।
कम्बा अब सामी और अपनी पत्नी को लेकर अपनी बस्ती में आ गया। सबने कम्बा का स्वागत किया। सामी जब बांसुरी बजाता तो फूल खिलते। एक बार सामी ने सीटी बजाई तो परी आ गई। परी बोली, “क्या चाहिए ?” सामी ने कहा, “खुशी। ” परी गायब हो गई। बंजारे नाचने लगेऔर वे लोग हमेशा सुख से रहने लगे।
2. बहादुर लड़की
(Bachon ki kahani in hindi)
एक था जंगल। जंगल बहुत घना था। उसमे बहुत से जानवर रहते थे। रात में जंगल से शेर और चीते की आवाज सुनाई देती थी।
जंगल के किनारे एक छोटी-सी बस्ती थी। बस्ती में पांच -छह घर थे। बस्ती के लोग गरीब थे। जंगल से लड़की काट कर अपना पेट भरते थे। गांव के लोगो में बड़ी एकता थी। लोग एक दूसरे की मदद करते थे।
गांव में एक थे वैद्य जी। वैद्य जी का घर घास-फुस से बना था। घर में बांस का दरवाजा था। घर में बाहर से खूब हवा आती थी। वैद्य जी कोई बूढ़े नहीं थे, किन्तु देखने में काफी बूढ़े दिखाई देते थे। गांव के लोग उनको बहुत मानते थे। हर आदमी के काम में वे हाथ बँटाते थे। सारा गांव उनकी प्रसंशा करता था।
वैद्य जी जंगल से जड़ी-बूटी लाते थे। उसे दूसरे गावों में बेचते थे। गांव बहुत दूर-दूर थे। वे बहुत रात होने पर घर आते थे। जड़ी-बूटी से बहुत से लोग अच्छे हो चुके थे। वहा कोई डॉक्टर नहीं था। वैद्य को ही लोग अपना डॉक्टर मानते थे।
वैद्य जी को एक लड़की थी। उसका नाम था शीला। वह बड़ी ही बुद्धिमान थी। वह अपने पिता के हर काम को बहुत अच्छी तरह करती थी।
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जाड़े का दिन था। बारिश हो रही थी। बारिश के कारण काफी ठंड हो गई थी। ठंड से बचने के लिए लोग लड़की जलाते थे।
एक दिन रात में एक आदमी वैद्य जी के घर आया। उसका घर उस गांव से दूर था। उसकी लड़की बीमार थी। वह वैद्य जी को ले जाकर दवा करवाना चाहता था। वैद्य वैद्य जी घर पर नहीं थे। आदमी बैठा रहा। उस दिन वैद्य जी बहुत देर से घर लौटे। वैद्य जी की लड़की शीला ने उस आदमी की बात वैद्य जी को बताई। आदमी बहुत डरा हुआ था।
वैद्य जी बहुत थके थे। वे सुबह से जंगल में गए थे। दिन भर एक जड़ी की तलाश करते रहे, और बहुत दूर चले गए थे। जंगल से निकलने में काफी देर हो गई। वे शीला को अकेली छोड़कर जंगल जाते थे। वैद्य जी बीमार लड़की को देखने के लिए जाने को तैयार हो गए , पर वे शीला को इतनी रात गए अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। थोड़ी-थोड़ी वर्षा हो रही थी।
शीला उनके साथ अलाव के पास बैठी थी। वह बहुत कोमल स्वभाव की थी। उस लड़की की बीमारी से वह काफी चिंतित थी। उसने अपने पिता से जाने को कहा। वह रात में अकेले रहने के लिए तैयार हो गई। वैद्य जी बीमार लड़की को देखने चले गए।
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शीला मोटी-मोटी लकड़ी जलाकर उसके पास बैठ गई। वह अपने पिता के आने का इंतजार कर रही थी। रात काफी हो गई थी। जंगल से साँय-साँय की आवाज आ रही थी।
जंगल में एक बूढ़ा शेर था। वह बहुत ही खूंखार था। वह जंगल में चारों ओर घूमता था। रात में उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देती थी। कभी-कभी वह गांव के पास भी आ जाता था। गांव के लोग उससे बहुत डरते थे। हर आदमी उससे परेशान था।
उस दिन बारिश से वह बूढ़ा शेर भीग गया था। शेर को कुछ दूर पर रौशनी दिखाई दी। उसे काफी ठंड लग रही थी। वह उस रौशनी की ओर बढ़ने लगा। ज्यों-ज्यों वह आगे बढ़ता था उसे गर्माहट महसूस होती थी। वह धीरे-धीरे उस अलाव के पास आ गया , जहां शीला बैठी थी।
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शीला बैठी हुई सो गई थी। दूसरे किनारे पर शेर पंजो के बल खड़ा था। बीच में आग जल रही थी। शेर अपनी आँखे बंद किए था। उसकी जीभ निकल गई थी। उसे गर्मी से बहुत आनंद मिल रहा था।
एकाएक शीला की आँख खुली। उसने सामने खड़ा शेर देखा। वह डर गई। लेकिन वह बहुत हिम्मत वाली लड़की थी। उसे एक तरकीब सूझी। वह धीरे-धीरे उठी। उसने एक जलती हुई लकड़ी उठाई। शेर का मुँह खुला था। उसने जलती हुई लकड़ी उसके मुँह में डाल दी। शेर दहाड़ता हुआ जंगल में भाग गया।
कहते है तभी से शेर आग देखकर डरता है। लोग शेर से बचने के लिए आग जलाते है। जहाँ आग जलती है वहां शेर नहीं आता।
3. महल आसमान से उतरा
(Majedar kahaniya baccho ke liye)
एक राजा था। एक दिन वह अपने दरबार में अपने दरबारियों से मिल रहा था। उसके मंत्री ने उससे कहा, “महाराज दरबार का एक आदमी कह रहा था कि मैंने कल रात को आकाश में उड़ती हुई एक परी देखि है। ” यह सुनकर राजा ने कहा, “उस आदमी को बुलाओ। ” वह आदमी डरते-डरते राजा के पास आया।
राजा ने उससे पूछा, “क्या तुमने सचमुच परी देखा है ?” उसने कहा, “हां महाराज, मैंने रात को आकाश में जगमग पंखों वाली उड़ती हुई परी को देखा है। परी बहुत सुन्दर कपड़े पहनकर आकाश मार्ग से जा रही थी।” राजा ने उस आदमी को डांट दिया और कहा, “यह आदमी झूट बोलता है भला परियां भी होती है इसको तुरंत दरबार से बाहर निकालो, ऐसे झूठे आदमी को फिर दरबार में आने मत देना। “
उस दिन दरबार के समाप्त होने पर राजा अपने महल में गया। आज उसका मन बहुत उदास था। रानी ने कहा , “महाराज आज आप कुछ उदास से दिखाई दे रहे है। ” राजा ने कहा, ” आज दरबार में एक आदमी कह रहा था –मैंने परी देखी है। भला परियां भी होती है क्या ? मैंने उस आदमी को दरबार से बाहर निकलवा दिया , लेकिन मेरे मन में यह शंका बनी हुई है कि कही वह सच तो नहीं बोल रहा था कि उसने परियां देखी है। ”
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राजा की बात सुनकर रानी मुस्कुराते हुए बोली, “राजन सचमुच परियां होती है। आप मेरी बात पर विश्वास करे। यदि परियां नहीं होती तो परियों की कहानी देश-विदेश में लोग क्यों सुनते-सुनाते। वह आदमी सच बोल रहा था। अपने उसे दरबार से निकाल कर बहुत बड़ा अपराध किया है। ” रानी की बात सुनकर राजा चुप हो गया।
कुछ देर बाद भोजन करके राजा अपने कमरे में सोने चला गया। थोड़ी देर में ही उसे गहरी नींद आ गई। सपने में वह क्या देखता है कि एक परी सामने खड़ी मुस्कुरा रही है। इसी बीच उसकी आँखे खुल गई। उसने देखा कि पूरा कमरा रंग-बिरंगा रौशनी से सज गया है और उसके सामने एक सुन्दर-सी लड़की खड़ी है। राजा उसे देखकर चकित हो गया। इसी बीच उस लड़की ने कहा , “तुम कहते थे –परियां नहीं होती। देखो, मैं परी हूँ। तुम्हे विश्वास नहीं ! सचमुच परियां होती है।
अगर तुम्हे अभी भी विश्वास नहीं तो मैं तुम्हे मछली बना देती हूँ। ” उसके ऐसा कहते ही राजा मछली बन गया। थोड़ी देर बार मछली बना राजा एक तालाब में तड़पने लगा। परी ने कहा , “अब तो तुम्हे विश्वास हुआ कि सचमुच परियां होती है। ” इसी बीच उस परी की सहेली दूसरी परी वहां आ गई। पहली परी ने उसे बताया, “मैंने एक राजा को मछली बना दिया है। ” दूसरी परी ने कहा, “भला ऐसा क्यों किया तुमने ?” फिर पहली परी ने दूसरी को सारी बात बताई।
दूसरी परी ने पहली परी से कहा कि तुमने राजा को मछली बनाकर अच्छा नहीं किया। पहली परी ने कहा, “क्यों ?” तब दूसरी परी ने कहा, “तुम मेरे साथ चलो। “
दूसरी परी पहली परी को लेकर समुद्र के किनारे गई। समुद्र में तरह-तरह की मछलियां कूद रही थी। “दूसरी परी ने कहा , देखो, कितनी सुन्दर मछलियां है। समुद्र की ठंडी हवा में यहाँ कितना सुहावना लग रहा है। किन्तु मछलियों की नहीं सुनाई दे रही। ये मछलियां चुप क्यों है ? ” पहली परी ने कहा , “मछलियां बोलती कहाँ है। इनकी बोली को भला कौन सुन सकता है। “
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“तुमने ठीक कहा, ” दूसरी परी ने उत्तर दिया , ” तुमने राजा को इतना बड़ा दंड दे दिया कि वह बोल भी नहीं सकता। जब वह अपनी बात नहीं कहेगा तो तुम कैसे समझोगी कि राजा परियों के बारे में क्या सोचता है। हर आदमी को अपनी बात कहने का मौका मिलना ही चाहिए। तुमने राजा को मछली बनाकर अच्छा नहीं किया। तुम मेरे साथ चलो हम उसे फिर से राजा बनाकर यह बताएंगे की परियां कैसे होती है।
दोनों परियां उस तालाब के किनारे गई जहाँ राजा मछली बनकर पानी में तैर रहा था। पहली परी ने एक छड़ी घुमाई तो मछली बना राजा फिर से राजा बन गया। दूसरी परी ने छड़ी घुमाई तो राजा और दोनों परियां आकाश में उड़ गई। राजा आकाश में लटक रहा था और दोनों परियां उसके अगल-बगल खड़ी मुस्कुरा रही थी। राजा डर गया था।
तभी दूसरी परी ने छड़ी घुमाई और उसी समय आकाश में एक बहुत भव्य महल बनकर तैयार हो गया। पहली परी राजा को लेकर महल में गई। अब राजा बहुत खुश था। पहली परी ने फिर छड़ी घुमाई तो महल के चरों ओर सुन्दर-सुन्दर फूल खिल गए , बाग़-बगीचे लग गए। जब दूसरी परी ने छड़ी घुमाई तो चारों ओर सुगंध फ़ैल गई। शीतल हवा बहने लगी , चिड़ियाँ पेड़ो पर चहचहाने लगी और फूलो पर भौरों गुंजार करने लगे।
राजा यह सब देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। सोच रहा था कि परियां इतनी सुन्दर होती है। भला, आज तक मैं परियों की बेकार निंदा करता रहा। राजा ने उन दोनों परियों से कहा, “मैंने अपनी गलती स्वीकार कर ली। अब मैं कभी परियों के बारे में कोई शंका नहीं करूँगा। ” तब दूसरी परी ने अपनी छड़ी घुमाई तो राजा नीचे उतरने लगा और अपने घर में जहाँ वह रात के दिन भर गायब होने के कारण पुरे दरबार और राज्य में चिंता की लहर दौड़ गई थी। राजा के वापस लौटने पर चारों ओर खुशियां मनाई जाने लगी।
इसी बीच दोनों परियों ने सोचा कि क्यों न आकाश के महल को राजा को उपहार के रूप में दिया जाए क्योंकि राजा ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। दूसरी परी ने छड़ी घुमाई तो आकाश में लटका हुआ वह महल राजा के महल के पास ही आकर खड़ा हो गया।
मंत्री ने राजा को सूचना दिन कि महाराज आपके महल के बगल में एक संगमरमर का भव्य महल रातों रात बन गया है। राजा को लगा कि यह तो वही महल होगा। राजा उस महल को देखकर समझ गया कि यह भव्य महल आकाश वाला महल ही है। जब महल के अंदर राजा घुसा तो देखता परियां खड़ी मुस्करा रही है। परियों ने कहा, “महाराज यह महल हम परियों की ओर से उपहार के रूप में स्वीकार करें। ” इतना कहकर परियां अंतर्धान हो गई।
अब राजा ने इस महल के चारों ओर पक्की दीवार बनवा दिया और वह महल परियों के महल के नाम से जाना जाने लगा। राजा उस परियों के महल में कभी-कभी जाता और बाकी समय अपने महल में व्यतीत करता। अगले दिन राजा ने मंत्री से कहा, “उस आदमी को बुलाओ , जिसने परियों की बात कही थी और मैंने उसे दरबार से निकाल दिया था। ” वह आदमी जब आया तो राजा ने उससे क्षमा मांगी और उसे अपने दरबार में मंत्री बना दिया।
4. खानदानी हलवाई
किसी शहर में एक मिठाईवाला रहता था। उसकी मिठाई की छोटी-सी दुकान थी। मिठाइयाँ देशी घी से बनती थी।
एक दिन एक छोटा बच्चा उसकी दुकान पर आया। फटी कमीज, नंगे पांव, कई दिन से नहाया नहीं थी। उसने मिठाईवाले से कहा–“मैं बहुत भूखा हूँ। मुझे एक लड्डू दे दो। ” मिठाईवाले ने उसके नन्हे हाथों पर एक लड्डू रख दिया। वह चला गया। कुछ देर बाद मिठाईवाले ने कुछ पैसे रखने के लिए संदूक खोला। देखा, उसके संदूक में सोने का एक लड्डू पड़ा था। वह आश्चर्य में पड़ गया।
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उसी रात मिठाईवाले ने एक सपना देखा। सपने में एक मुकुटधारी राजा उससे बोला–“रोज शुद्ध घी का एक लड्डू उस छोटे लड़के को दे देना। ऐसा करने से सोने का एक लड्डू तुम्हारे संदूक में आ जाएगा। जिस दिन तूने या तेरे खानदानवालो ने घी में मिलावट की, तेरे परिवार का नाश हो जाएगा। “
अगले दिन से वह ऐसा करने लगा। इसी तरह कई साल बीत गए। मिठाईवाला बहुत धनी हो गया । उसकी ऊँची-ऊँची इमारतें बन गई थी। उसने अपने लड़कों को बुलाकर वह रहस्य बता दिया। कहा–“तुम लोग घी में मिलावट करके लड्डू कभी मत बनाना। “
मिठाईवाले के मरते ही उसके लड़के पिता की बात भूल गए। घी में मिलावट करने लगे। जब वह लड़का लड्डू लेने आया, तो मिठाईवाले के लड़के ने उसकी हाथ पर मिलावटी घी का लड्डू रख दिया। उसी रात मिठाईवाले के घर में आग लग गई। सबकुछ जलकर भस्म हो गया।
5. मिलती सीख कहानी से | Best hindi kahani for kids
तो कैसी लगी यह सभी Majedar kahaniyan आप सभी को। उम्मीद करते है ये Majedar kahaniyan आपको पसंद आयी होगी। ऐसे ही कहानी के लिए हमारे website में आते रहे।
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